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'इंद्रप्रस्थ' के पुराने किले में मनोरम खोजें!

दूतावास प्रतिनिधियों ने राज्यमंत्री के साथ देखा उत्खनन कार्य

दिल्ली के प्राचीन शहर में देश और दुनिया की पुरातात्विक रुचि

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Thursday 22 June 2023 12:49:48 PM

embassy representatives saw the excavation work along with the minister of state

नई दिल्ली। हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली के यानी विख्यात प्राचीन शहर इंद्रप्रस्थ का पुराना किला दशकों से इतिहासकारों, पर्यटकों केलिए पुरातात्विक महत्व के स्थल खोज और रुचि का विषय है। महाभारतकाल के भारत में सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक यह पुराना किला देश-दुनिया केलिए महान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है और इसकी खुदाई से इसके रहस्यों को उजागर करने का एक निरंतर प्रयास हो रहा है। इसके उत्खनन में महत्वपूर्ण निष्कर्ष में इंद्रप्रस्थ के 2500 वर्ष से अधिक के निरंतर इतिहास के बारेमें महत्वपूर्ण और अद्भुत जानकारी प्राप्त होती है। केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने दूतावासों के प्रतिनिधियों केसाथ यहां चल रहे उत्खनन कार्य का निरीक्षण किया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के भव्य उत्सव में शामिल दूतावासों के प्रतिनिधियों ने पुराना किला में उत्खनन के माध्यम से प्राप्त की गई मनोरम खोजों को प्रत्यक्ष रूपसे देखा। गौरतलब हैकि नई दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ रखने की मांग भी उठा करती है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक और पुराना किला में उत्खनन की देखरेख करने वाले मुख्य उत्खननकर्ता डॉ वसंत कुमार स्वर्णकार ने इस अवसर पर इंद्रप्रस्थ के पुराने किले की दीवारों के भीतर समृद्ध विरासत और ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए उल्लेखनीय निष्कर्षों को दूतावासों के प्रतिनिधियों और संस्कृति राज्यमंत्री के सामने प्रदर्शित किया। उन्होंने प्राचीन कलाकृतियों, संरचनाओं और वास्तु चमत्कारों को उजागर करने की जटिल प्रक्रिया का विवरण देते हुए चल रहे शोधकार्य की मूल्यवान जानकारियां साझा कीं। दूतावासों के प्रतिनिधियों ने यहां की प्राचीन सभ्यताओं और पुराने किले की परतों के भीतर संरक्षित मानव इतिहास के ठोस प्रमाणों को देखा और आश्चर्य चकित हो गए। संस्कृति राज्यमंत्री ने नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल देते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से उत्खनन से पहले लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सर्वेक्षण करने का आग्रह किया।
दिल्ली में पुराने किले के ऐतिहासिक स्थल पर जनवरी 2023 में शुरू की गई खुदाई का उद्देश्य इस स्थल के बारेमें पूरा महाभारत कालक्रम स्थापित करना है। वर्तमान में शुरुआती कुषाणकाल की संरचनाएं उजागर हुई हैं, जिनकी गहराई 5.50 मीटर तक पहुंच गई है। इस खुदाई से प्राचीन शहर इंद्रप्रस्थ के बारेमें और भी जानकारी मिलने की संभावना है। उत्खनन से कलाकृतियों का उल्लेखनीय संग्रह प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय निष्कर्षों में वैकुंठ विष्णु की एक पत्थर की छवि, गज लक्ष्मी की एक टेराकोटा पट्टिका, गणेश की एक पत्थर की छवि, मुहरें और मुद्रण, सिक्के, मनुष्यों और जानवरों की टेराकोटा मूर्तियां, विभिन्न पत्थरों के मोती, टीसी और हड्डी की सुईं शामिल हैं। इन कलाकृतियों में मिट्टी के बर्तनों और अन्य पुरावशेषों केसाथ स्थल पर प्राचीन सभ्यता और व्यापार गतिविधियों में मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं। उत्खनन से 2500 वर्ष तक फैले मानव आवास और गतिविधियों के निरंतर अस्तित्व का पता चला है, जो पुराना किला के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है। एक छोटे से उत्खनित क्षेत्र से 136 से अधिक सिक्के और 35 मुहरें और मुद्रण मिली हैं, जो व्यापार गतिविधियों के केंद्र के रूप में स्थल की महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत देती हैं।
पुराना किला में खुदाई के प्राप्त अवशेष भारत में चल रहे जी20 शिखर सम्मेलन के प्रतिनिधियों केलिए अविस्मरणीय आकर्षण के रूपमें काम करेंगे। उल्लेखनीय है कि भारत के पास यह बड़ा अवसर हैकि जब वह जी20 देशों से अपने देश के विभिन्न ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की विरासत इतिहास और संस्कृति को सप्रमाण साझा कर रहा है। जी20 शिखर सम्मेलन सितंबर 2023 में दिल्ली में आयोजित होने वाला है। पुराना किला भारत की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता केलिए एक प्रपत्र के रूपमें खड़ा है और वहां उत्खनन कार्य क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व के बारेमें हमारी समझ को और गहरा करने का भरोसा प्रदान करता है। उत्खनन कार्य से ओपन एयर साइट म्यूज़ियम की स्थापना के साथ-साथ सुरक्षा और संरक्षण के प्रयास यह सुनिश्चित करेंगे कि यहां के ऐतिहासिक खजाने को वर्तमान और भावी पीढ़ियों द्वारा सराहा जा सके।
पुराना किला अतीत में भी कई उत्खनन कार्यों का साक्षी रहा है, विशेष रूपसे पद्मश्री प्रोफेसर बीबी लाल ने वर्ष 1955 और वर्ष 1969 से 1973 के बीच यहां खुदाई की, इसके बाद वर्ष 2013-14 और वर्ष 2017-18 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डॉ वसंत कुमार स्वर्णकार के नेतृत्व में खुदाई की। इन प्रयासों ने नौ सांस्कृतिक स्तरों को प्रकट किया है, जो पूर्व-मौर्य, मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त, उत्तर-गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल सहित विभिन्न ऐतिहासिक काल का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय में सचिव गोविंद मोहन, संयुक्त सचिव संजुक्ता मुद्गल, एएसआई के महानिदेशक केके बसा, एएसआई के उत्तरी क्षेत्र के निदेशक, एसएडी दिल्ली सर्किल केसाथ संस्कृति मंत्रालय और एएसआई के अधिकारी भी उपस्थित थे।

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