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Thursday 20 June 2013 09:09:50 AM
नई दिल्ली। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने अपने 68वें दौर के सर्वेक्षण में जुलाई 2011-जून 2012 के दौरान एकत्र आंकड़ों के आधार पर भारत में घरेलू उपभोक्ता व्यय के प्रमुख संकेतक जारी किए हैं।
एनएसएस उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण का उद्देश्य मासिक आधार पर परिवार की प्रति व्यक्ति व्यय (एमपीसीई) का आकलन करना और इसे देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के आधार पर अलग-अलग बांटना है। ऐसे संकेतक जनसंख्या से संबंधित समूहों के जीवन स्तर के मापकों में से एक होते हैं और योजना आयोग द्वारा गरीबी का आंकलन किए जाने वाले महत्वपूर्ण कारक होते हैं। पंचवार्षिक सर्वेक्षण के विस्तृत परिणाम आमतौर पर एनएसएसओ कई रिपोर्टों के जरिए जारी करता है। योजना बनाने, नीति निर्माण, निर्णय लेने संबंधी कार्यों और अतिरिक्त सांख्यिकी कार्यों के लिए रिपोर्ट जारी करने से पहले सर्वेक्षण के मुख्य परिणाम उपलब्ध कराने के लिए एनएसएसओ ने प्रमुख संकेतक जारी किए हैं।
प्रमुख संकेतक केंद्रीय प्रतिदर्श पर आधारित है, जिसमें बस मार्ग से 5 किलोमीटर बाद स्थित नागालैंड के गांव और अंडमान और निकोबार द्वीप के गांवों को छोड़कर देश के सभी राज्यों एवं संघशासित प्रदेशों में फैले ग्रामीण क्षेत्रों के 7469 गांव और 5268 शहरी प्रखंड शामिल हैं। एमएमआरपी पर आधारित प्रति व्यक्ति मासिक व्यय (एमपीसीई) से संबंधित सर्वेक्षण के मुख्य परिणाम इस प्रकार हैं-औसत एमपीसीई के बारे में अनुमान है कि यह ग्रामीण भारत में करीब 1430 रुपये और शहरी भारत में 2630 रुपये था। इस प्रकार शहरी आबादी का प्रति व्यक्ति व्यय स्तर ग्रामीण लोगों के व्यय की तुलना में औसतन लगभग 84 प्रतिशत अधिक था। केवल 10 प्रतिशत ग्रामीण आबादी का घरेलू एमपीसीई 2296 रूपए से अधिक था और केवल 5 प्रतिशत का एमपीई 2886 रूपए से अधिक था। केवल 5 प्रतिशत शहरी आबादी का घरेलू एमपीसीई 4610 रूपए से अधिक था और केवल 5 प्रतिशत का एमपीसीई 6383 रूपए से अधिक था।
वर्ष 2011-12 में औसतन ग्रामीण भारत के खर्च में खाद्य का हिस्सा 52.9 प्रतिशत था। इसमें अनाज और अनाज से जुड़ी खाद्य पदार्थों के लिए 10.8 प्रतिशत, दूध और दूध के उत्पाद के लिए 8 प्रतिशत, पेय पदार्थ, रिफरेशमेंट और प्रसंस्कृत खाद्य पर 7.9 प्रतिशत तथा सब्जियों पर 6.6 प्रतिशत शामिल है। खाद्य पदार्थों के अलावा ईंधन और बिजली (परिवहन को छोड़कर) पर 8 प्रतिशत, कपड़ों और जूतों पर 7 प्रतिशत, दवाइयों पर खर्च 6.7 प्रतिशत, शिक्षा के लिए 3.5 प्रतिशत, परिवहन के लिए 4.2 प्रतिशत, अन्य उपभोक्ता सेवाओं (परिवहन को छोड़कर) के लिए 4 प्रतिशत और उपभोक्ता संबंधी टिकाऊ वस्तुओं पर 4.5 प्रतिशत खर्च करना शामिल है। औसतन शहरी भारत में पेय पदार्थ, रिफरेशमेंट और प्रसंस्कृत खाद्य के 9 प्रतिशत, दूध और दूध के उत्पाद का 7 तथा अनाज और उससे जुड़ी चीज़ों के लिए 6.7 प्रतिशत सहित खर्च में खाद्य का हिस्सा 42.6 प्रतिशत था। शिक्षा के लिए 6.9 प्रतिशत, ईंधन और बिजली के लिए 6.7 प्रतिशत, परिवहन के लिए 6.5 प्रतिशत तथा कपड़े और जूतों पर 6.4 प्रतिशत था।