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Wednesday 6 September 2023 12:42:48 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शिक्षक दिवस पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में समारोहपूर्वक उत्कृष्ट शैक्षणिक कार्यों एवं पहलों केलिए देशभर से चयनित शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि महान शिक्षाविद्, असाधारण शिक्षक और भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती मनाई जा रही है, वे चाहते थेकि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूपमें मनाया जाए। राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को बधाई देते कहाकि वह समझती हैंकि यह दिन विशेष रूपसे हर व्यक्ति को अपने विद्यार्थी जीवन की याद दिलाता है और अपने शिक्षक भी याद दिलाता है, इस दिन उन्हें अपने आदरणीय शिक्षक तो याद आते ही हैं, वे बच्चे भी याद आते हैं, जिन्हें उन्होंने ओडिशा के रायरंगपुर में श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में पढ़ाया था और उन बच्चों के प्यार को वे अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल करती हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि प्रारंभिक शिक्षा का किसी केभी जीवन में मौलिक महत्व होता है। उन्होंने कहाकि कई शिक्षाविद् बच्चों के संतुलित विकास केलिए थ्री-एच फॉर्मूले की बात करते हैं, जिसमें पहला एच हार्ट (ह्रदय), दूसरा एच हेड (सिर) और तीसरा एच हैंड (हाथ) है। उन्होंने बतायाकि हृदय का संबंध संवेदनशीलता, मानवीय मूल्यों, चरित्र की मजबूती एवं नैतिकता से है। उन्होंने कहाकि सिर या मस्तिष्क का संबंध मानसिक विकास, तर्क शक्ति और पढ़ाई से है और हाथ का संबंध शारीरिक कौशल एवं शारीरिक श्रम केप्रति सम्मान से है। उन्होंने कहाकि इस प्रकार के समग्र दृष्टिकोण पर बल देकर ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव होगा। राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दियाकि शिक्षण के पेशे में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाली शिक्षिकाओं की संख्या और अधिक होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि महिला सशक्तिकरण केलिए छात्राओं और शिक्षकों को प्रोत्साहित करना बेहद महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षक राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहाकि राष्ट्र निर्माता के रूपमें शिक्षकों के महत्व को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट रूपसे रेखांकित किया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षकों केसाथ माता-पिता काभी यह कर्तव्य हैकि वे प्रत्येक बच्चे की अनूठी क्षमताओं को पहचानें और संवेदनशीलता केसाथ उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करें। उन्होंने कहाकि हर माता-पिता चाहते हैंकि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा उनके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार किया जाए और माता-पिता बड़े विश्वास केसाथ अपने बच्चों को शिक्षकों को सौंपते हैं। उन्होंने कहाकि एक कक्षा के 40-50 बच्चों केबीच प्यार बांटने का अवसर मिलना प्रत्येक शिक्षक केलिए बेहद सौभाग्य की बात है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हर कोई अपने शिक्षकों को याद करता है। उन्होंने कहाकि बच्चों को शिक्षकों से जो प्रशंसा, प्रोत्साहन या सजा मिलती है वह उनकी यादों में बसी रहती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अगर बच्चों में सुधार लाने के इरादे से उन्हें सजा दी जाती है तो उन्हें इसका एहसास बाद में होता है। उन्होंने कहाकि बच्चों को ज्ञान देने से ज्यादा महत्वपूर्ण प्यार और स्नेह देना है। राष्ट्रपति ने कहाकि श्रम, कौशल एवं उद्यम केप्रति सम्मान व्यक्त करने केलिए इस वर्ष कौशल विकास और उद्यमशीलता के क्षेत्रों में योगदान देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया है, साथही उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन करने वाले शिक्षकों कोभी पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने कहाकि उनका ध्यान इस बात पर गयाकि देशभर के स्कूलों में शिक्षिकाओं की संख्या 51 प्रतिशत से अधिक है, जबकि पुरस्कार विजेताओं में उनकी संख्या 32 प्रतिशत है, उच्च शिक्षण संस्थानों में पुरस्कृत शिक्षिकाओं की संख्या केवल 23 प्रतिशत है, जबकि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उन संस्थानों में महिला अध्यापिकाओं की कुल संख्या लगभग 43 प्रतिशत है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अध्यापन कार्य में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए मैं चाहूंगीकि राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करनेवाले शिक्षकों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो, छात्राओं और अध्यापिकाओं को प्रोत्साहित करना महिला सशक्तीकरण केलिए बहुत जरूरी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अनेक प्रावधान किए गए हैं, शिक्षकों की भर्ती और नियुक्ति से उनके निरंतर व्यावसायिक विकास, कैरियर प्रबंधन और प्रगति केलिए सुविचारित व्यवस्था की गई है, शिक्षकों के शिक्षण केप्रति भी नए दृष्टिकोण केसाथ विचार किया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक मजबूत और जीवंत शिक्षा प्रणाली को विकसित करने पर जोर दिया गया है, इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कारों और गौरव से जुड़ने को प्राथमिकता देती है, भारत की प्राचीन तथा आधुनिक संस्कृति, ज्ञान प्रणालियों और परम्पराओं से प्रेरणा प्राप्त करना भी हमारी शिक्षा नीति का स्पष्ट सुझाव है। राष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षक और विद्यार्थी चरक, सुश्रुत तथा आर्यभट से पोखरण और चंद्रयान-3 तककी उपलब्धियों के बारेमें विस्तृत जानकारी प्राप्त करें, उनसे प्रेरणा लें तथा बड़ी सोच केसाथ राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य केलिए कार्य करें और शिक्षक एवं विद्यार्थी कर्तव्यकाल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में तेजीसे आगे ले जाएंगे, यह उनका दृढ़ विश्वास है।