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Saturday 23 September 2023 02:46:18 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अंतर्राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा हैकि किसीभी देश के निर्माण में वहां की लीगल फ्रैटर्निटी की बहुत बड़ी भूमिका होती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में वर्षों से न्यायपालिका और बार भारत की न्याय व्यवस्था के संरक्षक हैं। उन्होंने कहाकि भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं और आजादी की इस लड़ाई में कानूनी पेशेवरों की बहुत बड़ी भूमिका रही है, अनेकों वकीलों ने चलती हुई वकालत छोड़ करके राष्ट्रीय आंदोलन का रास्ता चुना था, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पी बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर, देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर, ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व भी वकील ही थे, यानी कानूनी पेशेवरों के अनुभव ने आजाद भारत की नींव को मजबूत करने का काम किया और आज जब भारत केप्रति विश्व का जो भरोसा बढ़ रहा है, उसमें भी भारत की निष्पक्ष स्वतंत्र न्याय व्यवस्था की बड़ी भूमिका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज अंतर्राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन एक ऐसे में समय हो रहा है, जब भारत कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी बना है। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत की संसद ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का नारीशक्ति वंदन कानून पास किया है, जो भारत में महिला नेतृत्व विकास की नई दिशा और ऊर्जा देगा। उन्होंने कहाकि जी-20 के ऐतिहासिक आयोजन में दुनिया ने हमारे लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और हमारी कूटनीति की झलक देखी है एवं एक महीने पहले आज केही दिन भारत चंद्रमा के साउथ पोल के समीप पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था, ऐसी अनेक उपलब्धियों के आत्मविश्वास से भरा भारत आज 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य केलिए मेहनत कर रहा है और निश्चित तौरपर इस लक्ष्य की प्राप्ति केलिए भारत को एक मजबूत निष्पक्ष, स्वतंत्र न्याय व्यवस्था का आधार चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन इस दिशा में भारत केलिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा और इस दौरान सभी देश एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं से काफी कुछ सीख सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन 2023 का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न कानूनी विषयों पर सार्थक संवाद और चर्चा केलिए एक मंच के रूपमें कार्य करना, विचारों, अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, कानूनी मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझ को मजबूत करना है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक कानूनी बिरादरी के प्रसिद्ध लोगों केसाथ बातचीत करने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। इंग्लैंड के लॉर्ड चांसलर एलेक्स चाक और बार एसोसिएशन ऑफ इंग्लैंड के प्रतिनिधियों, राष्ट्रमंडल और अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों और देशभर के लोगों की उपस्थिति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन 2023 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना का प्रतीक बनें। प्रधानमंत्री ने विदेशी गणमान्य व्यक्तियों का भारत में स्वागत किया और इस कार्यक्रम के आयोजन का नेतृत्व करने केलिए भारतीय अधिवक्ता परिषद को धन्यवाद भी दिया। प्रधानमंत्री ने आज की दुनिया में आपसी संबंधों के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने कहाकि आज विश्व में कई ताकतें हैं, जिन्हें सीमाओं और अधिकार क्षेत्रों की परवाह नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब खतरे वैश्विक हैं तो उनसे निपटने के तरीके भी वैश्विक होने चाहिए। उन्होंने साइबर, आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दुरुपयोग की संभावनाओं पर बात की और कहाकि ऐसे मुद्दों पर एक वैश्विक रूपरेखा तैयार करना सिर्फ सरकारी मामलों से आगे है, बल्कि यह विभिन्न देशों के कानूनी ढांचे केबीच जुड़ाव की भी मांग करता है। वैकल्पिक विवाद समाधान पर प्रधानमंत्री ने कहाकि वाणिज्यिक लेनदेन की बढ़ती जटिलता केसाथ एडीआर ने पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल की है। उन्होंने कहाकि भारत में विवाद समाधान की अनौपचारिक परंपरा को व्यवस्थित करने केलिए भारत सरकार ने मध्यस्थता अधिनियम बनाया है, इसी तरह लोक अदालतें भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं और लोक अदालतों ने बीते 6 वर्ष में लगभग 7 लाख मामलों का समाधान किया है। न्याय वितरण के एक महत्वपूर्ण पहलू पर जिसके बारे में ज्यादा विचार नहीं किया गया है प्रधानमंत्री ने भाषा और कानून की सरलता का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने सरकार के दृष्टिकोण के बारेमें जानकारी दी औरकिसी भी कानून को दो भाषाओं में पेश करने के संबंध में चल रही चर्चा के बारेमें बताया कि एक जिसकी कानूनी प्रणाली आदी है और दूसरी आम नागरिकों केलिए, नागरिकों को यह महसूस करना चाहिएकि कानून उनका है। उन्होंने कहाकि सरकार सरल भाषा में नए कानूनों का मसौदा तैयार करने का प्रयास कर रही है, उन्होंने इसके लिए डेटा संरक्षण कानून का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने अपने निर्णयों को 4 स्थानीय भाषाओं हिंदी, तमिल, गुजराती और उड़िया में अनुवाद कराने की व्यवस्था करने केलिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय को बधाई दी और भारत की न्यायिक प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कानूनी प्रक्रियाओं को प्रौद्योगिकी, सुधारों और नई न्यायिक प्रक्रियाओं के माध्यम से सुव्यवस्थित करने के तरीके खोजने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि तकनीकी प्रगति ने न्यायिक प्रणाली केलिए नए रास्ते खोले हैं और कानूनी पेशे द्वारा तकनीकी सुधारों का लाभ उठाने का आह्वान किया।
अंतर्राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा और ब्रिटेन के लॉर्ड चांसलर एलेक्स चाक भी उपस्थित थे। सम्मेलन की पृष्ठभूमि के तहत भारतीय अधिवक्ता परिषद ने 23-24 सितंबर 2023 को 'न्याय वितरण प्रणाली में उभरती चुनौतियां' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन 2023 का आयोजन कर रही है। सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न कानूनी विषयों पर सार्थक संवाद और चर्चा केलिए एक मंच के रूपमें कार्य करना है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व, विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और कानूनी मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझ को मजबूत करना। देश में पहली बार आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में उभरते कानूनी प्रचलन, सीमापार मुकद्मेबाजी में चुनौतियां, कानूनी प्रौद्योगिकी, पर्यावरणीय कानून आदि विषयों पर चर्चा होगी। कार्यक्रम में प्रतिष्ठित न्यायाधीशों, कानूनी पेशेवरों और वैश्विक कानूनी बिरादरी के नेताओं की भागीदारी रही।