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Sunday 23 July 2023 04:31:57 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर आज 8वें और 9वें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार प्रदान किए हैं। ये पुरस्कार दो दिवसीय क्षेत्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान प्रदान किए गए, जिसका उद्घाटन सूचना और प्रसारण मंत्री ने नई दिल्ली में भारतीय जन संचार संस्थान में किया है। राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार के विजेता उन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की पहचान हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र एवं जनहित में सराहनीय कार्य किए हैं। राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों केलिए 4 श्रेणियों में कुल 12 पुरस्कार दिए गए हैं। पुरस्कार विजेता सामुदायिक रेडियो स्टेशन हरियाणा, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, राजस्थान और त्रिपुरा राज्य में हैं। सूचना और प्रसारण मंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहाकि सामुदायिक रेडियो स्टेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनभागीदारी से जनआंदोलन के दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, ये स्टेशन आकाशवाणी के प्रयासों की सराहना करते हैं और आपदाओं के दौरान अपने श्रोताओं को सूचित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहाकि भारत सरकार ने सामुदायिक रेडियो में बेहतर प्रोग्रामिंग को बढ़ावा देने और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को स्थानीय समुदाय के हित में कार्यक्रम तैयार करने केलिए प्रोत्साहित करने केलिए राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों की स्थापना की। अनुराग ठाकुर ने कहाकि राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार उन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को दिए जाते हैं, जिन्होंने सामुदायिक केंद्रित कार्यक्रमों के माध्यम से सामुदायिक रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किए हैं और पुरस्कारों की विभिन्न श्रेणियों ने सामुदायिक रेडियो केलिए विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम विकसित करने केलिए प्रेरणा का काम किया है। उन्होंने कहाकि सामुदायिक रेडियो स्टेशन मानव संसाधन की कमी, वित्तीय तनाव और बाहरी समर्थन की कमी सहित कई चुनौतियों के बावजूद अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं और राष्ट्रसेवा की इस भावना केलिए उनकी सराहना की जानी चाहिए। अनुराग ठाकुर ने कहाकि जहां ये पुरस्कार रेडियो स्टेशनों को प्रोत्साहित करते हैं, वहीं वे भारत के सुदूर कोनों में शिक्षा, जागरुकता पैदा करने और समस्या समाधान में सामुदायिक रेडियो के महत्व को भी पहचानते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि ये पुरस्कार दूसरों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने केलिए प्रोत्साहित करेंगे।
सूचना और प्रसारण मंत्री ने इस क्षेत्र में व्यवसाय करने में आसानी की दिशा में सरकार के प्रयासों की चर्चा की और कहाकि सरकार ने ऐसे सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना में लगने वाले समय को कम करने केलिए गंभीर प्रयास किए हैं। उन्होंने कहाकि पहले लाइसेंस प्राप्त करना एक समय लेने वाली और थकाऊ प्रक्रिया थी, जिसमें लगभग चार साल लगते थे और इसमें तेरह प्रक्रियाएं शामिल होती थीं, आज इसे घटाकर आठ प्रक्रियाएं कर दिया गया है और छह महीने के भीतर लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहाकि सूचना और प्रसारण मंत्रालय इस समय को और कम करने केलिए सभी प्रयास कर रहा है। उन्होंने बतायाकि आवेदन प्रक्रिया अब ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल पर ऑनलाइन है और सरल संचार पोर्टल से जुड़ी है। भारत में रेडियो की पहुंच के विस्तार पर टिप्पणी करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहाकि आज देश का 80 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र और 90 प्रतिशत से अधिक आबादी रेडियो द्वारा कवर की गई है। उन्होंने कहाकि सरकार इस पहुंच को और अधिक विस्तारित करने केलिए काम कर रही है और ई-नीलामी के तीसरे बैच के तहत 284 शहरों में 808 चैनलों की नीलामी उस दिशा में एक बड़ा कदम है।
अनुराग ठाकुर ने कहाकि सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की बढ़ती संख्या उनकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रदर्शन है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने केलिए काम कर रही हैकि प्रत्येक जिले में एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन होना चाहिए और इसे हर ब्लॉक में एक तक पहुंचाया जाना चाहिए। इन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के अनुभवों को एकसाथ लाने केलिए एक मंच की आवश्यकता पर है। अनुराग ठाकुर ने कहाकि भारतभर में इन रेडियो स्टेशनों से सामुदायिक सेवाओं के क्षेत्र में विभिन्न प्रयोग और नवाचार अलग-अलग किए जा रहे हैं। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि एक नेटवर्क बनाया जा सकता है, जहां ये स्टेशन अपने विचारों और अनुभवों को साझा कर सकते हैं, ताकि इनमें से सर्वश्रेष्ठ को पूरे देश में दोहराया जा सके। उन्होंने एक ऐसे समुदाय की कल्पना की, जो इन स्टेशनों के विचारों से एक पावरहाउस तैयार करेगा। अनुराग ठाकुर ने पुरस्कारों की जूरी को उनके योगदान केलिए धन्यवाद दिया और रेडियो स्टेशन का विशेष उल्लेख करते हुए विजेताओं को बधाई दी, जिन्हें 8वें और 9वें संस्करण केलिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, यह बताते हुएकि यह क्षेत्र में उनकी निरंतर उत्कृष्टता को मान्यता देता है।
सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहाकि संचार क्षेत्र में टेलीविजन, फिर इंटरनेट और अब ओटीटी के रूपमें कई प्रगति देखी गई है, लेकिन इससे रेडियो की लोकप्रियता और पहुंच में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने कहाकि सामुदायिक रेडियो ऐसे स्थान पर मौजूद है, जो अन्य प्लेटफार्मों से अछूता है और कनेक्टिविटी की आवश्यकता को पूरा करता है, जो अधिक आधुनिक मीडिया से भी पूरी नहीं की जाती है। उन्होंने कहाकि कोविड महामारी ने इन पुरस्कारों के आयोजन को रोक दिया था, इसलिए इस वर्ष मंत्रालय 8वें और 9वें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार प्रदान कर रहा है। उन्होंने बतायाकि 2 वर्ष में 120 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशन जोड़े गए हैं, जिससे मंत्रालय के पास 100 से अधिक अतिरिक्त आशय पत्रों के साथ कुल संख्या 450 से अधिक हो गई है। सामुदायिक रेडियो रेडियो प्रसारण में एक महत्वपूर्ण तीसरा स्तर है, जो सार्वजनिक सेवा रेडियो प्रसारण और वाणिज्यिक रेडियो से अलग है। सामुदायिक रेडियो स्टेशन कम शक्ति वाले रेडियो स्टेशन हैं, जिन्हें समुदाय आधारित संगठन स्थापित और संचालित करते हैं।
सामुदायिक रेडियो स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि आदि से संबंधित मुद्दों पर स्थानीय आवाजों को प्रसारित करने केलिए समुदायों को एक मंच प्रदान करता है। सामुदायिक रेडियो में अपने समग्र दृष्टिकोण से विकास कार्यक्रमों में लोगों की भागीदारी को मजबूत करने कीभी क्षमता है। भारत जैसे देश में जहां हर राज्य की अपनी भाषा और विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है, सीआरएस स्थानीय लोक संगीत और सांस्कृतिक विरासत का भंडार भी हैं। कई सीआरएस भावी पीढ़ी केलिए स्थानीय गीतों को रिकॉर्ड और संरक्षित करते हैं और स्थानीय कलाकारों को समुदाय के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने केलिए एक मंच देते हैं। सीआरएस की अद्वितीय स्थिति सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का एक साधन है, जो इसे सामुदायिक सशक्तिकरण केलिए एक आदर्श उपकरण बनाती है। चूंकि सामुदायिक रेडियो प्रसारण स्थानीय भाषाओं और बोलियों में होता है, इसलिए लोग इससे तुरंत जुड़ जाते हैं। नरेंद्र मोदी सरकार भारत में सामुदायिक रेडियो आंदोलन को बड़े पैमाने पर समर्थन दे रही है, ताकि जन मीडिया का यह रूप अंतिम छोर तक पहुंच सके, जहां मुख्यधारा की मीडिया की उपस्थिति कम है। कुछ वर्ष में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की तेजी से वृद्धि हुई है। देश में कुल 449 सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना केलिए लगभग 100 विषम संगठनों को अनुमति दी गई है। यह सामुदायिक सशक्तिकरण और उन्हें मुख्यधारा की विकास प्रक्रिया में लाने केलिए परिवर्तन केलिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार में प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार 1 लाख 75000 और 50000 रुपये के हैं। विषयगत पुरस्कार में प्रथम पुरस्कार-रेडियो माइंड ट्री अंबाला हरियाणा कार्यक्रम का नाम-उम्मीद जीने की राह, दूसरा पुरस्कार-रेडियो हीराखंड संबलपुर ओडिशा कार्यक्रम का नाम-आधार ओ पोषण बिग्यान और तृतीय पुरस्कार-ग्रीन रेडियो सबौर बिहार कार्यक्रम का नाम पोषण श्रींखला को प्राप्त हुआ है। सर्वाधिक नवोन्मेषी सामुदायिक सहभागिता पुरस्कार में प्रथम पुरस्कार रेडियो एसडी मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश कार्यक्रम का नाम-हिजरा इन बिटवीन, द्वितीय पुरस्कार-कबीर रेडियो संत कबीर नगर उत्तर प्रदेश कार्यक्रम का नाम-सेल्फी ले ले रे और तीसरा पुरस्कार-रेडियो माइंड ट्री अंबाला हरियाणा कार्यक्रम का नाम-बुक बग्स ने प्राप्त किया है। स्थानीय संस्कृति पुरस्कारों को बढ़ावा देने केलिए प्रथम पुरस्कार-वॉयस ऑफ एसओए, कटक ओडिशा कार्यक्रम का नाम-अस्मिता, दूसरा पुरस्कार-फ्रेंड्स एफएम त्रिपुरा अगरतला कार्यक्रम का नाम-एक लुप्त होती कला को पुनर्जीवित किया: मास्क और पॉट तथा तृतीय पुरस्कार-पंतनगर जनवाणी पंतनगर उत्तराखंड कार्यक्रम का नाम-दादी माँ का बटुआ ने प्राप्त किया है। स्थिरता मॉडल पुरस्कार में प्रथम पुरस्कार-रेडियो हीराखंड संभलपुर ओडिशा, दूसरा पुरस्कार-वायलागावनोली मदुरै तमिलनाडु और तृतीय पुरस्कार-VAGAD रेडियो 90.8 बांसवाड़ा राजस्थान ने प्राप्त किया है।