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तिरुपति मंदिर के अध्यक्ष फिर ईसाई!

मंदिरों के ज​रिए आंध्र की राजनीति को साधने की रणनीति

भाजपा के सहयोगी वाईआरएस कांग्रेस का अनूठा करनामा

Friday 1 September 2023 02:31:29 PM

के विक्रम राव

के विक्रम राव

andhra politics strategy through temples

कितना जायज होगा यदि दिल्ली के जामा मस्जिद का प्रबंधक कोई शर्मा, तिवारी या पाण्डेय नामित हो जाए? उसी भांति क्राइस्ट चर्च का मुखिया भी कोई अहमद अथवा मोहम्मद बना दिया जाए? या दोनों पदों पर कोई यहूदी राब्बी नियुक्त कर दिया जाए? ठीक यही हुआ है सनातनियों के प्राचीन आराधना केंद्र तिरुपति-तिरुमला देवस्थानम में। तुर्रा यहकि ऐसा दुबारा किया गया है। रोमन कैथोलिक ईसाई भूमन करुणाकर रेड्डी फिर तिरुपति तिरुमल देवस्थानम के अध्यक्ष नामित हो गए हैं। आंध्रप्रदेश सरकार, जिसने उन्हें मनोनीत किया है के मुख्यमंत्री हैं येदुगूरी संदिंटि जगन्मोहन रेड्डी। उनके पिता स्वर्गीय वाईएस राजशेखर रेड्डी कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी के परम स्नेही हुआ करते थे और वे आंध्रप्रदेश के प्रथम ईसाई मुख्यमंत्री हुए हैं। तिरुपति-तिरुमला देवस्थानम सनातन देवालय का मुखिया मसीही नामित होने का आंध्र में व्यापक विरोध है। प्रतिपक्ष तेलुगू देशम पार्टी के प्रदेश सचिव बुच्ची रामप्रसाद ने इसपर सर्वप्रथम यह सवाल उठाया थाकि धर्मस्थल का प्रधान अनिवार्यतः सहधर्मी ही होता है।
आंध्र प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की अध्यक्ष दग्गुबाती पुरंदेश्वरी ने भी वाईएसआर कांग्रेस सरकार द्वारा एक ईसाई को हिंदू मंदिर का अध्यक्ष बनाने की भर्त्सना तक की है। दग्गुबाती पुरंदेश्वरी के पिता थे एनटी रामा राव, जो तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक हैं तथा आंध्र के मुख्यमंत्री और विख्यात सिने अभिनेता भी रहे हैं। भाजपा की इस महिला नेता ने यही कहा हैकि इस मंदिर के ट्रस्ट का अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को ही बनाया जाना चाहिए, जिसकी हिंदू धर्म में पूरी आस्था हो, मगर इस पद का राजनीतिक लाभ जगनमोहन रेड्डी ले रहे हैं। टीटीडी सेवा नियमों के अनुसार भी टीटीडी के कर्मचारियों को हिंदू होना चाहिए। तिरुपति बोर्ड के एग्जीक्यूटिव अफसर रह चुके भाजपा नेता और पूर्व चीफ सेक्रेटरी आईवाईआर कृष्णा राव ने भी सरकार के इस फैसले को गलत ठहराया है। फिलहाल अचरज यही हैकि वाईएसआर कांग्रेस तो लोकसभा में भाजपा के साथ है, जिसने हाल ही में लोकसभा में सरकार के खिलाफ कांग्रेसनीत विपक्ष के अविश्वास के प्रस्ताव के विरोध में ही वोट दिया था।
तिरुपति-तिरुमला देवस्थानम के ईसाई अध्यक्ष करुणाकर रेड्डी की बेटी नेहा रेड्डी की शादी 2016 में जगन के चचेरे भाई वाईएस सुमधुर रेड्डी से हुई थी। जगन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी सरकार के सत्ता में आने केबाद से आंध्रप्रदेश में मंदिरों में तोड़फोड़ की बहुत सी घटनाएं हुई हैं। इस परिवार केलिए ईसाई धर्म परिवर्तन लगभग एक पारिवारिक व्यवसाय जैसा है। आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्म फैलाने के राज्य समर्थित प्रयास 2004 में वाईएसआर के सीएम कार्यकाल के दौरान ही शुरू हुए थे, जो सोनिया-कांग्रेस के वफादार भी थे। उनके समय