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Thursday 20 June 2013 11:29:13 AM
नई दिल्ली, देहरादून, लखनऊ। उत्तर भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बचाव और राहत अभियान जोरों से जारी है। प्राप्त सूचना के अनुसार उत्तराखंड में लगातार वर्षा के कारण विभिन्न हिस्सों में जान और माल की भारी क्षति हुई है। सेना, वायुसेना, राष्ट्रीय आपदा राहत बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बल और राज्य सरकार की मदद से खोज, राहत और बचाव अभियान चलाए जा रहे हैं। सेना, वायुसेना और नागरिक प्रशासन के हेलीकाप्टर राहत और बचाव कार्य में लगाए गए हैं। आवश्यक वस्तुओं और खाद्य सामग्री के पैकेट हवाई सेवा के माध्यम से गिराए जा रहे हैं।
आवश्यक साजो-सामान के साथ 442 कार्मिकों के 13 राष्ट्रीय आपदा राहत बल, खोज और बचाव अभियान में राज्य सरकार की सहायता के लिए तैनात किए गए हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ जिले भी बाढ़ से घिरे हुए हैं। वहां यूपी पुलिस और पीएसी बचाव कार्य में लगी है और उसने बड़ी संख्या में बाढ़ से घिरे लोगों, महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में सफलता पाई है। केंद्र सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी उत्तराखंड को बाढ़ राहत के लिए 25 करोड़ रुपए की सहायता दी है और कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार संकट की घड़ी में समस्त पीड़ितों और उत्तराखंड की जनता के साथ है।
उधर आपदा और बचाव की स्थिति की समीक्षा के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में बैठकें की जा रही हैं और उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश में राहत और बचाव उपायों का जायजा भी लिया जा रहा है। आवश्यक सहायता और जरूरी सामग्री की सुविधा बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उत्तराखंड सरकार के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक उत्तराखंड में सामान्य 71.3 मिलीमीटर वर्षा की तुलना में 385.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गयी है, जो 1 जून से 18 जून 2013 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान होने वाली वर्षा से 440 प्रतिशत अधिक है। राष्ट्रीय आपदा राहत बल के एक दल और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के भी एक दल को केदारनाथ और गौरीगांव में चलाए जा रहे बचाव अभियान में सहायता करने के लिए तैनात किया जा चुका है। मौसम के बिगड़ने से पहले 19 जून तक हेलीकाप्टरों का उपयोग करते हुए बचाव अभियान चलाए जा रहे थे।
हिमाचल प्रदेश में वहां की सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभावित जिलों की संख्या 1, मृतकों की संख्या 11 है। वहां सेना, वायुसेना, राष्ट्रीय आपदा राहत बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और राज्य सरकार की मदद से खोज, राहत और बचाव अभियान चलाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय आपदा राहत बल के 61 कार्मिक बचाव अभियान में राज्य सरकार की सहायता के लिए तैनात किए गए हैं। आवश्यक सहायता और जरूरी सामग्री की सुविधा बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी हिमाचल प्रदेश सरकार के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार दिल्ली में यमुना नदी पर बने रेल सेतु के आसपास बाढ़ की स्थिति गंभीर है। कल दोपहर तीन बजे यमुना का जलस्तर 207.00 मीटर के स्तर पर था, जो खतरे के निशान 204.83 से 2.17 मीटर ऊपर है। हालांकि 6 सितंबर 1978 को आई गंभीर बाढ़ के 207.49 मीटर के स्तर से यह 0.49 मीटर नीचे है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने निचले क्षेत्रों में रह रहे करीब पाँच हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्रशासन की ओर से किसी व्यक्ति के मरने की खबर नहीं है। राष्ट्रीय आपदा राहत बल के एक दल को दिल्ली के बोट क्लब पर राहत और बचाव अभियान के लिए तैनात किया जा चुका है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली राज्यों में निगरानी कक्ष के माध्यम से गृह मंत्रालय लगातार स्थिति की निगरानी कर रहा है।
उत्तर प्रदेश पीएसी मुख्यालय ने बताया है कि 37वीं वाहिनी पीएसी कानपुर के डी-दल बाढ़ राहत ने यूपी के तराई जिले लखीमपुर खीरी के थाना ईशानगर के ग्राम मिर्जापुर मल्लापुर की करीब 70 महिलाओं, पुरुष एवं बच्चों को घाघरा नदी की बाढ़ से सुरक्षित बचाकर उनको उनके घरों को पहुंचा दिया है। मौके पर मौजूद क्षेत्र के लोगों, उच्चाधिकारियों ने इसमें सफलता के लिए पीएसी जवानों की सराहना की है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में वहां की पुलिस और पीएसी ने अदम्य साहस और कुशलता से गंगा की बाढ़ में फंसे करीब चार सौ लोगों और जानवरों को मोटर वोट और नावों से सुरक्षित निकालने और उन्हें राहत पहुंचाने में बड़ी सफलता प्राप्त की है। तेईसवीं वाहिनी पीएसी की दो प्लाटूनों और पुलिस के जवानों को इस बचाव अभियान में लगाया गया था। जिलाधिकारी बिजनौर ने इसके लिए पीएसी की दोनों प्लाटूनों के कमांडरों को 25-25 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की है।