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Tuesday 28 February 2023 01:49:59 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन तथा परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने मौसम पूर्वानुमान में भारत और ब्रिटेन केबीच सहयोग संभावनाओं पर प्रसन्नता व्यक्त की है। नई दिल्ली में चौथी मौसम एवं जलवायु विज्ञान सेवा हेतु सहभागिता-भारत की वार्षिक विज्ञान कार्यशाला-2023 का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहाकि भारत-ब्रिटेन न केवल एकही गोलार्ध में हैं, बल्कि ब्रिटेन केसाथ काम करना इसलिए भी आसान है, क्योंकि हमारे संबंधों में सहजता का स्तर ऊंचा है। उन्होंने कहाकि दोनों ही देशों के नागरिक ऐसी समान स्थितियों का सामना करते हैं, जो हमें मौसम की भविष्यवाणी सहित विभिन्न विषयों को एक सामान्य दृष्टिकोण से देखने पर विवश करते हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि मौसम की भविष्यवाणी सटीक मॉडलिंग का विज्ञान बन गया है, इसमें महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और डेटा समावेशन शामिल है। निरंतर सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहाकि मौसम पूर्वानुमान सामान्य नागरिक के जीवन का एक अनिवार्य अंग बन चुका है। भारत में ब्रिटेन की उप उच्चायुक्त क्रिस्टीना स्कॉट ने आशा व्यक्त करते हुए कहाकि यह कार्यशाला दोनों देशों को प्रभावित करने वाली गंभीर और प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों केलिए सही प्रकार की प्रतिक्रिया तैयार करने में सहायक बनेगी। उन्होंने कहाकि दोनों देश आपदा के अनुरूप लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण परभी मिलकर काम कर रहे हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम रविचंद्रन ने कहाकि यह कार्यशाला कोविड महामारी के कारण दो वर्ष के अंतराल केबाद आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहाकि इसमें मौसम पूर्वानुमान केलिए डेटा की समझ, मॉडलिंग और आकलन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
विज्ञान कार्यशाला का आयोजन 7 फरवरी 2019 को हस्ताक्षरित वेदर एंड क्लाइमेट साइंस फॉर सर्विस पार्टनरशिप इंडिया परियोजना से संबंधित कार्यांवयन समझौते के एक हिस्से के रूपमें किया जा रहा है। इसने भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पृथ्वी विज्ञान विभाग और ब्रिटेन के मौसम कार्यालय केबीच मौसम और जलवायु विज्ञान में सहयोग पर 28 जनवरी 2019 को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का पालन किया। करीब 50 से अधिक ऑनलाइन प्रतिभागियों के अलावा ब्रिटेन के लगभग 25 वैज्ञानिक और लगभग 70 भारतीय वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता कार्यशाला में व्यक्तिगत रूपसे भाग लेंगे। बैठक के दौरान विचार-विमर्श और परस्पर चर्चा से मौसम और जलवायु पूर्वानुमान क्षमताओं विशेष रूपसे भारतीय क्षेत्र पर उच्च प्रभाव वाले मौसम के बारेमें सुधार के इस सहयोगी प्रयास केलिए नए विचार और दिशा मिलने की संभावना है। भारत-ब्रिटेन सहयोग से डब्ल्यूसीपीएसएस-इंडिया प्रोजेक्ट के प्रमुख विज्ञान उद्देश्यों में दक्षिण एशियाई मानसून प्रणाली में प्राकृतिक खतरों पर अनुसंधान और भविष्यवाणी की समयसीमा में प्राकृतिक खतरों के जोखिम आधारित पूर्वानुमान केलिए उपकरणों और तकनीकों में सुधार करना शामिल है।
वेदर एंड क्लाइमेट साइंस फॉर सर्विस पार्टनरशिप इंडिया परियोजना के माध्यम से उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है, जिसमें अंकीय मौसम पूर्वानुमान की वैश्विक प्रणाली के कार्यांवयन और उसके सफल परीक्षण के साथही राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र के परिचालनीय उप-किमी कोहरा पूर्वानुमान छायांकन यानी रिज़ॉल्यूशन फॉग फोरकास्ट के मॉडल में सुधार करना शामिल है। मॉडलों में व्यापक अंतरतुलना से संबंधित नए ज्ञान तथा बाढ़ जोखिम प्रभाव मॉडलिंग केलिए मानसून जोखिम प्रक्रियाएं और प्रोटोटाइप उपकरणों के परस्पर सह-विकास का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।