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Saturday 11 February 2023 02:08:42 PM
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के मरोल में अल्जामिया-तुस-सैफियाह (सैफी अकादमी) के नए परिसर का उद्घाटन किया। गौरतलब हैकि अल्जामिया-तुस-सैफिया दाऊदी बोहरा समुदाय का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है और परमपावन सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के मार्गदर्शन में यह संस्थान दाऊदी बोहरा समुदाय की सीखने की परंपराओं और साहित्यिक संस्कृति की रक्षा केलिए काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि वे यहां एक प्रधानमंत्री के रूपमें नहीं हैं, बल्कि परिवार के एक ऐसे सदस्य के रूपमें उपस्थित हैं, जो चार पीढ़ियों से इस परिवार से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहाकि प्रत्येक समुदाय, समूह या संगठन, बदलते समय केसाथ अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की क्षमता से पहचाना जाता है और बदलते समय और विकास केसाथ तालमेल बैठाने के पैमानों पर दाऊदी बोहरा समुदाय ने स्वयं को सिद्ध किया है। उन्होंने कहाकि अल्जामिया-तुस-सैफियाह जैसी संस्था इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दाऊदी बोहरा समुदाय केसाथ अपने समय से जुड़ाव के बारेमें विस्तार से बताया कि वह जहां भी जाते हैं, उन्हें इस समुदाय का भरपूर स्नेह मिलता है। उन्होंने 99 वर्ष की उम्र में डॉ सैयदना के पढ़ाने के उदाहरण का स्मरण किया और गुजरात में समुदाय केसाथ अपने करीबी संबंधों के बारेमें बात की। सूरत में डॉ सैयदना के शताब्दी समारोह को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात में पानी की स्थिति के बारेमें आध्यात्मिक गुरु की प्रतिबद्धता का स्मरण किया और पानी केलिए उनकी निरंतर प्रतिबद्धता केलिए आभार व्यक्त किया। नरेंद्र मोदी ने इसे कुपोषण और पानी की कमी से निपटने केलिए दाऊदी बोहरा समाज एवं सरकार की पूरकता के उदाहरण के रूपमें उद्धृत किया। प्रधानमंत्री ने भारत केलिए बोहरा समुदाय के प्यार पर कहाकि जब मैं न केवल देश, बल्कि विदेश मेभी कहीं जाता हूं तो मेरे बोहरा भाई और बहन मुझसे मिलने जरूर आते हैं। उन्होंने कहाकि सही नीयत वाले सपने हमेशा साकार होते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि मुंबई में अल्जामिया-तुस-सैफियाह का सपना आजादी से पहले देखा गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहभी स्मरण कियाकि दांडी कार्यक्रम से पहले महात्मा गांधी दाऊदी बोहरा समुदाय के नेता के घरपर रुके थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनके अनुरोध पर यह हाउस सरकार को एक संग्रहालय के रूपमें स्मरणीय बनाने केलिए दिया गया था। उन्होंने सभीसे इस हाउस को देखने केलिए जाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसे सुधारों केसाथ अमृतकाल के संकल्पों को बढ़ा रहा है। उन्होंने महिलाओं और लड़कियों की आधुनिक शिक्षा केलिए उपलब्ध कराए जारहे नए अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि अल्जामिया-तुस-सैफियाह भी इस प्रयास में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि देशकी प्राथमिकता भारतीय लोकाचार में ढाली गई एक आधुनिक शिक्षा प्रणाली है। उन्होंने उस समय को याद किया, जब भारत नालंदा और तक्षशिला जैसे संस्थानों केसाथ शिक्षा का केंद्र हुआ करता था, जिसने दुनियाभर के विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने रेखांकित कियाकि यदि हम भारत के गौरव को पुनर्स्थापित करना चाहते हैं तो शिक्षा के गौरवशाली वर्षों का फिरसे अनुभव करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहाकि बीते 8 वर्ष में रिकॉर्ड संख्या में विश्वविद्यालय बने हैं और हर जिले में चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित हो रहे हैं। उन्होंने बतायाकि