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Tuesday 16 May 2023 12:17:54 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान नई दिल्ली में रॉयल बंगाल बाघिन ने 16 जनवरी 2005 केबाद पहलीबार शावकों को जन्म दिया है। रॉयल बंगाल बाघिन सिद्धि ने 4 मई 2023 को पांच शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से दो शावक जीवित और तीन मृत पैदा हुए थे। वर्तमान समय में दो शावक अपनी मां के संरक्षण में हैं, पूरी तरह से भोजन केलिए अपनी मां पर निर्भर हैं और अच्छी अवस्था में हैं। मां बाघिन और उसके शावकों पर सीसीटीवी कैमरों से नज़र रखी जा रही है और चिड़ियाघर के कर्मचारी उनकी नियमित रूपसे निगरानी कर रहे हैं। दिल्ली चिड़ियाघर में चार वयस्क रॉयल बंगाल बाघिन हैं और इन बाघिनों का नाम किरण, सिद्धि, अदिति और बरखा है। बाघिन सिद्धि और अदिति जंगली मूल की हैं, जिन्हें गोरेवाड़ा नागपुर से लाया गया था।
दिल्ली चिड़ियाघर का उद्घाटन 1 नवंबर 1959 को हुआ था और अपने उद्घाटन केबाद से ही वह बाघों का आवास है। इसे 14 मई 1969 को जूनागढ़ चिड़ियाघर से बाघ शावकों के एक जोड़े के बदले शेर का पहला जोड़ा भी प्राप्त हुआ था। बाघों का अधिग्रहण करने के समय से ही दिल्ली चिड़ियाघर में उनका संरक्षण और प्रदर्शन करने केलिए उनका रखरखाव किया जारहा है। दिल्ली चिड़ियाघर से बाघों का देश-विदेश के कई चिड़ियाघरों में आदान-प्रदान भी किया गया है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने 2010 में गंभीर रूपसे लुप्तप्राय हो चुके जंगली जानवरों की प्रजातियों का समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम की शुरूआत की थी, क्योंकि यह राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति 1998 के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है।
राष्ट्रीय समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम केलिए गंभीर रूपसे लुप्तप्राय 73 जंगली जानवरों की प्रजातियों का चयन किया गया और प्रत्येक प्रजाति का समन्वय करने में शामिल चिड़ियाघरों की पहचान की गई। इस कार्यक्रम के अंतर्गत दिल्ली चिड़ियाघर को बाघों का संरक्षण करने में शामिल एक चिड़ियाघर के रूपमें पहचान की गई। यहां रहनेवाले बाघों की आबादी केबीच आनुवंशिक हेट्रोजाइगोसिटी स्थापित करने केलिए पशु विनिमय कार्यक्रम कीभी शुरुआत की गई। वर्तमान समय में बाघों का अधिग्रहण भी बाघों की आनुवंशिक स्वस्थ आबादी को पुन: स्थापित करने केलिए राष्ट्रीय समन्वित नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम का एक हिस्सा है।