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Thursday 23 February 2023 04:27:22 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 2019, 2020 और 2021 केलिए कला के क्षेत्रमें सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप अकादमी रत्न और अकादमी पुरस्कार से कलाकारों को सम्मानित किया है। विज्ञान भवन नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि सभ्यता से हमारी भौतिक उपलब्धियां सामने आती हैं, लेकिन संस्कृति से हमारी अमूर्त विरासत की धाराएं प्रवाहित होती हैं और हमारी कलाएं और कलाकार, हमारी समृद्ध संस्कृति के संवाहक हैं। उन्होंने कहाकि संस्कृति ही देशकी असली पहचान होती है, भारत की अनूठी प्रदर्शन कलाओं ने सदियों से हमारी अविश्वसनीय संस्कृति को जीवित रखा है और 'विविधता में एकता' हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं की सबसे बड़ी विशेषता है। उन्होंने कहाकि असम के बिहू नृत्य से केरल के कथकलि तक, पूर्व में छऊ से लेकर पश्चिम में गरबा तक नृत्य विधाओं में हमारी संस्कृति की इंद्रधनुषी छटा दिखाई देती है, यही विशेषता अन्य कला विधाओं के विषय मेभी उतनी ही सार्थक है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अकादमी रत्न और अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कलाकारों और कलाविदों को बधाई देते हुए कहाकि उन्हें बताया गया हैकि यह पुरस्कार कला प्रदर्शन के क्षेत्रमें सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान है, अतः इस उपलब्धि केलिए पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को विशेष बधाई दी! राष्ट्रपति ने कहाकि हमारी परंपरा में कला एक साधना है, एक संजीवनी है, सत्य की खोज का माध्यम है, कला से उपासना, अर्चना और स्तुति की जाती है, लोक कल्याणकारी भावनाओं का प्रसार किया जाता है, जो सुंदर है, उसकी प्रतिष्ठा की जाती है, प्रकृति का सम्मान किया जाता है, नई फसल का स्वागत किया जाता है और कला भाषाई विविधता और क्षेत्रीय विशेषताओं को एकसूत्र में बांधती है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमें इस बात पर गर्व होना चाहिएकि हमारे देशमें कला की सबसे पुरानी और बेहतरीन परिभाषाएं और परंपराएं विकसित हुई हैं। उन्होंने कहाकि भरत मुनि और आचार्य अभिनव गुप्त जैसी विभूतियों ने प्राचीनकाल मेही कला तथा साहित्य के स्वरूप और उद्देश्य के विषय में जो विचार व्यक्त किए, वे सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहाकि आधुनिक युग में हमारे सांस्कृतिक मूल्य और अधिक उपयोगी हो गए हैं, आज के समय में जो तनाव और संघर्ष से भरा है, भारतीय कलाएं शांति और सद्भाव फैला सकती हैं एवं भारतीय कलाएं भी भारत की सॉफ्ट पावर का बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने कहाकि जिस तरह हवा और पानी जैसे प्रकृति के उपहार मानवीय सीमाओं को नहीं पहचानते, उसी तरह कला केरूप भी भाषा और भौगोलिक सीमाओं से ऊपर हैं। उन्होंने कहाकि संगीत नाटक जैसी कला विधाएं भाषा तथा भौगौलिक सीमाओं से ऊपर होती हैं, भारतरत्न से सम्मानित एमएस सुब्बुलक्ष्मी, पंडित रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, पंडित भीमसेन जोशी और भूपेन हजारिका के संगीत की शक्ति किसी भाषा या भूगोल से बाधित नहीं होती थी, अपने अमर संगीत केसाथ उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में संगीत प्रेमियों केलिए एक अमूल्य विरासत छोड़ी है। उन्होंने कहाकि लगभग 450 वर्ष पहले अपने संगीत की अमृतधारा प्रवाहित करनेवाले संगीत सम्राट तानसेन के संगीत के चमत्कार से जुड़ी कहानियां भारत के जनमानस में आजभी प्रचलित हैं, ऐसी कला विभूतियां हमारी संस्कृति की महानता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय परंपरा में कला को ईश्वर का वरदान माना गया है, लास्य और तांडव नृत्य करनेवाले भगवान शिव, वीणा वादिनी देवी सरस्वती तथा मुरलीधर श्रीकृष्ण भारत के जनमानस में कला के दैवी प्रतीक हैं, इसी तरह महान संत परम्पराओं मेभी भक्ति और संगीत का संगम होता रहा है। उन्होंने कहाकि उन्हें ज्ञात हुआ हैकि इन पुरस्कारों से देशकी विभिन्न कला विधाओं को मान्यता दी जाती है, कलाकारों केसाथ कला मर्मज्ञ विद्वानों कोभी पुरस्कृत किया जाता है, इससे भारतीय कलाओं से जुड़ी ज्ञान परंपरा में वृद्धि होती है। उन्होंने कहाकि संगीत नाटक अकादमी पिछले सात दशक से विभिन्न भारतीय कला विधाओं संगीत, नृत्य, लोकनाट्य तथा रंगमंच को प्रोत्साहित कर रही है, इन विधाओं के व्यापक रूपसे प्रचार-प्रसार हेतु भी अकादमी प्रयास कर रही है, अकादमी ने युवा पीढ़ी को कलाओं से जोड़ने के प्रयास शुरू किए हैं और अकादमी के अमृत युवा कलोत्सव के आयोजन की सराहना की।