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Monday 6 March 2023 03:06:12 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय बजट केबाद वेबिनार श्रृंखला में 'स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान' विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा हैकि जब हम स्वास्थ्य देखभाल की बात करते हैं तो इसे पूर्व कोविद युग और महामारी केबाद के युग के विभाजन केसाथ देखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि कभी-कभी आपदा भी खुदको प्रूव करने का अवसर लेकर आती है, ये कोविडकाल में फार्मा सेक्टर ने दिखाया है, कोविडकाल में भारत के फार्मा सेक्टर ने जिस प्रकार दुनियाभर का विश्वास हासिल किया है, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहाकि कोरोना ने विश्व को दिखाया और सिखाया हैकि जब इतनी बड़ी आपदा आती है तो समृद्ध देशों की विकसित व्यवस्थाएं भी ध्वस्त हो जाती हैं और दुनिया का ध्यान पहले से कहीं ज्यादा अब स्वास्थ्य देखभाल पर है, लेकिन भारत की अप्रोच सिर्फ स्वास्थ्य देखभाल तकही सीमित नहीं है, बल्कि हम एक कदम आगे बढ़कर मानव कल्याण केलिए काम कर रहे हैं, इसलिए हमने दुनिया के सामने एक विजन रखा है-एक पृथ्वी-एक स्वास्थ्य यानि जीव मात्र केलिए चाहे वो इंसान, जानवर, पौधे हों सबके लिए एक होलिस्टिक हेल्थकेयर की बात कही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि वैश्विक महामारी कोरोना ने हमें येभी सिखाया हैकि आपूर्ति श्रृंखला कितना बड़ा महत्वपूर्ण विषय है, जब महामारी शिखर पर थी तो कुछ देशों केलिए दवाएं, टीके, मेडिकल डिवाइसीस ऐसी जीवनरक्षक चीजें भी दुर्भाग्य से हथियार बन गई थीं। उन्होंने कहाकि बीते वर्षों के बजट में भारत ने इन सभी विषयों पर बहुत ध्यान दिया है, हम ये निरंतर कोशिश कर रहे हैंकि भारत की विदेशों पर निर्भरता कम से कम रहे, ऐसे में स्टेकहोल्डर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज़ादी केबाद अनेक दशक तक भारत में स्वास्थ्य को लेकर एक संकलित एवं दीर्घकालीन दृष्टि की कमी रही है, हमने स्वास्थ्य देखभाल को सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय तकही सीमित नहीं रखा है, बल्कि 'पूरी सरकार' अप्रोच पर बल दिया है, भारत में इलाज को किफायती बनाना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपए तकके मुफ्त इलाज की सुविधा देने के पीछे हमारे मन में यही भाव है, इसके तहत अभीतक देश के करोड़ों मरीज़ों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपए जो बीमारी में उपचार केलिए खर्च होने वाले थे वो खर्च होने से बचे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि 7 मार्च को देश जन औषधि दिवस मनाएगा। उन्होंने कहाकि देशभर में करीब 9 हजार जनऔषधि केंद्र हैं, जिनपर बाज़ार से बहुत सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध हैं, इससे ग़रीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग सिर्फ दवाई खरीद करने में 20 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है यानि सिर्फ 2 योजनाओं सेही हमारे नागरिकों के 1 लाख करोड़ रुपए उनकी जेब में बचे हुए हैं। उन्होंने कहाकि गंभीर बीमारियों केलिए देशमें अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ्रा का होना जरूरी है एवं सरकार का एक प्रमुख फोकस इस बातपर भी हैकि लोगों को घरके पासही टेस्टिंग की सुविधा मिले, प्राथमिक उपचार की बेहतर सुविधा हो, इसके लिए देशभर में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं, इनमें डायबिटीज़, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा होगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन केतहत क्रिटिकल हेल्थ इंफ्रा को छोटे शहरों और कस्बों तक ले जाया जा रहा है, इससे छोटे शहरों में नए अस्पताल तो बन ही रहे हैं, हेल्थ सेक्टर से जुड़ा एक पूरा इकोसिस्टम विकसित हो रहा है, इसमें भी स्वास्थ्य उद्यमी केलिए इंवेस्टर्स केलिए प्रोफेशनल्स केलिए अनेक नए अवसर बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हेल्थ इंफ्रा केसाथ सरकार की प्राथमिकता ह्यूमेन रिसोर्स पर भी है, बीते वर्षों में 260 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं, इस वजह से मेडिकल की ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या 2014 के मुकाबले यानि हम जब सत्ता में आए उसके पहले के मुकाबले में दोगुनी हो चुकी है। उन्होंने कहाकि सफल डॉक्टर केलिए सफल टेक्निशियन बहुत आवश्यक हैं, इसलिए इस वर्ष के बजट में नर्सिंग क्षेत्र के विस्तार पर बल दिया गया है, मेडिकल कॉलेजों के पासही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलना मेडिकल ह्यूमेन रिसोर्स केलिए बहुत बड़ा कदम है, ये सिर्फ भारत केलिए ही नहीं, बल्कि दुनिया की डिमांड को पूरा करने में भी काम आ सकता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वास्थ्य सुविधा को सुलभ और सस्ता बनाने में टेक्नॉलॉजी की भूमिका लगातार बढ़ रही है, इसलिए हमारा फोकस हेल्थ सेक्टर में टेक्नॉलॉजी के अधिक से अधिक प्रयोग पर भी है, डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से हम देशवासियों को