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यूएनएससी के विस्तार का समय आ गया-रक्षामंत्री

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के 75 साल पर भारतीय सेना का सेमिनार

राष्ट्रों के बीच अभिनव दृष्टिकोण और सहयोग बढ़ाने का आह्वान

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Tuesday 13 June 2023 04:59:44 PM

indian army seminar on 75 years of un peacekeeping

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्तराष्ट्र शांतिरक्षकों की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने केलिए जिम्मेदार राष्ट्रों के बीच अभिनव दृष्टिकोण और सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है, जो स्थिरता बनाए रखने, संघर्षों को रोकने और शांति बहाली की सुविधा केलिए हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। रक्षामंत्री आज नई दिल्ली में संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय सेना के विशेष सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शांति सैनिकों के सामने तेजीसे उभरती हुई चुनौतियों के बारे में प्रकाश डालते हुए शांति सैनिकों की सुरक्षा और उत्पादकता केलिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और संसाधनों में अधिक से अधिक निवेश करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शांति अभियानों में महिलाओं की सार्थक भागीदारी का समर्थन करते हुए इस बात पर जोर दियाकि संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में चलाए जा रहे मिशन के दौरान उनके विशिष्ट योगदान को भी मान्यता दी जानी चाहिए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा परिषद सहित संयुक्तराष्ट्र के निर्णय लेने वाले निकायों को दुनिया की जनसांख्यिकीय वास्तविकताओं केप्रति अधिक चिंतनशील बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहाकि जब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत, सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूपमें एक सीट प्राप्त नहीं कर पाता है तो इससे संयुक्तराष्ट्र की नैतिक वैधता कमजोर होती है, इसलिए अब संयुक्तराष्ट्र के निकायों को अधिक लोकतांत्रिक और हमारे युग की मौजूदा वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करने वाला बनाने का समय आ गया है। राजनाथ सिंह ने संयुक्तराष्ट्र के शांति अभियानों की भूमिका की सराहना की और बाह्यता की आर्थिक अवधारणा के माध्यम से ऐसे मिशनों केलिए उत्साही वैश्विक समर्थन का उल्लेख किया। राजनाथ सिंह ने कहाकि जब कोई संघर्ष होता है तो यह सीधे तौर पर इसमें शामिल लोगों केलिए हानिकारक होता है, इसके अलावा इसमें अप्रत्यक्ष रूपसे शामिल व्यक्तियों केलिए नकारात्मक बाह्यताएं होती हैं। गौरतलब हैकि संयुक्तराष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्रतिवर्ष संयुक्तराष्ट्र शांति अभियानों में सेवा करने वाले सैनिकों के समर्पण और साहस का सम्मान करने तथा उन सैनिकों का स्मरण करने केलिए मनाया जाता है, जिन्होंने शांति स्थापना केलिए अपने जीवन का बलिदान दिया है।
रक्षामंत्री ने उल्लेख कियाकि वर्तमान में चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष से अनेक नकारात्मक बाह्यताएं उत्पन्न हुई हैं, इससे विभिन्न अफ्रीकी और एशियाई देशों में खाद्य संकट उत्पन्न हुआ है और दुनिया में ऊर्जा संकट को भी बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहाकि किसी विशेष स्थान या क्षेत्र में होने वाले संघर्ष से कई दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं, जो पूरी दुनिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, इसलिए बाकी दुनिया इस संघर्ष को सुलझाने और शांति बहाली कराने में एक हितधारक बन जाती है और ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शांति में सकारात्मक बाह्यता मौजूद रहती है। रक्षामंत्री ने कहाकि जब संघर्ष में लिप्त पक्ष शांति की बहाली करते हैं तो वे मानव जीवन को बचाने, उच्च आर्थिक विकास गति हासिल करके लाभांवित ही होते हैं, बाकी दुनिया को भी इससे लाभ मिलता है, क्योंकि शांति स्थिरता को बढ़ावा देती है और आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहित करती है। राजनाथ सिंह ने कहाकि शांति की सकारात्मक बाह्यता और युद्ध की नकारात्मक बाह्यता संयुक्तराष्ट्र को जिम्मेदार राष्ट्रों केसाथ संघर्ष को हल करने की दिशा में कार्य करने केलिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहाकि इस कार्रवाई को संघर्ष क्षेत्रों में संयुक्त शांति मिशनों की तैनाती के रूपमें व्यक्त किया जा सकता है।
