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Monday 7 August 2023 07:09:43 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की कला और शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा को जीवित रखने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन देने के दृढ़ समर्थक हैं। इस दृष्टिकोण से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाना प्रारंभ किया, स्वदेशी आंदोलन केलिए एक श्रद्धांजलि के रूपमें इस तारीख को चुना और पहला उत्सव 7 अगस्त 2015 को आयोजित किया गया। गौरतलब हैकि स्वदेशी आंदोलन 7 अगस्त 1905 को शुरू हुआ था और इसने स्वदेशी उद्योगों विशेष रूपसे हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। इस साल 9वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह को संबोधित किया और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के विकसित ई-पोर्टल 'भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष-कपड़ा और शिल्प का भंडार' का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और बुनकरों से बातचीत की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य भारत मंडपम में भारत के हथकरघा उद्योग के योगदान को रेखांकित करते हुए कहाकि पुराने और नए का संगम आजके नए भारत को परिभाषित करता है। उन्होंने कहाकि आज का भारत सिर्फ 'वोकल फ़ॉर लोकल' ही नहीं, बल्कि इसे दुनियाभर में ले जाने केलिए वैश्विक मंच भी प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने आज के भव्य समारोह में देशभर से विभिन्न हथकरघा समूहों की उपस्थिति की ओर इंगित किया और उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि अगस्त क्रांति का महीना है, यह भारत की आजादी केलिए किए गए हर बलिदान को याद करने का समय है। स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि यह केवल विदेश में बने कपड़ों के बहिष्कार तकही सीमित नहीं था, बल्कि भारत की स्वतंत्र अर्थव्यवस्था केलिए प्रेरणास्रोत भी है। उन्होंने कहाकि यह भारत के बुनकरों को लोगों से जोड़ने का आंदोलन था और सरकार की इस दिन का चयन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूपमें करने के पीछे यही प्रेरणा थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि बीते कुछ वर्ष से हथकरघा उद्योग केसाथ-साथ बुनकरों की प्रगति केलिए भी अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं और देश में स्वदेशी क्रांति का सूत्रपात हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुनकरों की उपलब्धियों के माध्यम से भारत को हासिल सफलता पर गर्व व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रकट हो रही परिधानों की विविधता को रेखांकित करते हुए इस बात पर जोर दियाकि व्यक्ति की पहचान उसके द्वारा धारण किए गए कपड़ों से होती है। उन्होंने कहाकि यह विभिन्न क्षेत्रों के परिधानों के माध्यम से भारत की विविधता का जश्न मनाने का भी अवसर है। दूर-दराज के इलाकों के जनजातीय समुदायों से बर्फ से ढके पहाड़ों में रहने वाले लोगों, तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से रेगिस्तान में रहने वाले लोगों केसाथ ही भारतीय बाजारों में उपलब्ध कपड़ों की विविधता की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के पास कपड़ों का सुंदर इंद्रधनुष विद्यमान है। उन्होंने भारत के विविध परिधानों को सूचीबद्ध और संकलित करने की आवश्यकता के आग्रह को याद करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि आज 'भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष' के शुभारंभ केसाथ यह फलीभूत हो गया। पिछली शताब्दियों में भारत के कपड़ा उद्योग के मजबूत स्थिति में होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस प्रकट कियाकि आजादी के बाद इसे मजबूत बनाने की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यहां तककि खादी को भी मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था, खादी पहनने वालों को हेय दृष्टि से देखा जाता था। प्रधानमंत्री ने कहाकि 2014 केबाद सरकार इस परिस्थिति और इसके पीछे की सोच को बदलने का प्रयास कर रही है। उन्होंने मन की बात कार्यक्रम के शुरुआती चरण के दौरान देशवासियों से खादी उत्पाद खरीदने के अपने आग्रह को याद किया, इसके परिणामस्वरूप पिछले 9 वर्ष में खादी के उत्पादन में 3 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहाकि खादी कपड़ों की बिक्री में 5 गुना वृद्धि हुई है और विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ रही है। नरेंद्र मोदी ने अपनी पेरिस यात्रा के दौरान एक बड़े फैशन ब्रांड के सीईओ से मुलाकात को भी याद किया, जिन्होंने उन्हें खादी और भारतीय हथकरघा केप्रति बढ़ते आकर्षण के बारेमें जानकारी दी थी। प्रधानमंत्री ने बतायाकि नौ साल पहले खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार सिर्फ 25-30 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन आज यह एक लाख तीस हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का हो गया है। उन्होंने कहाकि गांवों और जनजातीय इलाकों में हथकरघा क्षेत्र से जुड़े लोगों तक अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपये पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की उस रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें पिछले 5 वर्ष में 13.5 करोड़ लोगों के गरीबी के चंगुल से बाहर निकलने की बात कही गई है और उन्होंने इसमें बढ़ते कारोबार का योगदान होने की बात स्वीकार की।