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Wednesday 7 June 2023 01:37:27 PM
डरबन। भारतीय नौसेना रंगभेद के खिलाफ महात्मा गांधी के संघर्ष की शुरुआत के 130 साल पूरे होने पर डरबन के पीटरमैरिट्सबर्ग रेलवे स्टेशन पर स्मारक कार्यक्रम में भाग लेगी, इसमें शामिल होने केलिए भारतीय नौसेना का एक अग्रिम पंक्ति का युद्धपोत आईएनएस त्रिशूल पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर 7 जून 1893 की घटना की 130वीं वर्षगांठ मनाने केसाथ भारत और दक्षिण अफ्रीका केबीच राजनयिक संबंधों के 30 साल पूरे होने पर डरबन पहुंच चुका है। आईएनएस त्रिशूल की डरबन यात्रा भारतीय नौसेना के आजादी के अमृत महोत्सव के उत्सव केसाथ जारी है, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आकार देनेवाले महत्वपूर्ण क्षणों का जश्न मनाया जा रहा है। ज्ञातव्य हैकि महात्मा गांधी 1893 में व्यापारी दादा अब्दुल्ला के कानूनी सलाहकार के रूपमें काम करने केलिए दक्षिण अफ्रीका के डरबन पहुंचे थे और 7 जून 1893 को ट्रांसवाल में प्रिटोरिया की यात्रा के दौरान वे पहलीबार पीटरमेरिट्जबर्ग स्टेशन पहुंचे थे।
गांधीजी टिकट खरीदकर प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे थे, उन्हें एक यूरोपीय के कहने पर डिब्बे से बाहर निकाल दिया गया, क्योंकि उसके अनुसार प्रथम श्रेणी के डिब्बे में कुली और अश्वेतों को अनुमति नहीं थी। इस घटना को ट्रिगर माना जाता है, जिसने महात्मा गांधी को नस्लीय उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई और सत्याग्रह के जन्म केलिए प्रेरित किया। पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी के सत्याग्रह की प्रेरक कहानी को 25 अप्रैल 1997 को एक और जीवन मिला, जब पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर एक भव्य समारोह में गांधीजी को मरणोपरांत फ्रीडम ऑफ पीटरमेरिट्जबर्ग समर्पित किया गया, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने की थी।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने एक सदी पुराने गलत को सही करने केलिए एकत्रित लोगों को संबोधित करते हुए कहा थाकि गांधीजी उत्पीड़न के खिलाफ व्यक्तिगत बलिदान और समर्पण का एक महान उदाहरण हैं। डरबन यात्रा के दौरान जहाज पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर स्मारक कार्यक्रम में भाग लेगा, जिसमें गांधीजी प्लिंथ पर पुष्पांजलि अर्पित करना और आईएन बैंड का प्रदर्शन शामिल है। यात्रा के दौरान आईएनएस त्रिशूल अन्य व्यावसायिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लेगा।