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Saturday 25 March 2023 02:40:25 PM
जगदलपुर (छत्तीसगढ़)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 84वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूपमें शामिल हुए और परेड की सलामी ली। इस अवसर पर अमित शाह ने प्रसार भारती के बस्तर संभाग की स्थानीय भाषा हल्बी की समाचार सेवा का शुभारंभ किया और कहाकि सीआरपीएफ ने पहलीबार वामपंथी उग्रवाद के केंद्र छत्तीसगढ़ के बस्तर में अपनी स्थापना दिवस परेड आयोजित की है और यह देश केलिए गर्व की बात है। उन्होंने कहाकि छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के अभियान के दौरान बल के 763 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, आज वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई विजय के निर्णायक पड़ाव पर है, उसमें शहीद जवानों का बहुत बड़ा योगदान है। गृहमंत्री ने कहाकि चाहे जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र हो, नॉर्थईस्ट की अशांति के खिलाफ लड़ना हो या फिर वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ते हुए आदिवासियों तक विकास को पहुंचाना हो, हर क्षेत्रमें सीआरपीएफ़ जवानों ने अप्रतिम शौर्य और बहादुरी का परिचय दिया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि देश में आंतरिक सुरक्षा और शांति दोनों केलिए जनता का सम्पूर्ण भरोसा सीआरपीएफ़ जवानों पर है, जो उनके साहस और शौर्य सेही निर्मित हुआ है। अमित शाह ने कहाकि आज यहां सीआरपीएफ के 174 करोड़ की लागत वाले 3 विकास कार्यों का भी लोकार्पण हुआ है, इसके साथही हल्बी भाषा में प्रसार भारती के साप्ताहिक समाचार बुलेटिन की भी शुरूआत आकाशवाणी ने की है। गृहमंत्री ने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की भाषा में पहला समाचार बुलेटिन शुरू करने केलिए आकाशवाणी और दूरदर्शन को बधाई दी और कहाकि इससे न केवल हमारी स्थानीय भाषाएं मज़बूत होंगी, बल्कि इस क्षेत्र में रहरहे लोगों को देश-दुनिया में घटित होनेवाली घटनाओं के समाचार मिल सकेंगे, इससे देश-दुनिया केसाथ उनका संपर्क भी बढ़ेगा। अमित शाह ने कहाकि आज यहां नारीशक्ति थीम पर सीआरपीएफ महिला मोटरसाइकिल टीम का फ्लैगइन कार्यक्रम भी है, ये 75 महिला जवान 38 मोटरसाइकिलों केसाथ 9 मार्च 2023 से 1848 किलोमीटर की यात्रा करते हुए आज यहां पहुंची हैं। उन्होंने कहाकि इन महिला जवानों के शौर्य से देशभर में महिलाशक्ति को बल मिला है।
गृहमंत्री ने कहाकि 27 जुलाई 1939 को सीआरपीएफ की स्थापना हुई थी, लेकिन आजके इस बल का पुनर्जन्म लौहपुरुष और देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के हाथों से हुआ था। उन्होंने कहाकि 28 दिसंबर 1949 को सरदारजी ने इसका नाम बदलकर केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल रखा था और 19 मार्च 1950 को उन्होंने इसको इसका निशान प्रदान किया था। अमित शाह ने कहाकि एक बटालियन केसाथ शुरू हुआ यह बल आज 246 बटालियन, 4 जोनल मुख्यालय, 21 सेक्टर मुख्यालय, 2 परिचालन सेक्टर मुख्यालय, 17 परिचालन रेंज, 42 प्रशासनिक रेंज और सवा तीन लाख से अधिक जवानों केसाथ देश का सबसे बड़ा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है। उन्होंने कहाकि लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में 21 अक्तूबर 1959 को चीनी सेना का मुकाबला करते हुए अदम्य साहस और बलिदान की भावना का परिचय देते हुए सीआरपीएफ जवानों ने शहादत दी और उस शहादत को अमर ऱखने केलिए कृतज्ञ देश ने 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूपमें मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में चाणक्यपुरी में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक बनवाया है, जहां हरवर्ष 21 अक्टूबर को शहीद पुलिस जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
अमित शाह ने कहाकि 9 अप्रैल 1965 को सीआरपीएफ ने कच्छ के रेगिस्तान में सरदार पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना को बहादुरी से मुंहतोड़ जवाब दिया था, इसीलिए 9 अप्रैल को देश शौर्य दिवस के रूपमें मनाता है। गृहमंत्री ने कहाकि लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है, जब इसकी सुरक्षा समर्पित तरीके से की जाए और देश में चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा कराने में बाकी सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को साथ रखते हुए सीआरपीएफ का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि देश की संसद और अयोध्या पर हुए हमलों को सीआरपीएफ के जवानों ने ही निरस्त किया था। अमित शाह ने कहाकि देश के सुरक्षाबलों ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ बीते 9 साल में एक मज़बूत लड़ाई लड़ी है और सफलता प्राप्त की है, जो वामपंथी उग्रवादी जनजातीय क्षत्रों के विकास में रोड़ा बने हुए थे, उन्हें हटाने का काम भी सीआरपीएफ ने किया है। अमित शाह ने कहाकि समस्या वाले सभी क्षेत्रों में सीआरपीएफ ने स्थानीय पुलिस को साथ लेकर उनकी हौसला अफजाई करते हुए एक अभेद्य शक्ति का निर्माण किया और सामंजस्य केसाथ अपने संगठन कौशल का भी परिचय दिया।
गृहमंत्री ने कहाकि वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा की घटनाओं में 2010 के उच्चतम स्तर के मुकाबले 76 प्रतिशत की कमी आई है, जान गंवाने वालों में लगभग 78 प्रतिशत की कमी आई है, इसके अलावा सीआरपीएफ ने अलग-अलग राज्यों की पुलिस केसाथ मिलकर ज्वाइंट टास्क फोर्स भी बनाई, जिससे वामपंथी उग्रवादियों को अंतर्राज्यीय सीमाओं का लाभ उठाने से रोका जा सके। उन्होंने कहाकि दशकों तक वामपंथी उग्रवाद के गढ़ रहे बिहार और झारखंड के बूढ़ा पहाड़, चक्रबंधा और पारसनाथ के क्षेत्रों को उग्रवाद से मुक्त कराया गया है, बिहार-झारखंड में सुरक्षा का वैक्यूम समाप्ति की ओर है और यह सीआरपीएफ के वीर जवानों और पुलिस बलों के संयुक्त पराक्रम के कारण ही हो पाया है। उन्होंने कहाकि वामपंथी उग्रवादियों के फंडिंग स्रोत को रोकने केलिए एनआईए और ईडी द्वारा भी अनेक प्रकार के केस दर्ज करके हम कठोर कार्यवाही कर रहे हैं।
अमित शाह ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार के विकास कार्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहाकि इन क्षेत्रों में मोदी सरकार, सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस के संयुक्त प्रयासों से विकास की गति बढ़ रही है, सरकार ने सीआरपीएफ जवानों के कल्याण केलिए भी कई कदम उठाए हैं। अमित शाह ने सीआरपीएफ जवानों से कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार आपको हर सुविधा उपलब्ध कराने और आपकी समस्याओं को कम करने केलिए आपके साथ खड़ी है। उन्होंने सीआरपीएफ जवानों पर भरोसा जताते हुए कहाकि अपने 84 साल के गौरवमयी इतिहास को दोहराते हुए और सुदृढ़ करते हुए वामपंथी उग्रवाद के पूरे सफाए तक इस क्षेत्र के अंदर हम तन्मयता केसाथ मां भारती केलिए काम करते रहेंगे।