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि वोकल फॉर लोकल की भावना केसाथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों हाथ खरीद रहे हैं और यह एक जन आंदोलन बन गया है। उन्होंने रक्षाबंधन, गणेश उत्सव, दशहरा और दीपावली के आगामी त्योहारों में एकबार फिरसे बुनकरों और हस्तशिल्पियों की सहायता करने केलिए स्वदेशी के संकल्प को दोहराने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त कियाकि कपड़ा क्षेत्र केलिए लागू की गई योजनाएं सामाजिक न्याय का प्रमुख साधन बन रही हैं, क्योंकि देशभर के गांवों और कस्बों में लाखों लोग हथकरघा के काम में जुटे हुए हैं, इनमें से अधिकांश दलित, पिछड़े, पसमांदा और जनजातीय समुदाय से हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार के प्रयासों से आय में वृद्धि के साथ-साथ बड़ी संख्या में रोज़गार के साधनों में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बिजली, पानी, गैस कनेक्शन, स्वच्छ भारत योजनाओं का उदाहरण दिया और कहाकि ऐसे अभियानों से उन्हें सबसे ज्यादा लाभ मिला है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मुफ़्त राशन, पक्का मकान, 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज यह मोदी की गारंटी है। उन्होंने इस बात को रेखांकित कियाकि सरकार ने बुनियादी सुविधाओं केलिए बुनकर समुदाय के दशकों लंबे इंतजार को समाप्त कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार न केवल कपड़ा क्षेत्र से जुड़ी परंपराओं को जीवित रखने की दिशा में प्रयासरत है, बल्कि दुनिया को एक नए अवतार में आकर्षित करने का भी प्रयास करती है, इसीलिए सरकार इस काम से जुड़े लोगों की शिक्षा, प्रशिक्षण और आय पर जोर दे रही है तथा बुनकरों और हस्तशिल्पियों के बच्चों की आकांक्षाओं को पंख दे रही है। उन्होंने बुनकरों के बच्चों के कौशल प्रशिक्षण केलिए कपड़ा संस्थानों में 2 लाख रुपये तक की छात्रवृत्ति का उल्लेख किया। नरेंद्र मोदी ने बतायाकि 9 वर्ष में 600 से अधिक हथकरघा क्लस्टर विकसित किए गए हैं और हजारों बुनकरों को प्रशिक्षित किया गया है, सरकार बुनकरों के काम को आसान बनाने, उनकी उत्पादकता बढ़ाने तथा गुणवत्ता और डिजाइन में सुधार लाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। प्रधानमंत्री इस बात काभी उल्लेख कियाकि उन्हें कंप्यूटर संचालित पंचिंग मशीनें भी प्रदान की जा रही हैं, जो तेजगति से नए डिजाइन बनाने में सक्षम बनाती हैं। उन्होंने कहाकि मोटर चालित मशीनों से ताना-बाना बुनना भी आसान होता जा रहा है, ऐसे अनेक उपकरण, ऐसी अनेक मशीनें बुनकरों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने कहाकि सरकार हथकरघा बुनकरों को रियायती दरों पर धागे जैसा कच्चा माल उपलब्ध करा रही है और कच्चे माल के परिवहन की लागत भी वहन कर रही है। प्रधानमंत्री ने मुद्रा योजना का भी जिक्र किया और कहाकि अब बुनकरों के लिए बिना गारंटी के ऋण प्राप्त करना संभव हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के बुनकरों केसाथ अपने संबंधों को याद किया और पूरे काशी क्षेत्र जो उनका निर्वाचन क्षेत्र है के हथकरघा उद्योग के योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बुनकरों को अपने उत्पाद बेचने के क्रम में आनेवाली आपूर्ति श्रृंखला और विपणन की चुनौतियों का जिक्र किया और कहाकि सरकार भारत मंडपम की तरह पूरे देशमें प्रदर्शनियां आयोजित करके हस्तनिर्मित उत्पादों के विपणन पर विशेष ध्यान दे रही हैं, नि:शुल्क स्टॉल केसाथ दैनिक भत्ता भी दिया जाता है। प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स और भारत के युवाओं कीभी सराहना की, जिन्होंने कुटीर उद्योगों और हथकरघा उत्पादों केलिए तकनीकों और पैटर्न केसाथ विपणन के तौर-तरीकों में नवाचार प्रस्तुत किया है और कहाकि हथकरघा का भविष्य उज्ज्वल है। 'एक जिला एक उत्पाद' योजना के बारेमें प्रधानमंत्री ने कहाकि हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहाकि ऐसे उत्पादों की बिक्री केलिए देश के रेलवे स्टेशनों पर विशेष स्टॉल भी निर्मित किये जा रहे हैं। उन्होंने सरकार द्वारा राज्यों की हर राजधानी में विकसित एकता मॉल का भी उल्लेख किया, जो राज्य और जिले के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देगा, इससे हथकरघा क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ होगा। नरेंद्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में बने एकता मॉल का भी जिक्र किया, जो पर्यटकों को भारत की एकता का अनुभव करने केसाथ एकही छत के नीचे किसीभी राज्य के उत्पाद खरीदने का अवसर प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री ने अपनी विदेश यात्राओं के दौरान गणमान्य व्यक्तियों को दिए जानेवाले विभिन्न उपहारों के बारेमें कहाकि इन उपहारों की न केवल उनके द्वारा सराहना की जाती है, बल्कि जब उन्हें इनके बनाने वालों के बारे में जानकारी मिलती है तो उनपर गहरा प्रभाव भी पड़ता है। उन्होंने बतायाकि