रक्षामंत्री ने कहाकि भारत के संयुक्तराष्ट्र शांति अभियानों में योगदान की एक समृद्ध विरासत रही है और यह शांति सैनिकों का सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश है, इसने अबतक ऐसे शांति अभियानों में लगभग 2.75 लाख सैनिकों का योगदान दिया और वर्तमान में 12 संयुक्तराष्ट्र मिशनों में इसके लगभग 5900 सैनिकों को तैनात किया गया है। उन्होंने बतायाकि 1950 में कोरिया में अपनी पहली प्रतिबद्धता से लेकर अबतक भारतीय सैनिकों ने अपनी पेशेवर उत्कृष्टता केलिए सार्वभौमिक प्रशंसा अर्जित करते हुए जटिल, असहनीय शांति अभियानों का पर्यवेक्षण किया है। रक्षामंत्री ने उन सभी भारतीयों का आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने संयुक्तराष्ट्र शांति सैनिकों के रूपमें सेवा की है या वर्तमान में सेवा कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि हमारे साहसी सैनिक, पुलिसकर्मी और नागरिक विशेषज्ञों ने शांति स्थापना केलिए असाधारण समर्पण और अटूट प्रतिबद्धता का शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों और कठिन से कठिन माहौल में नि:स्वार्थ सेवा की है, शांति व्यवस्था की भावना को मूर्तरूप देते हुए संयुक्तराष्ट्र चार्टर में शामिल सिद्धांतों को बरकरार रखा है, उनकी अटूट प्रतिबद्धता, पेशेवर रुख और बलिदान हम सभीको प्रेरित करते हैं।
राजनाथ सिंह ने कर्तव्य निभाने के दौरान अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों केप्रति संवेदना व्यक्त की और उन्हें सरकारी सहायता देने का वादा किया। उन्होंने अधिक न्यायसंगत, शांतिपूर्ण और समावेशी दुनिया का निर्माण करने वाले शांति सैनिकों के बलिदान का सम्मान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि आइए हम राष्ट्रों केबीच संवाद, समझ और सहयोग को बढ़ावा देने केलिए अपनी प्रतिबद्धताओं को नया रूप प्रदान करें, एकसाथ मिलकर हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं, जहां हर व्यक्ति शांति, सद्भाव और सम्मान केसाथ रह सके। थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने अपने संबोधन में संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना में भारत के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि भारत के विश्व में विभिन्न शांति स्थापना अभियानों में लगभग 5900 शांतिसैनिक काम कर रहे हैं, जिसमें महिला कर्मचारी, अधिकारी और सैन्य पर्यवेक्षकों सहित कांगो में संयुक्तराष्ट्र संगठन स्थाईकरण मिशन में महिला कार्य दल और अबेई केलिए संयुक्तराष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल शामिल हैं। थल सेनाध्यक्ष ने उभरती नई और जटिल सुरक्षा चुनौतियों केबीच संयुक्तराष्ट्र शांति सेना की जीवनशक्ति कोभी रेखांकित किया तथा साथी देशों की घनिष्ठ भागीदारी में संयुक्तराष्ट्र में देश की जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता को पूरा करने केलिए भारतीय सेना की तत्परता का भी जिक्र किया है।
रक्षामंत्री ने भारत की समृद्ध और उल्लेखनीय शांति स्थापना यात्रा के एक सचित्र संकलन का अनावरण किया, देश के शांति स्थापना इतिहास का प्रदर्शन करने वाली एक फोटो प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। संयुक्तराष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने वीडियो संदेश से सेमिनार को संबोधित किया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, भारत के संयुक्तराष्ट्र रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प और रक्षा मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। सेमिनार में सेना के अधिकारियों ने भारतीय संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना का एक सिंहावलोकन मिशन के पूर्व प्रमुख संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा बल के बल कमांडर और पद्मभूषण से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल सतीश नांबियार (सेवानिवृत्त) का संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना में भारतीय सेना के ऐतिहासिक मूल्यांकन पर दिया गया भाषण शामिल रहा। पूर्व थलसेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कंपोज़ (सेवानिवृत्त) के संचालित विचार-विमर्श सत्र में संयुक्तराष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी के विचारों का आदान-प्रदान शामिल रहा, भारत केलिए संयुक्तराष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प, इथियोपिया और इरिट्रिया में पूर्व फोर्स कमांडर मोनस्को एवं संयुक्तराष्ट्र मिशन तथा संयुक्तराष्ट्र महासचिव मेजर जनरल पैट्रिक कैमर्ट (सेवानिवृत्त) के पूर्व सैन्य सलाहकार ने विकसित विश्वव्यवस्था में संयुक्तराष्ट्र शांति अभियानों की प्रासंगिकता के विषय पर चर्चा की।

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