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Friday 14 June 2013 12:25:21 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) तथा राष्ट्र संघ बाल निधि (यूनीसेफ) के साथ मिलकर विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने बच्चों की सुरक्षा के लिए देश में रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, गैर सरकारी संस्थाओं, पुलिस तथा सभी सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम करने पर बल दिया। इस साल विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस ने ‘बच्चों के अधिकार सुनिश्चित करें-घरेलू बाल श्रम को ना कहें’ शीर्षक से घरेलू बाल श्रमिकों पर ध्यान केंद्रित किया है।
कृष्णा तीरथ ने चिंता दर्शायी कि बाल श्रम विरोधी अधिनियम लागू होने के बावजूद घरेलू बाल श्रम की समस्या काफी विकराल है, उन्होंने राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2009-10 में 5-14 आयु वर्ग के 50 लाख बच्चे आर्थिक गतिविधियों में लगे हुए हैं, एकीकृत बाल सुरक्षा योजना के तहत जिला तथा ब्लॉक स्तर पर सरकार के विभिन्न विभागों को आपस में जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि बेहतर परिणाम सामने आ सकें। उन्होंने बताया कि विशेष कर शहरी क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रचलित घरेलू बाल श्रम को देखते हुए चाइल्ड लाइन, एमआईएस तथा चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम जैसी व्यवस्थाओं के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, उनके मंत्रालय ने बाल यौन अपराध सुरक्षा अधिनियम 2012 की महत्ता को रेखांकित किया।
एनसीपीसीआर की अध्यक्ष कुशल सिंह ने इस बात पर बल दिया कि बाल श्रम को हमें एक आवश्यक बुराई मानना छोड़ना होगा, इसके अतिरिक्त उन्होंने खोए हुए और बिना किसी संरक्षण के रह रहे बच्चों को संभावित बाल श्रमिक मानने की जगह उन्हें स्कूल भेजने के प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बाल श्रम की बुराई से लड़कर बाहर आने वाले कुछ बच्चों को सम्मानित किया गया। समारोह में गैर सरकारी संगठनों आशा दीप फाउंडेशन तथा चेतना फाउंडेशन के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सचिव नीता चौधरी तथा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, यूनीसेफ तथा आईएलओ के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।