जैम पोर्टल या सरकारी ई-मार्केटप्लेस के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे छोटा कारीगर, शिल्पकार या बुनकर भी अपना उत्पाद सीधे सरकार को बेच सकता है। उन्होंने बतायाकि हथकरघा और हस्तशिल्प से संबंधित लगभग 1.75 लाख संगठन जैम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहाकि सरकार अपने बुनकरों को दुनिया का सबसे बड़ा बाजार उपलब्ध कराने केलिए एक स्पष्ट रणनीति के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहाकि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत के एमएसएमई, बुनकरों, कारीगरों और किसानों के उत्पादों को दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचाने केलिए आगे आ रही हैं। उन्होंने ऐसी विभिन्न कंपनियों के प्रमुख व्यक्तियों केसाथ हुई सीधी चर्चा पर प्रकाश डाला, जिनके पास दुनियाभर में बड़े स्टोर, खुदरा आपूर्ति श्रृंखला, ऑनलाइन प्लेटफार्म और दुकानें हैं। उन्होंने कहाकि ऐसी कंपनियों ने अब भारत के स्थानीय उत्पादों को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकिचाहे मोटे अनाज हों या हथकरघा उत्पाद, ये बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां इन उत्पादों को दुनियाभर के बाजारों में ले जाएंगी। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि उत्पाद भारत में बनाए जाएंगे और इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा आपूर्ति श्रृंखला का उपयोग किया जाएगा। वस्त्र उद्योग और फैशन जगत से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दुनिया की शीर्ष-3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने केलिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ अपनी सोच और काम के दायरे को विस्तार देने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने रेखांकित कियाकि भारत के हथकरघा, खादी और वस्त्र क्षेत्र को विश्व चैंपियन बनाने केलिए 'सबका प्रयास' की आवश्यकता होगी, चाहे श्रमिक हो, बुनकर हो, डिजाइनर हो या उद्योग हो हर किसी को समर्पित प्रयास करना होगा। उन्होंने बुनकरों के कौशल को पैमाने और प्रौद्योगिकी केसाथ जोड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रत्येक उत्पाद केलिए एक विशाल युवा उपभोक्ता वर्ग बन रहा है और यह वस्त्र कंपनियों केलिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है, इसलिए स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और उसमें निवेश करना भी इन कंपनियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने भारत के बाहर तैयार कपड़े को आयात करने के दृष्टिकोण की निंदा की। उन्होंने स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला में निवेश करने और इसे भविष्य केलिए तैयार करने पर जोर दिया और कहाकि क्षेत्र से जुड़ी बड़ी कंपनियों को यह बहाना नहीं बनाना चाहिएकि इतने कम समय में यह कैसे संभव होगा।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यदि हम भविष्य में लाभ उठाना चाहते हैं तो हमें वर्तमान में स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला में निवेश करना होगा, यही विकसित भारत के निर्माण और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने का तरीका है। उन्होंने कहाकि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का स्वदेशी से जुड़ा सपना इस रास्ते पर चलकर ही पूरा होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि जो लोग आत्मनिर्भर भारत के सपने बुनते हैं और 'मेक इन इंडिया' को ताकत देते हैं, वे खादी को सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि एक हथियार मानते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि 9 अगस्त की तारीख महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत के सबसे बड़े आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन की गवाह रही है, जिन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने का संदेश दिया था। प्रधानमंत्री ने आज की समय की मांग को रेखांकित किया, क्योंकि देश इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि ऐसे तत्वों, जो विकसित भारत के निर्माण के संकल्प में बाधा बन गए हैं को भगाने केलिए उसी मंत्र का उपयोग किया जा सकता है, जिसका उपयोग कभी अंग्रेजों को भगाने किया गया था। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूरा भारत एक स्वर में कह रहा है-भ्रष्टाचार, वंशवाद, तुष्टिकरण भारत छोड़ो। उन्होंने रेखांकित कियाकि भारत में ये बुराइयां देश केलिए एक बड़ी चुनौती हैं और विश्वास जतायाकि देश इन बुराइयों को पराजित कर देगा। प्रधानमंत्री ने उन महिलाओं केसाथ अपनी बातचीत के बारे में बताया, जिन्होंने वर्षों से तिरंगे की बुनाई केलिए खुदको समर्पित किया है। उन्होंने नागरिकों से तिरंगा फहराने और एकबार फिरसे 'हर घर तिरंगा' मनाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब छतों पर तिरंगा फहराया जाता है तो यह हमारे भीतर भी फहरता है। समारोह में केंद्रीय वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय वस्त्र राज्यमंत्री दर्शना जरदोश, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नारायण तातु राणे और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।