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Tuesday 18 June 2013 08:27:09 AM
नई दिल्ली। मौसम विभाग ने इस बार देश के कई राज्यों के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश का अनुमान व्यक्त किया है, जिससे नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी से और ज्यादा तबाही हो सकती है। घनघोर वर्षा का मुख्य केंद्र उत्तर भारत बताया गया है, जिनमें पर्वतीय और तराई से जुड़े मैदानी इलाके खासतौर से इंगित हैं। इन्हें सलाह दी गई है कि वे सतर्क रहें।
उधर भारतीय वायुसेना अचानक बाढ़ से ग्रस्त इलाकों में भारी अवरोधों का सामना करते हुए ऑपरेशन ‘राहत’ अभियान में जुटी है। भारी बारिश ने 16 जून से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाकों में काफी विकाराल रूप धारण कर लिया है, और तबाही मचा रखी है, जिसकी वजह से तीर्थयात्रियों सहित हजारों लोग विभिन्न घाटियों में फंसे हुए हैं। पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) मुख्यालय ने विभिन्न राज्यों के बाढ़ से राहत संबंधी सहायता के अनुरोध पर त्वरित प्रतिक्रिया की है। इसके साथ ही वायुसेना ने यमुनानगर, केदारनाथ-बद्रीनाथ क्षेत्र, रूद्रप्रयाग घाटी, करचम-पुह क्षेत्र में बचाव कार्य शुरू कर किया हुआ है।
सहारनपुर के सरसावा वायुसेना स्टेशन को इस अभियान के लिए केंद्र बनाया गया है, जहां भटिंडा और हिंडन से हेलीकॉप्टर लाए गए हैं। हाल ही में शामिल एमआई-17 वी 5 सहित मध्यम भार वहन करने वाले अनेक हेलीकॉप्टरों को 17 जून को खराब मौसम के बावजूद देहरादून के जॉलीग्रांट हैलीपैड पर स्थित किया गया। एमआई-17 वी 5 से 17 जून को करनाल क्षेत्र से 36 लोगों को बचाया गया। इसके अलावा 15 बच्चों सहित 21 यात्रियों को नकुड़ से बचाया गया। आज हिमाचल प्रदेश के रामपुर-रेकोंगपिओ क्षेत्र में एनडीआरएफ टीम के साथ ही दो अतिरिक्त एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टरों की सेवा ली गई। तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को राहत देते हुए बचाव कार्य पूरे जोरों पर चलाया जा रहा है।
बारिश के कारण उत्तर भारत में अब तक करीब 80 लोग मारे गए हैं। चार धाम यात्रा पर गए श्रद्धालु भारी वर्षा से तबाही का शिकार बने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में फंसे हुए हैं। भूस्खलन से प्रभावित हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के इलाकों में बचाव अभियान प्रभावित है। इन इलाकों में बारिश से गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई है। उत्तराखंड राज्य में अभी भी तबाही और बेबसी का मंजर है। उत्तराखंड में बाढ़ आने, बादल फटने और भूस्खलन की वजह से अब तक 50 लोग मारे जा चुके हैं, कई घायल हुए और करीब 200 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उत्तराखंड का रूद्रप्रयाग बुरी तरह प्रभावित है, जहां 21 लोग मारे गए हैं और अलकनंदा नदी के किनारों से लगे होटलों समेत 75 इमारतें नदी की तेज धाराओं में बह गई हैं।
केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तीर्थस्थलों की यात्रा पर गए श्रद्धालु रूद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में फंसे हुए हैं। सड़कों को पहुंचे भारी नुकसान से चार धाम यात्रा बंद है। आपदा प्रबंधन के अधिकारियों ने बताया कि सर्वाधिक श्रद्धालु चमोली, रूद्रप्रयाग औरउत्तरकाशी में फंसे हुए हैं। उत्तरकाशी में भागीरथी और ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर कुछ घटना शुरू होने की भी खबर आ रही है। यहां बाढ़ में पश्चिम बंगाल के पर्यटक भी फंसे हैं, जिनके बचाव के लिए वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तराखंड सरकार को मदद का प्रस्ताव रखते हुए कहा है कि उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से बात की है और उनसे खासकर केदारनाथ इलाके में फंसे बंगाल के पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों को बचाने का अनुरोध किया है, पश्चिम बंगाल सरकार ने पर्यटकों को बचाने के लिए कुछ हेलीकॉप्टरों का इंतजाम भी किया है, उन्होंने बताया कि इसका खर्च पश्चिम बंगाल सरकार वहन करेगी।
उधर दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार गया है, जिसके बाद उसके आसपास के निचले इलाकों से लोगों को हटाया गया है। यमुना का जलस्तर खतरे के अंक को पार कर 205.24 अंक तक पहुंच गया है। यमुना का जलस्तर और अधिक बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि हरियाणा ने यमुना में 1.54 क्यूसेक पानी छोड़ा है। दिल्ली सरकार ने यमुना का जलस्तर बढ़ने से प्रभावित लोगों को शरण देने के लिये करीब 20 शिविर लगाये हैं और चिकित्सा एवं भोजन की व्यवस्था की है। विभिन्न हिस्सों में भीषण तबाही के कारण उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में हाईअलर्ट दिया गया है। प्रदेश में पिछले 24 घंटे के दौरान बारिश होने उत्तराखंड एवं नेपाल के पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने और मूसलाधार वर्षा से इन क्षेत्रों में गंगा, यमुना तथा शारदा नदियों से छोड़े गये पानी में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में गंभीर बाढ़ की आशंका है और अधिकारियों को सतर्क किया गया है। उत्तर प्रदेश के करीब 23 जिले बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील और 11 जिले संवेदनशील हैं। उत्तर प्रदेश में 45 बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गये हैं तथा पुलिस के सहयोग से 110 बेतार केंद्रों की स्थापना की गई है।