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Friday 14 June 2013 12:13:49 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजमार्गों के तेज निर्माण के लिए नई पहल के तहत 12वीं योजना में ईपीसी मोड के जरिए दो लेन की 20 हजार किलोमीटर सड़क बनेंगी। संबद्ध राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्ग कार्यों की समीक्षा में भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने उन राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड को अपनाने का फैसला किया है, जो निजी-सरकारी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत व्यवहारिक नहीं हैं।
बारहवीं योजना में दो लेन की 20 हजार किलोमीटर की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना को ईपीसी मोड के तहत बनाने की रूपरेखा तय की गई है। सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए विशेष मानकों, परियोजना की लागत और समय को ध्यान में रखते हुए ईपीसी मोड अपनाने का फैसला किया है, ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं पारदर्शी, निष्पक्ष और स्पर्धा के साथ पूरी हो सकें। ईपीसी मोड परंपरागत आइटम रेट कांट्रैक्ट व्यवस्था से अलग है। अनुभव बताता है कि आइटम रेटकांट्रैक्ट व्यवस्था में समय सीमा बढ़ने के साथ लागत भी बढ़ जाती है। ईपीसी मोड में स्पर्धी निविदा के जरिए ठेका दिया जाता है और इसमें जांच, डिजाइन और निर्माण की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है। इसमें सूचकांक आधारित मूल्य अंतर का भी ध्यान रखा जाता है।
निर्माण के ईपीसी मोड पर सभी राज्यों में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा और समीक्षा बैठकें भी होंगी। मंत्रालय के मुख्य अभियंता कार्यक्रम के अनुसार ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए नोडल अधिकारी होंगे। इन बैठकों में परिवहन शाखा और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने संबद्ध राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित कार्यों की समीक्षा बैठक करने का भी फैसला किया है, यह कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि राष्ट्रीय राजमार्गों के तेजी से निर्माण में कोई बाधा उत्पन्न न हो और सुचारू रूप से निर्माण कार्य चलता रहे। चालू वर्ष के लिए 12 जून 2013 से ऐसी समीक्षा बैठकों का मासिक कार्यक्रम तैयार किया गया है।