Saturday 8 July 2023 05:47:16 PM
के विक्रम राव
आतंकी विषयवस्तु पर बहुचर्चित एक नई फिल्म 'बहत्तर हूरें' नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली (जेएनयू) में मंगलवार 4 जुलाई 2023 को स्क्रीन की गई। भारत सरकार के फिल्म सेंसर बोर्ड से प्रमाणित इसका संक्षिप्त ट्रेलर 28 जून को दर्शाया गया था। इसका डिजिटल रिलीज भी हुआ। 'बहत्तर हूरें' का कथानक कुछ दिग्भ्रमित युवजनों पर केंद्रित है, जिन्हें बहकाकर, मतिभ्रम कर आत्मघाती बॉम्बर बनने पर बाध्य किया जाता है। केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म पर सारी आपत्तियों को खारिज कर दिया था। इसी मसले पर फिल्म 'केरला स्टोरी' भी दिखाई जा चुकी है।
'बहत्तर हूरें' फिल्म के निर्देशक हैं विख्यात फिल्मकार संजय पूरन सिंह चौहान। इन्हें दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। वे पटकथा लेखक भी हैं। उनकी फिल्म 'लाहौर' बड़ी प्रशंसनीय थी। उन्हीं की इस ताजा फिल्म 'बहत्तर हूरें' पर राष्ट्रव्यापी बहस भी चल निकली है। सेंशरशिप तथा क्रिएटिक फ्रीडम पर चर्चा भी। 'बहत्तर हूरें' फिल्म में कहानी वही है जो बताती हैकि आज भारत और खासकर कश्मीर में क्या हो रहा है। वहां युवाओं को भरमा कर उन्हें जिहादी बनाया जा रहा है। उनके जरिए नादान आमजनों की हत्या कराई जाती है। याद करलें कि पाकिस्तानी अजमल कसाब और उसके साथियों ने कैसे मुंबई में असंख्य निर्दोषों को मारा था।
फिल्म निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने कहा भी हैकि-'मैं चाहता हूंकि लोग उन चीजों की गंभीरता को समझें, जिन्हें इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है, दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद है, इसपर ध्यान देना चाहिए, इसपर चर्चा भी होनी चाहिए, लोग बिना फिल्म देखे बयान जारी कर रहे हैं, मैं चाहता हूंकि सही और गलत का निर्णय लेने से पहले लोग इसे देखें, यह आतंकवाद पर है।' फिल्म के प्रोड्यूसर अशोक पंडित ने जेएनयू में स्क्रीनिंग के बाद कहाकि जाधवपुर यूनिवर्सिटी (बंगाल) समेत कई दूसरे शैक्षिक संस्थानों में भी इसे दिखाने की तैयारी है। फिल्म 'बहत्तर हूरें' हम सब की रोजमर्रा की जिंदगी को परेशान करने वाले निर्मम आतंकवाद को उजागर करती है। ट्रेलर से स्पष्ट हो जाता हैकि आतंकवादी पहले युवाओं का ब्रेनवॉश करते हैं, फिर मासूम लोगों की जान लेनेपर उन्हें मजबूर करते हैं। आतंकवादियों का प्रचार हैकि जो व्यक्ति अपनी जान कुर्बान कर लोगों की जान लेता है, उसे जन्नत मिलती है।
'बहत्तर हूरें' फिल्म की शुरुआत एक मौलवी से होती है, जो मदरसे में भाषण देता है-'आप जिहाद के नाम पर लोगों का कत्ल करेंगे, तो आपको 72 हूरें जन्नत में नसीब होंगी।' फिल्म में मुंबई टेरर आतंकी हमला भी दिखाया गया है। इसमें आतंकवादी मारे जाते हैं। मरने के बाद वे सब 72 हूरों को ढूंढते हैं। वे हूरों का इंतजार करते हैं, लेकिन उन्हें लेने कोई भी हूर नहीं आती। इन आतंकवादियों को ट्रेनिंग के दौरान यह विश्वास दिलाया गया थाकि मरने के बाद जन्नत में उनकी खिदमत 72 कुंवारी लड़कियां करेंगी। इस फिल्म को कुल दस भाषाओं में निर्मित किया जाएगा। हिंदी के अलावा अंग्रेजी, मराठी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, बंगाली, पंजाबी, भोजपुरी, कश्मीरी, असमी और मेरी मातृभाषा तेलुगू में भी रिलीज होगी।
फिल्म में पवन मल्होत्रा और आमिर बख्शी मुख्य भूमिका में हैं। उनके अलावा राशिद नाज़ और इसमें अशोक पाठक जैसे कलाकार भी हैं। गोवा में भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में भी यह दिखाई जा चुकी है। कुछ राजनीतिक दलों ने फिल्म में दिखाए गए आतंकवादियों को मानसिक रूपसे बरगलाने के दृश्यों पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना हैकि इन नकारात्मक बातों से धर्म विशेष को लेकर लोगों में गलत संदेश जाएगा। फिल्म के कथानक तीन युवक पात्र (पवन मल्होत्रा, आमिर बशीर और राशिद नाज़) परलौकिक यात्रा पर जाते हैं। बड़े लालायित हैं बहत्तर हूरों से भेंट केलिए। अंततः यह सच नही होता। पवन मल्होत्रा एक मशहूर अभिनेता हैं। वे तेलुगु तथा पंजाबी फिल्मों में कार्यकर चुके हैं। टीवी सीरियल में भी पवन को फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड और फिल्मफेयर अवॉर्ड साउथ सहित कई पुरस्कार मिले हैं। वह निर्दयी माफिया डॉन इरफ़ान खान की भूमिका केलिए प्रसिद्ध हैं।
पवन मल्होत्रा तेलुगु ब्लॉक बस्टर ऐथे (2003) और ब्लैक फ्राइडे (2004) में टाइगर मेमन की उनकी प्रशंसित भूमिका 2005 में रही। आमिर बशीर कश्मीर में पले। दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के स्नातक हैं। पश्तो, हिंदी और उर्दू नाटकों में भाग ले चुके हैं। वे कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के पुत्र हैं। राशिद नाज़ पाकिस्तानी फिल्म एक्टर हैं जो पश्तो के टीवी अभिनेता भी हैं। अब इसी फिल्म के सिलसिले में भारत में मदरसों के शिक्षा विषय पर चर्चा हो। ऐसे आतंकी भी इन्हीं मदरसों में शिक्षित होते हैं। मदरसों में उन्हें जो कुरान शरीफ पढ़ाई जाती है उसपर गौर करें। वह भी शंकास्पद बातों से आप्लवित है।
यहां सैय्यद हामिद मोहसिन, प्रोफेसर सैय्यद वकार अहमद, सलाम सेंटर तथा मौलाना वहीदुद्दीन खॉ द्वारा प्रस्तुत कुरान का इतिहास है। उस पर ध्यान दें-सूरा आयत 2:98-अल्लाह गैर-मुस्लिमों का शत्रु है! सूरा आयत 3:85-इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म/ मजहब स्वीकार नहीं है! सूरा आयत 22:30-मूर्तियां गंदगी हैं! सूरा आयत 3:62, 2:255, 27:61 और 35:3-अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है! सूरा आयत 8:69-लूट का सब माल (स्त्रियों सहित) हलाल है! सूरा आयत 32:22-इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो! आप स्वयं इन उक्तियों को पढ़ लें तथा खुद निष्कर्ष निकाल लें। (के विक्रम राव देश के जाने-माने पत्रकार हैं, स्तंभकार हैं। यह आलेख उनकी फेसबुक वॉलपोस्ट से साभार)।