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Friday 27 January 2023 04:48:09 PM
नई दिल्ली। एशियाई देश में चीता के पुन: परिचय में सहयोग केलिए दक्षिण अफ्रीका और भारत ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के अनुसार फरवरी 2023 के दौरान 12 चीतों का एक प्रारंभिक जत्था दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया जाना है। ये चीते 2022 के दौरान नामीबिया से भारत लाएगए आठ चीतों केसाथ शामिल हो जाएंगे। चीतों की आबादी को बढ़ाना भारत की प्राथमिकता है और इसके संरक्षण के महत्वपूर्ण एवं दूरगामी परिणाम होंगे, जिसका लक्ष्य कई पारिस्थितिक उद्देश्यों को हासिल करना होगा, जिसमें भारत में उनकी ऐतिहासिक सीमा के भीतर चीते की भूमिका को फिरसे स्थापित करना और स्थानीय समुदायों की आजीविका संबंधी विकल्पों को बेहतर करना तथा उनकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना शामिल है।
भारत सरकार की फरवरी में 12 चीतों केबाद अगले आठ से 10 वर्ष केलिए सालाना 12 चीते स्थानांतरित करने की योजना है। पिछली शताब्दी में अधिक शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण इस प्रतिष्ठित प्रजाति के स्थानीय स्तरपर विलुप्त हो जाने केबाद चीता को एक पूर्व दायरे वाले देशमें फिरसे लाने की पहल नरेंद्र मोदी सरकार से प्राप्त अनुरोध के बाद की जारही है। इस बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम को दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय जैव विविधता संस्थान, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय उद्यान, चीता रेंज विस्तार परियोजना और दक्षिण अफ्रीका में लुप्तप्राय वन्यजीव ट्रस्ट के सहयोग से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान केसाथ मिलकर वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग समन्वित कररहा है। समझौता ज्ञापन की शर्तों की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने हेतु इसकी हर पांच साल में समीक्षा की जाएगी।
भारत में चीता को फिरसे लाने से संबंधित यह समझौता भारत में चीता की व्यवहार्य और सुरक्षित आबादी स्थापित करने हेतु भारत और दक्षिण अफ्रीका केबीच सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, संरक्षण को बढ़ावा देता है और यह सुनिश्चित करता हैकि चीता के संरक्षण को बढ़ावा देने संबंधी विशेषज्ञता को साझा एवं आदान-प्रदान हो और उसके लिए आवश्यक क्षमता का निर्माण किया जाए। इसमें मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान, वन्यजीवों का कब्जा एवं स्थानांतरण और दोनों देशों में संरक्षण के कार्यों में सामुदायिक भागीदारी शामिल है। समझौते के अनुसार दोनों देश बड़े मांसाहारी जीवों के संरक्षण में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, प्रबंधन, नीति और विज्ञान के क्षेत्रमें पेशेवरों के प्रशिक्षण के जरिए सहयोग और उत्कृष्ट कार्यप्रणालियों का आदान-प्रदान करेंगे और दोनों देशों केबीच स्थानांतरित चीतों केलिए एक द्विपक्षीय संरक्षकता की व्यवस्था बनाएंगे।