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Tuesday 28 February 2023 12:29:40 PM
नई दिल्ली। डेनमार्क के क्राउन प्रिंस और क्राउन प्रिंसेस ने भारत-डेनमार्क की समृद्ध चांदी की विरासत की झलक पेश करने वाली 'भारत एवं डेनमार्क की रजत धरोहर' नामक विशेष प्रदर्शनी का राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में उद्घाटन किया। प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम में भारत की विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी, डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन, महानिदेशक राष्ट्रीय संग्रहालय और संयुक्त सचिव संस्कृति लिली पांडेय भी उपस्थित थीं। इस अवसर पर मीनाक्षी लेखी ने भारत-डेनमार्क की घनिष्ठ मित्रता का उल्लेख करते हुए कहाकि जहांतक दोनों देशों का संबंध है, जब कोई डेनमार्क के बारेमें सोचता है तो वह उसमें अपने मित्र की झलक देखता है। उन्होंने कहाकि उन्हें यकीन हैकि डेनमार्क के दिलो-दिमाग मेभी ऐसीही भावना हैकि वे जब भारत के बारेमें सोचते हैं तो उनको उसमें अपने मित्र की झलक दिखाई देती है। मीनाक्षी लेखी ने कहाकि दोनों मित्र राष्ट्र कई लोकाचारों, कई मूल्य व्यवस्थाओं से बंधे हैं, जिनमें लोकतंत्र कानून-व्यवस्था का महत्व, साथही कानून का पालन करनेवाले नागरिक शामिल हैं।
विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहाकि उन्हें लगता हैकि समान सांस्कृतिक विरासत होना बहुत मददगार रहता है, संस्कृति जोड़ती है, संस्कृति बहुत सकारात्मक शक्ति होती है, क्योंकि जब आप एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं तो किसी एकके हिचकिचाहट महसूस करने के बावजूद जैसेही उसी मामले पर वह दूसरे के दृष्टिकोण को जानना शुरू करता है तो उसकी वह हिचकिचाहट गायब हो जाती है तथा दृष्टिकोण की समझ हमें एक नया दृष्टिकोण देती है और विचारों का नया मिश्रण आमतौर पर सकारात्मक होता है, इसलिए हम सभी का प्रयास जमीन को जीतना नहीं, बल्कि दिलों को जीतना है और दिलों की इसी जीत केसाथ हम भारत-डेनमार्क की रजत धरोहर को प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने बतायाकि यह प्रदर्शनी दो विशिष्ट देशों की विविध प्रकार की चांदी की कलाकृतियों का मिलन स्थल है, यह 250 से अधिक चांदी की विलक्षण कलाकृतियों को पांच अलग-अलग विषयों में पृथक रूपसे प्रदर्शित करता है, जो दोनों देशों के शिल्प कौशल और चांदी का काम करने वालों की तकनीकों की विभिन्न पहलुओं से पड़ताल करता है।
संस्कृति राज्यमंत्री ने बतायाकि यह पहल राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के आरक्षित संग्रह से कुछ दुर्लभ कलाकृतियों को प्रदर्शित करने का मार्ग प्रशस्त करती है जैसाकि डेनमार्क के कोल्डिंग संग्रहालय के निदेशक रून ओटोग्रीन लुंडबर्ग ने कहा हैकि यह प्रदर्शनी भारत-डेनमार्क केबीच सांस्कृतिक मील का पत्थर है, संस्कृति एक सेतु का निर्माण करती है, जहां हम एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं और एक-दूसरे की दुनिया, भिन्नताओं और समानताओं के बारेमें गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मीनाक्षी लेखी ने कहाकि यह प्रदर्शनी सांस्कृतिक आदान-प्रदान के एक कार्यक्रम का हिस्सा है, जो 2026 तक जारी रहेगा, इसलिए संस्कृति, शिल्प, संगीत और साहित्य में आदान-प्रदान केलिए व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने जिक्र कियाकि भारत-डेनमार्क केबीच शुरुआती संपर्क भी व्यापार के माध्यम से आदान-प्रदान से संबंधित था। उन्होंने कहाकि उत्तम भारतीय शिल्पकारिता और सुंदर वस्त्रों की मांग यूरोप में बहुत बढ़ गई और वस्तुओं के आदान-प्रदान से दोनों देशों केबीच घनिष्ठ संबंध स्थापित हुए, इस संबंध में हम समान इतिहास साझा करते हैं।
भारत-डेनमार्क की रजत धरोहर प्रदर्शनी के उद्घाटन पर एस्टोनिया गणराज्य के दूतावास, पुर्तगाल के दूतावास, स्विट्जरलैंड के दूतावास जैसे विभिन्न दूतावासों के विशिष्ट अतिथियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम केबाद प्रदर्शनी की क्यूरेटोरियल टीम ने डेनमार्क के क्राउन प्रिंस और क्राउन प्रिंसेस केलिए एक विशेष पूर्वावलोकन कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली और कोल्डिंग संग्रहालय डेनमार्क दोनों की कलाकृतियां शामिल थीं। महानिदेशक लिली पांडेय ने प्रदर्शनी स्थल पर प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और उनका स्वागत भाषण प्रदर्शनी की प्रासंगिकता पर केंद्रित रहा, जिसमें उन्होंने कहाकि जिस समय प्रकृति वसंत में पुष्पितपल्लवित हो रही है, हम कोल्डिंग संग्रहालय डेनमार्क और राष्ट्रीय संग्रहालय भारत केबीच अद्वितीय क्यूरेटोरियल सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से भारत-डेनमार्क की शानदार चांदी की विरासत को प्रदर्शित करने वाली शानदार प्रदर्शनी में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहाकि सीमाओं के जुदा होनेके बावजूद हमारे अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक प्रयास हमें एकके रूपमें एकजुट करते हैं और भारत की जी20 अध्यक्षता 2023 की वसुधैव कुटुंबकम की भावना को प्रतिध्वनित करते हैं।
भारत-डेनमार्क की शानदार चांदी की विरासत में प्रदर्शित की गई वस्तुओं में राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के संग्रह से सिंधु घाटी सभ्यता की चांदी की वस्तुएं, जिनमें चांदी के दुर्लभ मोती, प्राचीन और मध्यकालीन भारत के सिक्के, लघु मूर्तियां, आभूषण, हुक्के, विशेष नक्काशी और एनामेल वाले इत्रदान और अन्य सजावटी सामान हैं, जबकि कोल्डिंग संग्रहालय डेनमार्क के संग्रह से चांदी का बाइबिल कवर, स्पिनिंग कैटल, बाइबिल की कहानियों को चित्रित करनेवाले प्याले केसाथ हीसाथ इत्रदान, आभूषण, कटलरी जैसी वस्तुएं भारत और डेनमार्क के चांदी के उत्कृष्ट संग्रह को प्रस्तुत करते हैं।