और प्रयासों में सरकार में ईसाई अधिकारियों को नियुक्त करना, तिरुपति प्रशासन में ईसाइयों को स्थापित करना और खुले तौरपर अपने प्रचारक दामाद 'भाई' अनिल कुमार के माध्यम से शामिल करना शामिल था। इसी बीच आंध्र सरकार के आलोचकों ने संदेह व्यक्त किया हैकि टीटीडी में आस्थावानों द्वारा चढ़ाई गई धनराशि जो करोड़ों में हैका सियासी दुरुपयोग हो रहा है। तेलुगूभाषी आस्थावानों ने एक मौलिक मसला उठाया है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा के हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि भाजपा की समर्थक पार्टी सनातन आस्था पर हमला बंद करें, खासकर इसलिए कि यहां का वेंकटेश्वर मंदिर सात पवित्र पर्वतीय मंदिरों में एक है।
छबीस वर्ग किलोमीटर में बसे इस धर्मस्थल मंदिर को टेंपल ऑफ 7 हिल्स भी कहा जाता है। तिरुमाला नगर 10.33 वर्ग मीटर (26.75 किलोमीटर वर्ग) क्षेत्र में बसा है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (ADR) ने दावा किया हैकि पचास वर्षीय जगमोहन रेड्डी भारत में सबसे अत्यधिक अमीर मुख्यमंत्री हैं यानी अकूत संपत्ति के मालिक। सरकारी सूत्रों ने बतायाकि देशभर में टीटीडी के स्वामित्व वाली संपत्ति का मूल्य 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। इसमें भक्तों द्वारा प्रसाद के रूपमें मंदिर को दिए गए भूमि पार्सल, भवन, नगदी और बैंकों में जमा सोना शामिल है। ठीक ऐसी ही स्थिति हाल ही में नांदेड (महाराष्ट्र) तख्त सचखंड श्रीहजूर अब चलनगर साहिब में भी हुई थी। तब वहां अभिजीत रावत नामक प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया गया था। सिख समाज के विरोध के बावजूद किसी गैर सिख व्यक्ति को महाराष्ट्र के नांदेड़ में चलनगर साहिब का प्रशासक नियुक्त किए जाने केबाद असंतोष है। यह सिखों के अधिकार की पांच उच्च सीटों में से एक है। इसका निर्माण 1830 और 1839 के बीच हुआ। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इस नियुक्ति पर महाराष्ट्र सरकार से विरोध जताया हुआ है।
देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने 2014 में इसके नियमों में बदलाव किया और गुरुद्वारे केलिए एक प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया था। इस तरह का हस्तक्षेप सिखों को पसंद नहीं आया। लखनऊ गुरुद्वारा समिति के पदाधिकारी सरदार कुलतारण सिंह ने बतायाकि महाराष्ट्र शासन को यूपी से भी विरोध किया गया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी इस नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी। सुखबीर सिंह बादल ने इसे अलग सिख पहचान पर एक खतरनाक वैचारिक हमले का हिस्सा कहा। दुनियाभर में सिख समुदाय द्वारा दर्ज कराई गई नाराजगी केबाद महाराष्ट्र सरकार ने एक सिख विजय सतबीर सिंह पूर्व आईएएस अधिकारी को नांदेड़ में अब चलनगर साहिब का नया प्रशासक नियुक्त किया। फिलहाल भारत का सर्वाधिक धनी हिंदू मंदिर टीटीडी एक अनावश्यक मजहबी विवाद में उलझ गया है। इसका प्रभाव शीघ्र होने वाले आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव पर अवश्य पड़ेगा एवं मतदाताओं के सामने यह भी बड़ा मुद्दा होगा। (के विक्रम राव देश के जाने-माने पत्रकार हैं, स्तंभकार हैं। यह आलेख उनकी फेसबुक वॉलपोस्ट से साभार)।

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