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Tuesday 1 August 2023 02:06:01 PM
नई दिल्ली। ऐतिहासिक सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2023 संसद में पास हो चुका है। इस विधेयक को 20 जुलाई 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था और लोकसभा में भी चर्चा केबाद 27 जुलाई को इसे पास कर दिया गया। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2023 के बारेमें संसद में कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह परिकल्पना हैकि भारत वास्तव में समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता है, जो भारत की ताकत है और यह दुनिया का कंटेंट हब बनने की अपार क्षमता रखता है। अनुराग ठाकुर ने कहाकि फिल्म उद्योग में बदलते समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पायरेसी से लड़ने तथा फिल्म इंडस्ट्री को और मजबूत एवं उसे बढ़ावा देने केलिए हम यह ऐतिहासिक विधेयक लाए हैं। उन्होंने बतायाकि सरकार ने हर 10 साल में फिल्म के लाइसेंस को नवीनीकृत करने की जरूरत को भी खत्म कर दिया है और इसे जीवनभर केलिए वैध बना दिया है, अब नवीनीकरण केलिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
सूचना और प्रसारण मंत्री ने उल्लेख कियाकि केएम शंकरप्पा बनाम भारत सरकार मामले के फैसले को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे पुनरीक्षण शक्ति से दूर रखा है और अब इसपर विचार करने की पूरी शक्ति का अधिकार सीबीएफसी के स्वायत्त निकाय के पास होगा। अनुराग ठाकुर ने कहाकि भारतीय सिनेमा को भारत की सॉफ्ट पावर और भारतीय संस्कृति, समाज एवं मूल्यों को विश्वस्तर पर बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाला माना है। उन्होंने कहाकि व्यवसाय करने में आसानी केसाथ भारतीय फिल्म उद्योग का सशक्तिकरण और गोपनीयता के खतरे से इसकी सुरक्षा भारत में कंटेंट सृजन से जुड़े इकोसिस्टम के विकास का लंबा रास्ता तय करेगी और इस क्षेत्र में काम करने वाले सभी कलाकारों एवं कारीगरों के हितों की रक्षा करने में मदद करेगी। सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहाकि भारत को कहानीकारों के देश के रूपमें जाना जाता है, जो हमारी समृद्ध संस्कृति, विरासत, परंपरा और विविधता को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि अगले तीन साल में हमारी फिल्म इंडस्ट्री 100 बिलियन डॉलर की हो जाएगी, जिससे लाखों लोगों को रोज़गार मिलेगा। उन्होंने कहाकि सर्वप्रथम इस विधेयक से फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रदर्शन की समस्या का समाधान तथा इंटरनेट पर चोरी करके फिल्म की अनधिकृत प्रतियों के प्रसारण से होनेवाले पायरेसी के खतरे को समाप्त करने का प्रयास किया गया है।
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम-1952 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष 1984 में किया गया था। सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य पायरेसी की समस्या पर व्यापक रूपसे अंकुश लगाना है, जिससे कुछ अनुमानों के अनुसार फिल्म उद्योग को 20000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक के प्रावधानों में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है, जिसे बढ़ाकर 3 साल तक की कैद और ऑडिट की गई कुल लागत का जुर्माना किया जा सकता है। सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक का दूसरा उद्देश्य हैकि इसके माध्यम से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा सार्वजनिक प्रदर्शन केलिए फिल्मों के प्रमाणन की प्रक्रिया में बदलाव करने केसाथ फिल्मों के प्रमाणन के वर्गीकरण में सुधार करने का प्रयास किया जारहा है। तीसरा उद्देश्य विधेयक प्रचलित शासकीय आदेशों, उच्चतम न्यायालयों के निर्णयों और अन्य प्रासंगिक कानूनों केसाथ वर्तमान कानून को सुसंगत बनाने का प्रयास करता है। पायरेसी की श्रेणी में आनेवाली फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग तथा उनके प्रदर्शन पर रोक लगाने के प्रावधान में-सिनेमाघरों में कैम कॉर्डिंग से फिल्म पायरेसी की जांच करना, किसीभी फिल्म की पायरेटेड कॉपी अथवा किसीभी अनधिकृत कॉपी रखने और ऑनलाइन प्रसारण तथा प्रदर्शन पर रोक लगाने के उद्देश्य से इसमें सख्त दंडात्मक प्रावधान शामिल किए गए हैं।
आयु आधारित प्रमाणीकरण के तहत मौजूदा यूए श्रेणी को तीन आयु आधारित श्रेणियों में उप विभाजित करके प्रमाणन की आयु आधारित श्रेणियों की शुरुआत की गई है अर्थात बारह वर्ष के बजाय सात वर्ष (यूए 7+), तेरह वर्ष (यूए 13+) और सोलह वर्ष (यूए 16+)। ये आयु आधारित संकेतक केवल अनुशंसात्मक होंगे। इस पहल का उद्देश्य माता-पिता अथवा अभिभावकों को यह विचार करने केलिए प्रेरित करना हैकि क्या उनके बच्चों को ऐसी इस तरह की फिल्में देखनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप केएम शंकरप्पा बनाम भारत सरकार (2000) के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार केंद्र सरकार की पुनरीक्षण शक्तियों की अनुपस्थिति को देखना। प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता के तहत केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमाणपत्रों की सर्वकालिक वैधता हेतु अधिनियम में केवल 10 वर्ष केलिए प्रमाणपत्र की वैधता पर प्रतिबंध को हटाया जाना। टेलीविजन केलिए फिल्मों की श्रेणी में परिवर्तन के तहत टेलीविजन पर प्रसारण के लिए संपादित की गई फिल्मों का पुन: प्रमाणीकरण, क्योंकि केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन वाली श्रेणी की फिल्में ही टेलीविजन पर दिखाई जा सकती हैं।
जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 के अनुरूप पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के संदर्भ को हटा दिया गया है। गौरतलब हैकि भारतीय फिल्म उद्योग विश्व के सबसे बड़े और सर्वाधिक वैश्वीकृत उद्योगों में से एक है, यह हर वर्ष 40 से अधिक भाषाओं में 3000 से अधिक फिल्मों का निर्माण करता है। बीते कुछ वर्ष में सिनेमा के माध्यम में और उससे जुड़े उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आ चुके हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया की सुलभता केसाथ ही पायरेसी का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है। आशा की गई हैकि सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2023 पायरेसी के खतरे को रोकने और व्यापार करने में सुगमता लाने केसाथ ही भारतीय फिल्म उद्योग को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।