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Friday 15 September 2023 06:26:09 PM
भोपाल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि पत्रकार प्रेस की स्वतंत्रता के अंतिम प्रहरी हैं और लोकतंत्र में उनके कंधों पर बहुत बड़ा दायित्व है। स्वतंत्र पत्रकारिता को लोकतंत्र की रीढ़ बताते हुए उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त कीकि हमारे प्रहरी कुंभकरण मुद्रा और निद्रा में हैं, जोकि देश केलिए ठीक नहीं है। आज भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि सभी जानते हैंकि पत्रकारिता व्यवसाय नहीं है, समाज सेवा है, लेकिन अफसोस! बहुत से लोग यह भूल गए हैं और 'पत्रकारिता एक अच्छा व्यवसाय बन गई है, शक्ति का केंद्र बन गई है, सही मानदंडों से हट गई है, भटक गई है', इसपर सबको सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि पत्रकार का काम किसी राजनीतिक दल का हितकारी होना नहीं है, न ही पत्रकार का यह काम हैकि वह किसी सेट एजेंडा के तहत चले या कोई विशेष नैरेटिव चलाए। उपराष्ट्रपति ने सकारात्मक समाचारों को महत्व देने की ज़रूरत है पर बल देते हुए कहाकि प्रेस की स्वतंत्रता तभी हो सकती है, जब प्रेस जिम्मेवार हो।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि पत्रकारिता की वर्तमान दशा-दिशा गहन चिंता और चिंतन का विषय है, हालात विस्फोटक हैं और अविलंब निदान होना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से कहाकि आप प्रजातंत्र की बहुत बड़ी ताकत हैं और अपनी ताकत से सभीको सजग कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने चिंता व्यक्त कीकि लोकतंत्र का यह वाचडॉग अब व्यवसायिक हितों के आधार पर काम करने लगा है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब आप जनता के वाचडॉग हो तो किसी व्यक्ति का हित आप नहीं कर सकते, आप सत्ता का केंद्र नहीं बन सकते, सेवाभाव से काम करना होगा। उन्होंने कहाकि आवश्यकता है-सच्चाई, सटीकता और निष्पक्षता, इनके बिना कुछ होगा नहीं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जिनका काम सबको आईना दिखाने का है, हम ऐसे हालात में पहुंच गए हैंकि हमें उनको आईना दिखाना पड़ रहा है, यह चिंता का विषय है। विकास को राजनीति से जोड़कर न देखने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहाकि विकास की चर्चा करने का यह आशय नहीं हैकि आप किसी राजनीतिक दल की प्रशंसा कर रहे हैं, बल्कि विकास एक जमीनी हकीकत है।
उपराष्ट्रपति ने विभिन्न आंकड़े देते हुए कहाकि मध्य प्रदेश ने विकास के क्षेत्र में कई मुकाम हासिल किए गए हैं, जिन्हें राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए जैसेकि सिंचाई में 20 साल में 6 गुना वृद्धि हुई और हर डिविजनल हैडक्वाटर चार लेन से जुड़ा हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि पत्रकार अगर विकास को अपने रडार पर रखेगा तो समाज में जो सकारात्मक बदलाव आ रहा है, उसमें निश्चित रूपसे गति आएगी और विकास के मामले में राजनीतिक चश्मे को निकालकर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष के बयान का जिक्र करते हुए कहाकि पिछले 6 साल में वित्तीय समावेशन में जो भारत ने किया है, वो 47 साल में भी संभव नहीं था। जगदीप धनखड़ ने कहाकि दस वर्ष पूर्व हम विश्व की पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिने जाते, लेकिन आज विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि किसी मुद्दे पर सहमति हो या ना हो विचार विमर्श आवश्यक है, आपका अपना मत और विवेक है, आप सहमत-असहमत हो सकते हैं, लेकिन विमर्श से मना नहीं कर सकते। उन्होंने कहाकि राज्यसभा के सभापति की हैसियत से मैं लगातार इस ओर प्रयास कर रहा हूंकि वहां क्या होना चाहिए, संवाद, वाद-विवाद, चर्चा, विचार-विमर्श, परंतु हो क्या रहा है? विघ्न, विघ्न। संविधान सभा में तो 3 साल तक ऐसा कभी नहीं हुआ था, उन्होंने तो बहुत ही गंभीर मुद्दों का सामना किया था, उनका समाधान ढूंढा विचार विमर्श से।
उपराष्ट्रपति ने निराशा व्यक्त कीकि मीडिया इस मुद्दे पर अपेक्षित ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने अपील कीकि यह जन आंदोलन बनना चाहिएकि आपके जनप्रतिनिधि कैसे ऐसा आचरण कर सकते हैं और उस उत्तरदायित्व का निर्वाहन कर रहे हैं या नहीं जो संविधान ने उनको दिया है। उन्होंने कहाकि ख़बर वह है, जिसे कोई छुपाना चाहता है, जिससे लोग डरते हैंकि सामने ना आ जाए, 80 के दशक में खोजी पत्रकारिता थी। वह बाद में पता नहीं कहां खो गई, कहां भटक गई खोजी पत्रकारिता, लगभग विलुप्त हो चुकी है। उपराष्ट्रपति ने टीवी डिबेट में असंसदीय भाषा के प्रयोग पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहाकि कुछ लोग देश की प्रशंसा को डाइजेस्ट नहीं कर सकते, उनका हाजमा खराब हो जाता है, भारत में जबभी कुछ अच्छा होता है, वह पचा नहीं पाते और मौका ढूंढते हैंकि भारत को, हमारी संस्थाओं को कैसे कलंकित करें और दुनिया में फेरा लगते हैं। भ्रष्टाचार को समाप्त करने में पत्रकारों की बड़ी भूमिका बताते हुए उन्होंने कहाकि पहले पत्रकारिता एक मिशन थी, एक उद्देश्य था समाज का हित था, पर अब टॉप आ गई है सनसनीखेज रिपोर्टिंग।
जगदीप धनखड़ ने विश्वास व्यक्त कियाकि रचनात्मक, सकारात्मक योगदान ही महान भारत को 2047 में विश्व गुरु बनाएगा, 2047 में निश्चित रूपसे भारत दुनिया के शीर्ष पर होगा। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहाकि हमें गर्व होना चाहिएकि हम भारतीय हैं, हमें देश को सर्वोपरि रखना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त कीकि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पारंपरिक परिधान और अंगवस्त्र में पूरे भारत की झलक देखने को मिलती है। उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत पर छात्रों को डॉक्टरेट की उपाधि और पदक भी प्रदान किए। इस अवसर पर डॉ सुदेश धनखड़, मध्य प्रदेश के मंत्री राजेंद्र शुक्ला व मोहन यादव, सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, उपकुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश, शिक्षक, छात्र-छात्राएं, अभिभावक और गणमान्य जन उपस्थित थे।