समय पर स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा देना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि ई-संजीवनी जैसे टेलिकंसल्टेशन के प्रयासों से घर बैठेही 10 करोड़ लोग डॉक्टरों से ऑनलाइन कंसल्टेशन का लाभ ले चुके हैं और 5जी टेक्नॉलॉजी की वजह से इस सेक्टर में स्टार्टअप्स केलिए भी बहुत संभावनाएं बन रही हैं, ड्रोन टेक्नॉलॉजी की वजह से दवाओं की डिलिवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक्स में एक क्रांतिकारी परिवर्तन दिख रहा है, ये यूनिवर्सल हेल्थकेयर के हमारे प्रयासों को बल देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह हमारे स्टार्टअप्स केलिए भी बहुत बड़ा अवसर है, हमारे उद्यमी ये सुनिश्चित करेंकि हमें कोईभी टेक्नॉलॉजी अब इंपोर्ट करने से बचना चाहिए, आत्मनिर्भर बनना ही है, हम इसके लिए ज़रूरी संस्थागत सुधार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि फार्मा और मेडिकल डिवाइस सेक्टर में संभावनाओं को देखते हुए पिछले कुछ वर्ष में कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं, बल्क ड्रग पार्क हो, मेडिकल डिवाइस पार्क की व्यवस्था विकसित करने की बात हो, पीएलआई जैसी योजनाओं पर 30 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश किया गया है। उन्होंने कहाकि मेडिकल डिवाइस सेक्टर में पिछले कुछ वर्ष में 12 से 14 परसेंट की रेट से ग्रोथ होरही है, आनेवाले 2-3 वर्ष में ये मार्केट 4 लाख करोड़ तक पहुंचने वाला है, हमने भविष्य की चिकित्सा प्रौद्योगिकी, उच्च अंत विनिर्माण और रिसर्च केलिए कुशल जनशक्ति पर काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आईआईटी और दूसरी संस्थाओं में मेडिकल उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग की ट्रेनिंग केलिए बायोमेडिकल इंजीनियरिंग या उसके जैसे दूसरे कोर्सेस भी चलाए जाएंगे, इसमें भी प्राइवेट सेक्टर की अधिक भागीदारी कैसे हो, इंडस्ट्री, एकेडेमिया और सरकार इन सबके बीच अधिक से अधिक तालमेल कैसे हो और इसपर हमें मिलकर के काम करना है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि उत्कृष्टता केंद्र के जरिए फार्मा में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने केलिए नया प्रोग्राम लॉंच किया जा रहा है, इन प्रयासों से अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी, साथही रोज़गार के नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहाकि आज इस सेक्टर का मार्केट साइज 4 लाख करोड़ का है, अगर इसमें प्राइवेट सेक्टर और एकेडेमिया केसाथ हम तालमेल बिठा लेते हैं तो ये सेक्टर 10 लाख करोड़ कोभी पारकर सकता है। उन्होंने सुझाव दियाकि फार्मा इंडस्ट्री इस क्षेत्रमें महत्वपूर्ण प्राथमिकता वाले क्षेत्र की पहचान कर उसमें निवेश करे। उन्होंने बतायाकि रिसर्च को बढ़ावा देने केलिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, सरकार ने आईसीएमआर की कई लैब्स को युवाओं और रिसर्च इंडस्ट्री केलिए खोलने काभी निर्णय ले लिया है। उन्होंने कहाकि निवारक स्वास्थ्य देखभाल को लेकर सरकार के प्रयासों का बहुत प्रभाव हुआ है। उन्होंने कहाकि भारत के आयुर्वेद से जुड़े प्रोडक्ट्स की डिमांड दुनियाभर में बढ़ रही है, भारत के प्रयासों से डब्ल्यूएचओ का ट्रेडिनशनल मेडिसिन से जुड़ा ग्लोबल सेंटर भारत में ही बन रहा है, इसलिए हेल्थ सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स से खास करके आयुर्वेद के साथियों से आग्रह हैकि साक्ष्य आधारित शोध को हमें बढ़ावा देना होगा, सिर्फ परिणाम की चर्चा पर्याप्त नहीं है, प्रमाण भी उतने ही आवश्यक हैं, इसके लिए आयुर्वेद के क्षेत्रमें काम करनेवाले उद्यमियों को रिसर्च से जुड़े साथियों को जोड़ना होगा उनको आगे आना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आधुनिक मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से मेडिकल ह्यूमेन रिसोर्स तक देशमें होरहे प्रयासों का एक और पक्ष है, ये जो नई सुविधा देश में तैयार कर रहे हैं, उसका लाभ सिर्फ देशवासियों को स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित नहीं रहने वाला है, अब दुनिया एक-दूसरे से जुड़ चुकी है, भारत को दुनिया का सबसे आकर्षक मेडिकल टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने केलिए बहुत बड़ा अवसर हमारे सामने है, मेडिकल टूरिज्म अपने आपमें एक बहुत बड़ा सेक्टर भारत में उभरकर आ रहा है और ये देश में रोज़गार निर्माण का बहुत बड़ा माध्यम बन रहा है। उन्होंने कहाकि सबके प्रयास सेही हम विकसित भारत में एक विकसित हेल्थ एंड वेलनेस इकोसिस्टम तैयार कर सकते हैं। उन्होंने वेबिनार में शामिल स्टेकहोल्डर्स से आग्रह हैकि वो अपने सुझाव जरूर दें, ताकि हम बजट को तय समयसीमा में निर्धारित लक्ष्य केलिए निश्चित रोडमैप केसाथ अमल में लाएं, सभी स्टेकहोल्डर्स को साथ लेकरके चलें और अगले साल बजट के पहले हम इन सपनों को धरातल पर उतारें। उन्होंने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि आप सबका अनुभव, आप सबके निजी विकास के संकल्प देश के विकास के संकल्प केसाथ जुड़ करके हम सामूहिक शक्ति और प्रयासों से सिद्धि अवश्य प्राप्त करेंगे।