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Friday 24 March 2023 12:11:33 PM
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना की परिचालन क्षमताओं में बढ़ोतरी केलिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड केसाथ 3700 करोड़ रुपये से अधिक के दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं, इनमें पहला अनुबंध 2800 करोड़ रुपये से अधिक का है, जो वायुसेना केलिए मध्यम शक्ति रडार 'अरूधरा' की आपूर्ति से संबंधित है, वहीं दूसरा अनुबंध लगभग 950 करोड़ रुपये का है, जो 129 डीआर-118 रडार चेतावनी प्राप्तकर्ता से संबंधित है। ये दोनों परियोजनाएं खरीदें स्वदेशी रूपसे डिजाइन विकसित व निर्मित श्रेणी केतहत हैं, ये अनिवार्य रूपसे आत्मनिर्भर भारत की भावना के प्रतीक हैं और देश को रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की सोच को साकार करने में सहायता करेंगे।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने शक्ति रडार 'अरूधरा' को स्वदेशी रूपसे डिजाइन व विकसित किया है और इसका निर्माण बीईएल करेगी। पहलेही इसका सफल परीक्षण भारतीय वायुसेना कर चुकी है। यह हवाई लक्ष्यों की निगरानी और पता लगाने केलिए दिगंश व उन्नयन, दोनों में इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग के साथ एक 4डी मल्टी-फंक्शन चरणबद्ध एरे रडार है। इस प्रणाली में एकसाथ स्थित चिन्हित मित्र या शत्रु प्रणाली से पूछताछ के आधार पर लक्ष्य की पहचान होगी। यह परियोजना औद्योगिक वातावरण में विनिर्माण क्षमता के विकास केलिए एक उत्प्रेरक के रूपमें कार्य करेगी।
डीआर-118 रडार वार्निंग रिसीवर एसयू-30 एमकेआई विमान की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी करेगा। इसके अधिकांश उप-संयोजन और पुर्जे स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त किए जाएंगे। यह परियोजना एमएसएमई सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने केसाथ उसे प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा यह साढ़े तीन साल की अवधि में लगभग दो लाख मानव-दिवस का रोज़गार सृजित करेगी। डीआर-118 आरडब्ल्यूआर स्वदेशी ईडब्ल्यू क्षमताओं को विकसित करने और देश को रक्षाक्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।