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जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी : सांकेतिक भेंट!

दोनों 2024 में पुन: राष्ट्रपति प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी रहेंगे!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह है ऐतिहासिक अमेरिका यात्रा

Saturday 24 June 2023 02:18:53 PM

के विक्रम राव

के विक्रम राव

joe biden and narendra modi

गत तीन दशक में अपनी सातवीं अमेरिकी यात्रा पर नरेंद्र मोदी को पिछली (29-30 सितंबर 2014) वाली अमेरिकी यात्रा सर्वाधिक यादगार रही होगी। दशहरा का दिन था। नवरात्रि का सप्ताह। तब यह देवीभक्त गुजराती उपवास पर था। वाशिंगटन में केवल जल पीता रहा। मेजबान बराक हुसैन ओबामा चकित थे। बिना गोश्त खाये, कोई राजनेता उन्हें तबतक नहीं मिला था। अतः अचंभा अधिक था। गहन भी इसलिए कि मोदी अन्न खाये बिना रहे। अबतक भारत के नौ प्रधानमंत्री अमेरिका जा चुके हैं। नरेंद्र मोदी के पहले उन्हीं के गुजराती भाई मोरारजी देसाई (24-28 मार्च 1979) अमेरिका गए थे, पर सादगी से रहे। तेलुगू विप्र पीवी नरसिम्हा राव तो शुद्ध शाकाहारी थे। शेष सभी सहज अतिथि थे। जवाहरलाल नेहरू और उनकी पुत्री तथा पौत्र को तो गौ मांस से कतई कोई परहेज कभी नहीं रहा था। अटल बिहारी वाजपेई 1996 में और फिर 2004 में दुबारा अमरीका गए। उनकी खास पसंद था जायकेदार भुना हुआ उषाकर जो बांग देता है।
सर्वप्रथम 1994 में एक युवा, भाजपा राजनेता के रूपमें नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे। अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकी युवा राजनीतिक नेताओं की परिषद अन्य देशों के युवा नेताओं की मानसिकता तथा चिंतन समझने केलिए अपने यहां वहां के नेताओं को बुलाती है। इसी क्रम में अमेरिकन काउंसिल ऑफ यंग पॉलीटिकल लीडर्स के कार्यक्रम में तबके बीजेपी के युवा नेता नरेंद्र मोदी को बुलाया गया था। उस दौरान नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में इंडियन पॉलिटिक्स, फॉरेन रिलेशंस पर विस्तार से बात की थी। तब उनके साथ थे तेलंगाना के नेता जी किशन रेड्डी जो आज मोदी सरकार में संस्कृति और पर्यटन मंत्री हैं। बड़ा दुखद घटनाक्रम रहा नरेंद्र मोदी केलिए 2002 में जब राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने उन्हें वीजा देने से मनाकर दिया था। उस साल गुजरात में दंगे भी हुए थे और नरेंद्र मोदी ही मुख्यमंत्री थे। बराक ओबामा के समय तीन बार, फिर डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति काल में दो बार (26 जून 2017 और सितंबर 2019) में नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे। डोनाल्ड ट्रंप तो अहमदाबाद भी आए थे, मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में उनकी सभा हुई थी।
मगर नरेंद्र मोदी की इस सप्ताह की अमेरिकी यात्रा विश्व पटल की नज़र में अत्यंत महत्वपूर्ण रही। हालांकि एक ख़बर आई थीकि अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा हैकि राष्ट्रपति जो बाइडेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केसाथ अपनी बैठक के दौरान बहुसंख्यक हिंदू भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाना चाहिए-'यदि आप भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते हैं, तो इस बात की प्रबल संभावना हैकि भारत अलग-थलग पड़ सकता है' कहा बराक ओबामा ने। नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर सोनिया-कांग्रेस की प्रवक्ता ने ट्विटर पर यह ख़बर भेजी, जिसे बराक ओबामा ने एक न्यूज़ चैनल पर कहा। इसपर भाजपाई का जवाब हो सकता हैकि राहुल गांधी के बारेमें बराक ओबामा ने अपने संस्मरण 'ए प्रामिस्ड लैंड' (17 नवंबर 2020) में क्या लिखा था? 