Sunday 1 October 2023 04:03:46 PM
डॉ श्रीगोपाल नारसन
शांतिवन (राजस्थान)। असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा हैकि जो यह मानते हैंकि भारत 15 अगस्त 1947 से शुरू हुआ है और हमारा संविधान ही भारत का मूलभूत है, इसपर मैं समझता हूंकि भारत की सनातन सभ्यता और संस्कृति पांच हजार साल पुरानी है, जो भारत का मूलभूत गौरव है। डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में नए युग केलिए दिव्य ज्ञान विषय पर आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि हमने जो ज्ञान ऋषि-मुनियों से पाया है, वही ज्ञान हमारे संविधान में समाहित है, भारत का संविधान हमारे ही देश की शिक्षा, सभ्यता और संस्कार से प्रेरित है, जो कहता हैकि हमें संविधान के आधार पर चलना चाहिए, लेकिन मैं कहता हूंकि उससे पहले हम भारत की पुरातन शिक्षा के आधार पर चलें तो अच्छा इंसान बन सकते हैं, सदाचार, सच्चाई, सद्भाव, अहिंसा, दया, प्रेम, करुणा, क्षमा और धैर्य हमारे मूल्य हैं, इनके आधार से ही व्यक्ति के चरित्र का निर्धारण किया जाता रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने कहाकि श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार कर्म ही हमारा मूल धर्म होना चाहिए, गीता कहती हैकि आप कर्म करो और भगवान को अर्पण करो, यही जीवन का मार्ग है, इससे ही जीवन सफल होगा। डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने कहाकि गीता में श्रीकृष्ण ने कहा हैकि मानव मात्र निमित्त होता है, जो करते हैं भगवान करते हैं। उन्होंने कहाकि हमारा मूल ज्ञान यही हैकि परमात्मा एक हैं और हम सभी आत्माएं हैं, हमारे गलत कर्म हमें परमात्मा से दूर कर देते हैं, लेकिन जब हम परोपकार, पुण्यकर्म करते हैं तो परमात्मा से पुन: मिल सकते हैं, सेवा से आत्मा निर्मल होती है, निर्मल आत्मा, परमात्मा की सबसे प्रिय और पास होती है। उन्होंने कहाकि ब्रह्माकुमारीज़ में हमें आत्मा को परमात्मा से मिलाने का ज्ञान दिया जाता है। वर्ष 1937 में इस संगठन की शुरुआत की गई थी, जो आज विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संगठन बन चुका है। ये भारत की गौरवगाथा को विश्व में प्रसारित कर रहा है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहाकि महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानंद, आदि शंकराचार्य जैसे संत-महात्मा, ऋषि मानव जाति केलिए अध्यात्म की विरासत छोड़ गए हैं और ब्रह्माकुमारीज़ संगठन इससे लोगों में आंतरिक शांति और बदलाव लाने में जुटा है, यहां के ज्ञान और शिक्षा से लोगों में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने कहाकि स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन का यह नारा साकार हो रहा है, लोगों का जीवन बदला है और सुख-शांति आई है। उन्होंने कहाकि ब्रह्माकुमारीज़ विश्वभर में यौगिक खेती, नशामुक्ति, स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही है। ब्रह्माकुमारीज़ की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मोहिनी दीदी ने इस अवसर पर कहाकि आज विश्व ने सभी क्षेत्रों में बहुत प्रगति की है, लेकिन इस प्रगति केसाथ जागृति का बैलेंस नहीं है, नई सोच नहीं है और तब तक परिवर्तन नहीं हो सकता है। उन्होंने कहाकि वर्ष 1937 में ब्रह्मा बाबा को साक्षात्कार हुए और उन्होंने विश्व परिवर्तन की नींव रखी। उन्होंने सभी को ज्ञान दियाकि हम सभी आत्माएं हैं, शरीर तो एक वस्त्र है। डॉ हिमंत बिश्व शर्मा ने कहाकि सतयुग में हम सभीका अनादिस्वरूप होता है।
ब्रह्माकुमारीज के मीडिया निदेशक बीके करुणा भाई ने कहाकि 1937 में हम सभीको परमात्मा द्वारा प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से दिव्य ज्ञान मिला। मात्र 87 वर्ष में यह ज्ञान माताओं-बहनों ने पूरे विश्व में पहुंचा दिया, आत्मा की शिक्षा ही यहां का मुख्य आधार है, ईश्वर हम सभी के माता-पिता हैं, इस विद्यालय की सफलता का राज सहज राजयोग मेडिटेशन है। संस्था के कार्यकारी सचिव डॉ बीके मृत्युंजय भाई ने कहाकि आपका अपने घर में, परमात्मा के घर में स्वागत है। सम्मेलन में देशभर से 50 से अधिक विधायक, सांसद, राज्यों के कैबिनेट मंत्री, शिक्षाविद और निजी कंपनियों के सीईओ, निदेशक भाग ले रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी से मुलाकातकर उनका आशीर्वाद लिया। दादी का सान्निध्य पाकर मुख्यमंत्री गदगद हो गए। दादी ने उनका शॉल पहनाकर और परमात्मा का स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया। उन्होंने ज्ञान चर्चा की।
