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Thursday 18 May 2023 02:08:07 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो-2023 का शुभारंभ किया और नॉर्थ-साउथ ब्लॉक में आगामी राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्चुअल वॉकथ्रू का भी उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर टेक्नो मेला, संरक्षण प्रयोगशाला और प्रदर्शित प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। गौरतलब हैकि 47वें अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का जश्न मनाने केलिए आज़ादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूपमें अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का आयोजन किया जारहा है, जिसका विषय 'संग्रहालय, स्थिरता और भलाई' है। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर बधाई देते हुए उल्लेख कियाकि आजादी के अमृतकाल में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो में प्रौद्योगिकी के समावेश केसाथ इतिहास के विभिन्न अध्याय जीवंत हो रहे हैं। उन्होंने कहाकि जब हम संग्रहालय में प्रवेश करते हैं तो हम अतीत से जुड़ते हैं, संग्रहालय तथ्य और साक्ष्य आधारित वास्तविकता प्रस्तुत करता है और यह अतीत से प्रेरणा प्रदान करता है एवं भविष्य केप्रति कर्तव्य की भावना भी देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि संग्रहालय एक्सपो की थीम 'स्थिरता और भलाई' आजकी दुनिया की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालती है और इस आयोजन को और भी प्रासंगिक बनाती है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि आज का अवसर भारत में संग्रहालयों की दुनिया केलिए एक बड़ा मोड़ होगा। यह रेखांकित करते हुएकि सैकड़ों वर्ष तक चली गुलामी की अवधि के दौरान भूमि की बहुत सारी विरासत खो गई थी, जब प्राचीन पांडुलिपियों और पुस्तकालयों को जला दिया गया था, प्रधानमंत्री ने कहाकि यह न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया की विरासत का भी नुकसान है। उन्होंने स्वतंत्रता केबाद भारत की लंबे समय से खोई हुई विरासत को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने की दिशा में प्रयासों की कमी पर खेद व्यक्त किया, जहां नागरिकों केबीच जागरुकता की कमी ने और भी बड़ा प्रभाव पैदा किया है। देश केलिए पांच संकल्पों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने 'अपनी विरासत पर गर्व करने' पर जोर दिया और रेखांकित कियाकि देश का एक नया सांस्कृतिक ढांचा विकसित किया जारहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि इन प्रयासों से स्वतंत्रता केलिए भारत की लड़ाई के इतिहास केसाथ-साथ देश की हजार साल पुरानी विरासत का पता लगा सकते हैं।
नरेंद्र मोदी ने बतायाकि सरकार हर राज्य और समाज के वर्ग की विरासत केसाथ स्थानीय और ग्रामीण संग्रहालयों के संरक्षण केलिए विशेष अभियान चला रही है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख कियाकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के योगदान को अमर बनाने केलिए दस विशेष संग्रहालयों का विकास किया जा रहा है, जो जनजातीय विविधता की एक झलक प्रदान करने केलिए दुनिया की सबसे अनूठी पहलों में से एक होगी। भूमि की विरासत को संरक्षित करने का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने दांडी पथ का उल्लेख किया, जहां नमक सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी ने मार्च किया था और उस स्थान पर बने स्मारक का उल्लेख किया, जहां उन्होंने नमक कानून तोड़ा था। उन्होंने डॉ भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण स्थल के दिल्ली में 5 अलीपुर रोड पर एक राष्ट्रीय स्मारक के रूपमें पुनर्विकास का भी उल्लेख किया, साथही उनके जीवन से संबंधित पंच तीर्थ के विकास केसाथ महू में, जहां उनका जन्म हुआ, लंदन में जहां वे रहते थे, नागपुर में जहां उन्होंने दीक्षा ली और मुंबई में चैत्य भूमि जहां आज उनकी समाधि मौजूद है। उन्होंने कहाकि हमारी विरासत विश्व एकता की अग्रदूत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, पंजाब में जलियांवाला बाग, गुजरात में गोविंद गुरुजी के स्मारक, वाराणसी में मैन महल संग्रहालय और गोवा में ईसाई कला संग्रहालय का भी उदाहरण दिया। उन्होंने दिल्ली में देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की यात्रा और योगदान को समर्पित प्रधानमंत्री संग्रहालय का भी जिक्र किया और मेहमानों से एक बार इस संग्रहालय में आने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब कोई देश अपनी विरासत का संरक्षण करना शुरू करता है तो वह अन्य देशों केसाथ निकटता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का उदाहरण दिया, जो पीढ़ियों से संरक्षित थे और अब दुनियाभर में भगवान बुद्ध के अनुयायियों को एकजुट कर रहे हैं। उन्होंने अंतिम बुद्ध पूर्णिमा पर श्रीलंका से कुशीनगर में पवित्र अवशेषों के आगमन पर चार पवित्र अवशेषों को मंगोलिया भेजने का उल्लेख किया, इसी तरह गोवा के सेंट केतेवन की विरासत भारत के पास सुरक्षित है और जब अवशेष वहां भेजे गए तो जॉर्जिया में उत्साह को याद किया।