वर्ष 2004-2014 केबीच 145 महाविद्यालय स्थापित किएगए, जबकि वर्ष 2014-22 केबीच 260 से अधिक चिकित्सा महाविद्यालय अस्तित्व में आए। प्रधानमंत्री ने बतायाकि 8 वर्ष में हर सप्ताह एक विश्वविद्यालय और दो महाविद्यालय खोले गए, यह गति और पैमाना इस बात का गवाह हैकि भारत युवा प्रतिभा का वैसा पूल बनने जा रहा है, जो दुनिया को आकार देगा। भारत में शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव पर प्रधानमंत्री ने शिक्षा प्रणाली में क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बतायाकि इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा अब क्षेत्रीय भाषाओं में प्रदान की जा सकती है। प्रधानमंत्री ने पेटेंट प्रक्रिया के सरलीकरण कीभी जानकारी दी, जिससे पेटेंट प्रणाली को काफी हदतक मदद मिली है। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग पर ध्यान देते हुए कहाकि आजके युवाओं को प्रौद्योगिकी और नवाचार का सामना करने केलिए कौशल से सुसज्जित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे युवा वास्तविक दुनिया की समस्याओं केलिए तैयार हैं और सक्रिय रूपसे उनका समाधान ढूंढ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि किसीभी देश केलिए एक मजबूत शिक्षा प्रणाली और एक मजबूत औद्योगिक इकोसिस्टम दोनों समान रूपसे महत्वपूर्ण हैं, ये दोनों युवाओं के भविष्य की नींव रखते हैं। उन्होंने 8-9 वर्ष में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में ऐतिहासिक सुधार की ओर इशारा किया और बतायाकि देश ने 40 हजार अनुपालनों को समाप्त करके और सैकड़ों प्रावधानों को गैर-अपराधीकरण श्रेणी से बाहर कर दिया है। उन्होंने याद कियाकि किस तरह इन कानूनों का इस्तेमाल कर उद्यमियों को परेशान किया जाता था, जिससे उनका कारोबार प्रभावित होता था। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज देश नौकरी देने वालों केसाथ खड़ा है। उन्होंने कहाकि उन्होंने 42 केंद्रीय अधिनियमों में सुधार केलिए पेश किएगए जनविश्वास विधेयक और व्यापार मालिकों केबीच विश्वास पैदा करने केलिए विवाद से विश्वास योजना को शुरू किया। उन्होंने उल्लेख कियाकि इस वर्ष के बजट में कर की दरों में सुधार किया गया है, जिससे कर्मचारियों और उद्यमियों के हाथों में अधिक पैसा आएगा। प्रधानमंत्री ने देश में हर समुदाय और विचारधारा की विशिष्टता पर कहाकि भारत जैसे देश केलिए विकास और विरासत समान रूपसे महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विशिष्टता का श्रेय भारत में विरासत और आधुनिकता के विकास के समृद्ध पथ को दिया। उन्होंने रेखांकित कियाकि देश भौतिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक बुनियादी ढांचे दोनों मोर्चों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहाकि हम प्राचीन पारंपरिक त्योहार मना रहे हैं और साथही डिजिटल भुगतान का उपयोग कर रहे हैं। इस वर्ष के बजट पर विचार करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि नई प्रौद्योगिकियों की मदद से प्राचीन अभिलेखों को डिजिटाइज़ करने की घोषणा की गई है, क्योंकि उन्होंने सभी समाजों और संप्रदायों के सदस्यों से आगे आने और उनसे जुड़े किसीभी प्राचीन ग्रंथ को डिजिटाइज़ करने का आग्रह किया। उन्होंने युवाओं को इससे जोड़कर बोहरा समुदाय के योगदान पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण, मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने और भारत की जी20 की अध्यक्षता जैसे कार्यक्रमों का उदाहरण भी दिया, जहां बोहरा समुदाय सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकता है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि विदेशों में बोहरा समुदाय के लोग उत्कृष्ट भारत के ब्रांड एंबेसडर के रूपमें कार्य कर सकते हैं और दाऊदी बोहरा समुदाय विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।