'एक नर्वस, अपरिपक्व गुण है, जैसेकि वे एक छात्र थे, जिन्होंने पाठ्यक्रम का काम किया था और शिक्षक को प्रभावित करने केलिए उत्सुक थे, लेकिन अंदर ही अंदर इस विषय में महारत हासिल करने की योग्यता या जुनून की कमी थी'।
नरेंद्र मोदी की अमेरिका की प्रथम यात्रा यूं भी दिलचस्प थी। वे सितंबर 1993 में अमेरिका पहुंचे थे। आरएसएस प्रचारक के रूपमें नरेंद्र मोदी और मुरलीमनोहर जोशी स्वामी विवेकानंद की 100वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने शिकागो गए थे। यह नरेंद्र मोदी की पांच दिवसीय अमेरिका यात्रा थी। जब शिकागो पहुंचे, तब उनके पास 10 बाय 10 इंच का एक छोटा सा बैग था, जिसमें सिर्फ दो जोड़ी कपड़े रखे थे। कपड़ों के अलावा बैग में बस दैनंदिन का कुछ और थोड़ा बहुत सामान होगा। नरेंद्र मोदी ने शिकागो में चार दिन गुजारे थे। नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा का विश्लेषण हो तो अब हिंदूवादी नेता ईसाई बहुल अमेरिका जाए और वहां भगवा का प्रचार न करें? ऐसा तो मुमकिन नहीं है। इसीलिए नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन को साढ़े सात कैरेट का हीरा 'कश्मीर के कोर कलमदारी' वाला भेंट में दिया। फिर मैसूर का मशहूर चंद्रमा तथा मोर, साथमें गणेश की प्रतिमा। वक्त की नज़ाकत और महत्व को भांपकर मोदी ने याद किया कि जो बाइडेन गत 20 नवंबर को 80 वर्ष के हो गए हैं।
हिंदू आस्था में इसे सताभिषेकम कहते हैं यानी जब व्यक्ति अस्सी वसंत देख लेता है। मकसद है कि वह जीवन, स्वास्थ्य और ऊर्जा से संपूर्ण रहा होगा। अर्थात व्यक्ति ने एक हजार पूर्णमासी देखी हो। लक्ष्मी, आयुष, गणपति, अमृत, मृत्युंजय और धन्वंतरि का आशीर्वाद लें। राष्ट्रपति बाइडेन को मोदी ने दस भेंट (दान) दिए क्योंकि वे 'दृष्ट सहस्त्रचंद्रः' हो गए हैं। इसमें पहला है-गोदान के रूपमें चांदी का नारियल। फिर भूदान के रूपमें मैसूर का चंदन। तिलदान में तमिलनाडु की शीशम की लकड़ी। राजस्थान से लाया गया स्वर्ण हिरण्यदान। पंजाब से शुद्ध घी जिसे धृतदान कहते हैं। अब आया वस्त्रदान अर्थात झारखंड का रेशम। उत्तराखंड के लंबे आकार के चावल (धानदान)। महाराष्ट्र से ईख़ (गुड़दान)। राजस्थान की चांदी का पात्र रोप्यदान और अंत में गुजरात का नमक (लवणदान)। जो बाइडेन अमेरिका राष्ट्रपति का चुनाव फिर लड़ने वाले हैं। अतः यह सब शुभ लक्षण हैं। स्वयं जो बाइडेन ने नरेंद्र मोदी को अमेरिका कवि रॉबर्ट फ्रास्ट की पुस्तक भेंट की है। इसी कवि की मशहूर पंक्ति थी-'चिरनिद्रा में जाने के पूर्व मुझे कई मीलों का सफर तय करना है।' यह बड़ा सांकेतिक है मोदी के लिए जो अभी 73 वर्ष के ही हैं। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव का सामना कर रहे हैं। अर्थात मोदी और बाइडेन दोनों नए चुनाव की तैयारी में हैं। एक दूसरे के लिए शुभाकांक्षाएं तो चाहिएं ही। (के विक्रम राव देश के जाने-माने पत्रकार हैं, स्तंभकार हैं। यह आलेख उनकी वॉलपोस्ट से साभार)। 

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