सम्मेलन में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री भगवंत खुबा ने कहाकि भारत ऋषि-मुनियों, तपस्वियों, योगियों का देश है, भारत ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म से विश्वगुरु था, कई कारणों से बीचमें विकृति आई, इस कारण दुनिया में अशांति, अधर्म, असत्य आया। उन्होंने कहाकि भारत ही एकमात्र देश है, जो विश्व को दिशा, शांति और धर्म दे सकता है, एकबार फिर से दुनिया को प्रेरित करने का समय आया है। उन्होंने कहाकि हमें पानी, ऊर्जा का उपयोग सावधानी से करना होगा, साथ ही कहाकि जबतक नारी शक्ति का उपयोग विश्व पूर्ण क्षमता केसाथ नहीं करता है, तबतक पूरा विकास नहीं कर सकता है। हरिद्वार से सांसद एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने मानाकि ब्रह्माकुमारीज़ आत्मा को परमात्मा से जोड़ रही है, मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने और संकल्प से सिद्धी की ओर की ब्रह्माकुमारीज़ की यह यात्रा प्रेरणास्रोत है, यहां से जुड़े ब्रह्माकुमार भाई-बहनें इस यात्रा के साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने कहाकि हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि यत्र नार्यस्ते पूज्यंते रमंते तत्र देवता: अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं, नारियों को जो सम्मान और स्थान इस विश्व विद्यालय में दिया जाता है वह और कहीं देखने को नहीं मिलता है, हमने पूरी पृथ्वी को मां कहा है।
रमेश पोखरियाल निशंक ने कहाकि हमने वसुधैव कुटुम्बकम् की बात की, लेकिन सिर्फ कुटुम्ब नहीं माना है, बल्कि सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: सबके सुख और स्वस्थ होने की कामना भी की है। उन्होंने कहाकि यह विचार सिर्फ हमारे भारत में है, नए युग का भारत विश्वगुरु के रूप में उभर रहा है, मृत्यु को जीतकर जो अमरता की बात करता है वह सिर्फ हमारा भारत ही करता है। उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 का जिक्र करते हुए कहाकि आज हम जिस यात्रा और लक्ष्य की बात कर रहे हैं, उसमें हमने उन बातों और सिद्धांतों को इसमें शामिल किया है, इसकी सराहना ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने भी की है। नेपाल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नहाकुल सुबेदी ने कहाकि ब्रह्माकुमारीज़ आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा भारत सहित नेपाल में लोगों का जीवन बदलने में जुटी है, अध्यात्म हमें सकारात्मक बना देता है, ऐसे प्रयासों से ही विश्व शांति आएगी। उत्तर प्रदेश के पशुपालन डेयरी विकास कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहाकि एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना ब्रह्माकुमारीज़ के माध्यम से साकार हो रही है, यहां से लोगों को बदलाव का संदेश दिया जा रहा है। नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री व सांसद प्रकाश मान सिंह ने कहाकि धर्म से ऊपर उठकर हमें एक विचारधारा केसाथ आगे बढ़ना होगा, तभी विश्व शांति आएगी।
ब्रह्माकुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराई। संस्था महासचिव राजयोगी बीके निर्वैर भाई ने कहाकि परमात्मा ने हमें श्रीमत दी है कि सबसे पहले उठकर गुड मार्निंग करो, यदि हम सबसे पहले गॉड से गुड मार्निंग करेंगे तो सारा दिन अच्छा जाएगा। नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार सरफराज सैफी ने कहाकि ब्रह्माकुमारीज़ जो कार्य देश-दुनिया में कर रही है, उसे और तेज करने की जरूरत है, आज सभी को सुकून की जरूरत है और हमें सुकून आत्मा को परमात्मा से मिलाने पर ही मिलेगा। रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु द्विवेदी ने कहाकि कोईभी युग हो ज्ञान वही दिव्य है, जो हर युग में शाश्वत हो, सत्य हो और सदा बना रहे, सबसे जरूरी हैकि हम इंसान बने रहें। आठ दशक में ब्रह्माकुमारीज़ की सबसे बड़ी उपलब्धि हैकि समाज में संवेदनाओं को जागृत रखा है। संस्था इंसान को इंसान बना रही है। राजस्थान के स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसेडर श्याम प्रताप राठौर ने कहाकि हमने ग्राम में पचास हजार पौधे लगाए, महिलाओं को आगे बढ़ाने में बड़े कदम उठाए हैं, लोगों को मूल्यों से जोड़ने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ने की नींव रखी। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन नेभी विचार व्यक्त किए। इन शख्सियतों को राष्ट्र चेतना पुरस्कार से नवाजा गया। सभी का शॉल, प्रशस्तिपत्र, मोमेंटो देकर सम्मान किया गया। यह सम्मेलन देश दुनिया केलिए नए युग के दिव्य ज्ञान की अनुभूति कहा जा सकता है।