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Tuesday 18 June 2013 09:23:34 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय योजना आयोग ने कहा है कि गुजरात राज्य देश में सबसे तेज गति से विकास कर रहे राज्यों में शामिल है। इस टिप्पणी के साथ गुजरात के लिए वर्ष 2013-14 के 59 हजार करोड़ रुपये के वार्षिक योजना व्यय को मंगलवार को मंजूरी दे दी गई। इस योजना परिव्यय में राज्य की योजना के लिए लगभग 3979 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है, इसके अलावा विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से भी लगभग 6 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार की ओर से गुजरात में पहुंचेंगे। इस तरह 2013-14 के दौरान सभी स्रोतों से केंद्र सरकार से योजना फंड में उसे लगभग 10 हजार करोड़ रुपये प्राप्त होने की संभावना है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक में इस पर निर्णय लिया गया।
योजना आयोग ने कहा है कि गुजरात राज्य देश में सबसे तेज गति से विकास कर रहे राज्यों में शामिल है। आयोग ने इस बात को भी सामने रखा है कि 11वीं योजना के दौरान राज्य में कृषि और संबंधित गतिविधियों में विकास का औसत प्रदर्शन पूरे देश में हासिल की गई उपलब्धि से अधिक रहा है, लेकिन दसवीं योजना काल में कृषि क्षेत्र में दर्ज किये गये उच्च विकास दर से इसमें गिरावट आई है। आयोग ने समावेशी विकास के लिए कृषि के क्षेत्र में विकास के महत्व पर जोर दिया। राज्य सरकार ने संकेत दिया कि कृषि क्षेत्र में विकास की पहल के दूसरे चरण की उसकी योजना है, जिसमें प्रारंभ से अंत तक की सुविधाएं स्थापित करना और पशुपालन पर ज्यादा जोर शामिल है।
बातचीत के क्रम में योजना आयोग ने सामाजिक क्षेत्र में गुजरात के प्रदर्शन की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो राज्य में उच्च विकास दर हासिल किये जाने से उम्मीद की अपेक्षा काफी कम है। इनमें खासतौर पर बाल लिंग अनुपात का स्तर, बाल शिशु मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर और कुपोषण शामिल है। वर्ष 2001 से 2011 के बीच राज्य में बाल लिंग अनुपात में सुधार हो रहा था, लेकिन राज्य के लगभग आधे से अधिक जिलों में यह खराब स्तर पर पहुंचने के कारण अंत में इसमें गिरावट दर्ज की गई। कुपोषण के मामले में प्रमाणों से पता चलता है कि आर्थिक तौर पर विकास कर रहे राज्य में कुपोषण का स्तर काफी अधिक है। राज्य सरकार ने सामाजिक क्षेत्र के विकास के प्रति योजना आयोग की चिंताओं से सहमति जताई और इस स्थिति में सुधार संबंधी अपनी पहल का ब्यौरा दिया।
योजना आयोग ने ढांचागत विकास, ग्रामीण सड़कें, जल-संभरण प्रबंधन तथा कौशल विकास के क्षेत्र में राज्य सरकार की पहल पर गौर किया। कौशल्या बर्धन केंद्र को इसकी विशिष्टता और सफलता के लिए सराहा गया। बैठक में विकास दर बढ़ाने के उपायों पर चर्चा हुई। इसमें खासतौर पर निवेश और आधारभूत ढांचे के विकास तथा प्रबंधन और जल-संसाधन के जरिये सूखे से निपटने के लिए बेहतर उपाय के साधन निर्मित करने पर बातचीत हुई।राज्य सरकार ने उन मुद्दों को उठाया, जिनमें उसे लगता है कि क्षमता बढ़ाने तथा राज्य के विकास में बाधक बनने वाले कारणों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों की समीक्षा करने तथा संसाधन आवंटन की आवश्यकता है।