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'भारत असाधारण भाषाई विविधता से समृद्ध'

अभिलेखागार दिवस पर 'हमारी भाषा, हमारी विरासत' प्रदर्शनी

संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने किया प्रदर्शनी का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 10 June 2023 01:50:17 PM

'our language, our heritage' exhibition on archives day

नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने राष्ट्रीय अभिलेखागार नई दिल्ली में 75वां अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस मनाने केलिए आजादी के अमृत महोत्सव केतहत 'हमारी भाषा, हमारी विरासत' शीर्षक से प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर कहाकि यह प्रदर्शनी एक राष्ट्र के रूपमें भारत की भाषाई विविधता की बहुमूल्य विरासत को याद करने का एक प्रयास है, 'राष्ट्र एक भाषा अनेक' भारत असाधारण भाषाई विविधता से समृद्ध है। मीनाक्षी लेखी ने कहाकि एक अनुमान के अनुसार वैश्विक स्तरपर बोली जाने वाली 7111 भाषाओं में से लगभग 788 भाषाएं अकेले भारत में बोली जाती हैं, इस प्रकार पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया और नाइजीरिया के साथ भारत दुनिया के चार सबसे अधिक भाषाई विविधता वाले देशों में से एक है।
संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस पर राष्ट्रीय अभिलेखागार ने 5-6 सदी केबीच लिखी गई गिलगित पांडुलिपि उपलब्ध कराई है, जो भारत का सबसे पुराना पांडुलिपि संग्रह है। उन्होंने कहाकि कश्मीर क्षेत्र में बर्च के पेड़ों की छाल की आंतरिक परत के टुकड़ों पर लिखे बर्च की छाल फोलियो दस्तावेजों में विहित एवं गैर-विहित जैन तथा बौद्ध रचनाएं शामिल हैं, जो विभिन्न धार्मिक-दार्शनिक साहित्य के विकास पर प्रकाश डालते हैं। उन्होंने कहाकि युवा पीढ़ी को गिलगित पांडुलिपियों से परिचित कराया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय अभिलेखागार को इस परिसर में लगभग 72000 से अधिक पांडुलिपियां उपलब्ध कराने केलिए बधाई दी और कहाकि डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के जरिए ये पांडुलिपियां दुनियाभर में पहुंचेंगी, जो विशेष रूपसे हमारी युवा पीढ़ी को इनसे अवगत होने में मदद करेगी।
यह प्रदर्शनी अभिलेखीय भंडार से निकाली गई मूल पांडुलिपियों जैसे बर्च-छाल पर लिखित गिलगित पांडुलिपियां, तत्वार्थ सूत्र, रामायण और श्रीमद भगवद्गीता आदि, सरकार की आधिकारिक फाइलों, औपनिवेशिक शासन के तहत प्रतिबंधित साहित्य, प्रतिष्ठित हस्तियों की निजी पांडुलिपियों केसाथ-साथ एनएआई पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकों के समृद्ध संग्रह में से चयनित संकलन प्रस्तुत करती है। प्रदर्शनी में दुनिया की सबसे प्राचीन पांडुलिपियां शामिल हैं-गिलगित पांडुलिपियों को नौपुर गांव (गिलगित क्षेत्र) में तीन चरणों में खोजा गया था और इसकी घोषणा पहलीबार 1931 में पुरातत्वविद् सर ऑरेल स्टीन ने की थी। इतना ही नहीं यह प्रदर्शनी देशभर में बोली जानेवाली विभिन्न भाषाओं से संबंधित अभिलेखीय रिकॉर्ड के विशाल कोष पर प्रकाश डालती है। राष्ट्रीय अभिलेखागार प्रदर्शनी के जरिए भारत की भाषाई विविधता को नमन करता है।
प्राचीनकाल से ही भारत की भाषाएं न केवल उन्हें बोलने वालों केलिए, बल्कि विदेशियों केलिए भी रुचि का विषय रही हैं, जिन्होंने भारतीय भाषाओं पर गंभीर अध्ययन किया। यह प्रदर्शनी 8 जुलाई 2023 तक शनिवार, रविवार और राष्ट्रीय अवकाश सहित प्रत्येक दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक जनता के देखने केलिए खुली रहेगी। ज्ञातव्य हैकि राष्ट्रीय अभिलेखागार की स्थापना 11 मार्च 1891 को कोलकाता में इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग के रूपमें की गई थी। वर्ष 1911 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने केबाद राष्ट्रीय अभिलेखागार की वर्तमान इमारत का निर्माण 1926 में किया गया था। इस इमारत का डिजाइन सर एडविन लुटियंस ने तैयार किया था। सभी अभिलेखों का कलकत्ता से नई दिल्ली स्थानांतरण 1937 में पूरा हुआ।
राष्ट्रीय अभिलेखागार सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम-1993 और सार्वजनिक अभिलेख नियम-1997 के कार्यांवयन केलिए नोडल एजेंसी भी है। वर्तमान में राष्ट्रीय अभिलेखागार के अपने भंडारों में अभिलेखों का एक विशाल संग्रह उपलब्ध है। इस संग्रह में फाइलें, वॉल्यूम, मानचित्र, भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत विधेयक, संधियां, दुर्लभ पांडुलिपियां, प्राच्य अभिलेख, निजी कागजात, कार्टोग्राफिक अभिलेख, राजपत्र और राजपत्रों का महत्वपूर्ण संग्रह, जनगणना के अभिलेख, विधानसभा और संसद की बहसें, प्रतिबंधित साहित्य, यात्रा वृत्तांत आदि भी शामिल हैं। प्राच्य अभिलेखों का एक बड़ा हिस्सा संस्कृत, फारसी, अरबी आदि भाषाओं में है।

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