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Sunday 16 July 2023 05:23:18 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने दावा किया हैकि देश में कई स्थानों पर, जहां-जहां टमाटर की कीमतें असाधारण रूपसे अधिक हो गईं थीं, वहां टमाटर को 90 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर बेचने के सरकार के हस्तक्षेप के कारण टमाटर की थोक कीमतों में कमी आई है। ज्ञातव्य हैकि इस एक महीने सब्जी मंडियों में टमाटरों की कीमत डेढ़ सौ रूपये से दो सौ रूपये किलो तक पहुंच गई, जिससे टमाटर मध्यम वर्ग की पहुंच से भी दूर चला गया। होटलों और ढाबों में टमाटर की सब्जी मिलनी बंद हो गई। इसको टमाटरों की कीमतों को लेकर सरकार की आलोचना और जनसामान्य में आक्रोश व्यक्त होने लगा, तब एक माह बाद सरकार जागी और उसने घोषणा कीकि वह टमाटर को कम दामों में उपलब्ध कराएगी, जिसके परिणामस्वरूप टमाटर की बढ़ी कीमत पर कुछ नियंत्रण हो पाया है।
भारत सरकार का कहना हैकि उसने देशभर में 500 से अधिक स्थानों पर स्थिति का पुनः आकलन करने केबाद रविवार 16 जुलाई 2023 से इसे 80 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचने का निर्णय लिया है। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफेड) और राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) के माध्यम से दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, पटना, मुजफ्फरपुर और आरा में विभिन्न स्थानों पर आज से टमाटर की सस्ती बिक्री शुरू कर दी गई है। टमाटर की खपत बहुत ज्यादा होने के कारण टमाटर राशन कार्ड और आधार कार्ड देखकर बेचा जा रहा है। भारत सरकार कह रही हैकि वह उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, वर्तमान बाजार कीमतों के आधार पर कल से इसकी बिक्री का विस्तार और अधिक शहरों में किया जाएगा। यह उल्लेखनीय हैकि मुनाफाखोर टमाटर को बहुत सस्ते में पड़ोसी देश नेपाल से भारत ला रहे हैं और भारत के बाज़ारों में कई गुना दाम पर बेच रहे हैं।
टमाटर रसोई की प्रमुख सब्जियों में गिना जाता है, दूसरे नंबर पर प्याज और तीसरे नंबर पर आलू माना जाता है। कोई समारोह ऐसा नहीं होता है, जहां टमाटर का सलाद और उसकी सब्जी न परोसी जाती हो और टमाटर पर महंगाई का असर इतना व्यापक हुआ हैकि यह देशभर में मुद्दा बना हुआ है। यह आम आदमी की पहुंच से तो बाहर ही हो गया। टमाटर क्यों महंगा हुआ इसको लेकर अनेक तर्क दिए जा रहे हैं, इसी प्रकार जब अचानक प्याज महंगी होती है तो तबभी देश की जनता में आक्रोश फूटता है। अनेक अवसर ऐसे आए, जब प्याज की महंगाई के खिलाफ लोकसभा और विधानसभाओं में रोष प्रकट करने केलिए सांसद-विधायक प्याज की माला पहनकर पहुंचे। कुछ महीने पहले ही देश में टमाटर की खेती करने वाले किसानों को उनकी फसल की लागत भी निकालना मुश्किल पड़ गया था, टमाटर एक-दो रूपये किलो हो गया था, जिससे उन्होंने टमाटर को सड़कों तक पर फेंक दिया था। माना जाता है कि इनके दाम सरकार की लोकप्रियता को बहुत प्रभावित करते हैं।