प्रधानमंत्री ने सुझाव दियाकि आनेवाली पीढ़ियों केलिए संसाधनों के संरक्षण में संग्रहालयों को सक्रिय भागीदार बनना चाहिए, संग्रहालय पृथ्वी पर आई कई आपदाओं के संकेतों को संरक्षित और प्रस्तुत कर सकते हैं और पृथ्वी के बदलते चेहरे की प्रस्तुति भी की जा सकती है। एक्सपो के गैस्ट्रोनोमिक खंड का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के प्रयासों के कारण आयुर्वेद और श्री अन्ना मिल्लेट्स की बढ़ती प्रोफ़ाइल के बारेमें बात की। उन्होंने सुझाव दियाकि श्री अन्ना और अन्य अनाजों की यात्रा के बारे में नए संग्रहालय बन सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह सब तब संभव हो सकता है, जब ऐतिहासिक महत्व की चीजों को सहेजकर रखना देश की प्रकृति बन जाए। उन्होंने सुझाव दियाकि प्रत्येक परिवार अपने परिवार का एक पारिवारिक संग्रहालय बनाए। उन्होंने कहाकि आज की साधारण सी बातें आने वाली पीढ़ियों केलिए भावनात्मक संपत्ति होंगी। उन्होंने स्कूलों और अन्य संस्थानों को अपने स्वयं के संग्रहालय बनाने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने शहरों से शहर संग्रहालय बनाने केलिए भी कहा, यह आने वाली पीढ़ियों केलिए विशाल ऐतिहासिक संपदा का सृजन करेगा।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि संग्रहालय युवाओं केलिए एक करियर विकल्प बन रहा है, हमें इन युवाओं को केवल संग्रहालय के कर्मचारियों के रूपमें नहीं देखना चाहिए, बल्कि इतिहास और वास्तुकला जैसे विषयों से जुड़े युवाओं के रूपमें देखना चाहिए, जो वैश्विक सांस्कृतिक कार्रवाई का माध्यम बन सकते हैं। उन्होंने कहाकि ये युवा देश की विरासत को विदेशों तक ले जाने और उनसे अपने अतीत के बारेमें जानने में काफी कारगर साबित होंगे। प्रधानमंत्री ने तस्करी और कलाकृतियों के विनियोग की सामूहिक चुनौतियों का उल्लेख किया और कहाकि भारत जैसे प्राचीन संस्कृति वाले देश सैकड़ों वर्ष से इससे जूझ रहे हैं। उन्होंने कहाकि स्वतंत्रता से पहले और बादमें कई कलाकृतियों को अनैतिक तरीके से देश से बाहर ले जाया गया है और इस तरह के अपराधों को समाप्त करने केलिए सभी से मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि दुनिया में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा केबीच विभिन्न देशों ने भारत की विरासत को लौटाना शुरू कर दिया है। उन्होंने बनारस से चुराई गई माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति, गुजरात से चोरी हुई महिषासुरमर्दिनी की मूर्ति, चोल साम्राज्य के दौरान बनी नटराज की मूर्ति और गुरु हरगोबिंद सिंहजी के नाम से सजी तलवार का उदाहरण दिया।
प्रधानमंत्री ने बतायाकि आजादी केबाद के कई दशक में 20 से भी कम की तुलना में पिछले 9 वर्ष में लगभग 240 प्राचीन कलाकृतियां बरामद की गई हैं और भारत वापस लाई गई हैं। उन्होंने कहाकि इन 9 वर्ष में भारत से सांस्कृतिक कलाकृतियों की तस्करी भी काफी कम हुई है। उन्होंने दुनियाभर के कला पारखियों, विशेष रूपसे संग्रहालयों से जुड़े लोगों से इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि किसीभी देश के किसीभी संग्रहालय में ऐसी कोई कलाकृति नहीं होनी चाहिए, जो वहां अनैतिक तरीके से पहुंची हो, हमें इसे सभी संग्रहालयों केलिए एक नैतिक प्रतिबद्धता बनाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम अपनी विरासत का संरक्षण करेंगे और एक नई विरासत भी बनाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने केलिए आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूपमें अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है। संग्रहालय एक्सपो को संग्रहालय पेशेवरों केसाथ संग्रहालयों पर एक समग्र बातचीत शुरू करने केलिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि वे भारत की सांस्कृतिक कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सांस्कृतिक केंद्रों के रूपमें विकसित हो सकें।
संग्रहालय भारत के अतीत से संबंधित उन ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों, विचारों और उपलब्धियों को उजागर करने और प्रदर्शित करने का एक व्यापक प्रयास है, जिन्होंने भारत के वर्तमान को बनाने में योगदान दिया है। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो के शुभंकर, ग्राफिक उपन्यास-संग्रहालय में एक दिन, भारतीय संग्रहालयों की निर्देशिका, कर्तव्य पथ के पॉकेट मानचित्र और संग्रहालय कार्ड का भी अनावरण किया। अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का शुभंकर चेन्नापटनम कला शैली में लकड़ी से बनी डांसिंग गर्ल का समकालीन संस्करण है। ग्राफिक नॉवेल राष्ट्रीय संग्रहालय में आनेवाले बच्चों के एक समूह को चित्रित करता है, जहां वे संग्रहालय में उपलब्ध करियर के विभिन्न अवसरों के बारेमें सीखते हैं। भारतीय संग्रहालय की निर्देशिका भारतीय संग्रहालयों का एक व्यापक सर्वेक्षण है। कर्तव्य पथ का पॉकेट मैप विभिन्न सांस्कृतिक स्थानों और संस्थानों पर प्रकाश डालता है और यह प्रतिष्ठित मार्गों के इतिहास का भी पता लगाता है। संग्रहालय कार्ड देशभर में प्रतिष्ठित संग्रहालयों के सचित्र अग्रभागों के साथ 75 कार्डों का एक सेट है और सभी उम्र के लोगों केलिए संग्रहालयों को पेश करने का एक अभिनव तरीका है और प्रत्येक कार्ड में संग्रहालयों के बारेमें संक्षिप्त जानकारी होती है। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, मीनाक्षी लेखी और लौवर अबू धाबी के निदेशक मैनुअल रबाटे भी उपस्थित थे।