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Wednesday 4 October 2023 03:29:52 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के 63वें पाठ्यक्रम के प्राध्यापकों और सदस्यों ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। राष्ट्रपति को इस अवसर पर बताया गयाकि यह एक विविध समूह है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों और 27 मित्रवत देशों के प्रशिक्षु अधिकारी भी शामिल हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें यकीन हैकि राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पाठ्यक्रम के दौरान सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं, कॉर्पोरेट क्षेत्र के अधिकारियों और मित्रवत देशों के अधिकारियों केबीच सुविचारों का आदान-प्रदान हुआ है। राष्ट्रपति ने कहाकि एनडीसी पाठ्यक्रम अपनी तरह का एक अनूठा पाठ्यक्रम है, इसमें शासन, प्रौद्योगिकी, इतिहास एवं अर्थशास्त्र केसाथ राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि एनडीसी में सीखने के समग्र दृष्टिकोण ने चुनौतियों का सामना करने के मामले में एनडीसी पाठ्यक्रम के सदस्यों को समृद्ध किया है, इनमें अनुसंधान, कक्षा में चर्चा, प्रतिष्ठित वक्ताओं की अंतर्दृष्टि और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के माध्यम से जमीनी स्तरपर प्रदर्शन प्रमुख हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एनडीसी पाठ्यक्रम के प्राध्यापकों और सदस्यों से कहाकि उन्हें बताया गया हैकि एनडीसी पाठ्यक्रम 6 मॉड्यूलों के आसपास बुने गए हैं, जिनका उद्देश्य रणनीतिक कौशल को मजबूत करना और भू-राजनीतिक एवं रणनीतिक मुद्दों की समझ को गहरा करना है, ताकि वे खासकर गंभीर स्थितियों में निर्णय लेने केलिए बेहतर ढंग से तत्पर हो सकें। राष्ट्रपति ने कहाकि आज हमारी सुरक्षा चिंताएं क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण से कहीं आगे तक फैली हुई हैं और इसमें अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा एवं साइबर सुरक्षा सहित कल्याण के कई अन्य आयाम भी शामिल हैं। उन्होंने कहाकि सशस्त्र बलों की भूमिका का पारंपरिक सैन्य मामलों से परे भी विस्तार हुआ है, हमें जटिल रक्षा और सुरक्षा परिवेश में भविष्य के संघर्षों केलिए अधिक एकीकृत बहुराज्य और बहुएजेंसी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी, इसलिए एनडीसी पाठ्यक्रम भविष्य के जटिल सुरक्षा माहौल से व्यापक तरीके से निपटने केलिए सैन्य और सिविल सेवा अधिकारियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण गतिशील है और कई चुनौतियां खड़ी करता है, तेजीसे बदलते भू-राजनीतिक माहौल में किसीभी प्रतिकूल स्थिति से निपटने केलिए हमें पूरी तरह से तैयार रहने की जरूरत है, राष्ट्रीय एवं वैश्विक मुद्दों की गहरी समझ की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना है, बल्कि साइबर युद्ध, प्रौद्योगिकी समर्थित आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी नई सुरक्षा चुनौतियों केलिए भी तैयार रहना है, व्यापक शोध पर आधारित अद्यतन ज्ञान और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को लागू करने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक हैकि शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्याओं के समाधान केलिए एक बहुविषयक दृष्टिकोण महान रणनीतिकार चाणक्य ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास तैयार किया था, राजनीति, अर्थशास्त्र, रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके ग्रंथ 'अर्थशास्त्र' में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है एवं प्रौद्योगिकी और संदर्भ में बदलाव के बावजूद कुछ प्राचीन विचार प्रासंगिक बने हुए हैं।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि किसी राष्ट्र की वास्तविक प्रगति काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती हैकि वह अपने संसाधनों, विशेषकर अपने मानव संसाधन का कितने प्रभावी ढंग से उपयोग करता है एवं प्रगति और विकास केलिए सुरक्षा और रक्षा आवश्यक है। राष्ट्रपति ने आशा कीकि राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज का राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति का प्रशिक्षण सभीको राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों में प्राप्त ज्ञान के माध्यम से सूचित नीतिगत निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना है, बल्कि साइबर युद्ध, प्रौद्योगिकी समर्थित आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी नई सुरक्षा चुनौतियों केलिए भी तैयार रहना है। उन्होंने कहाकि व्यापक शोध पर आधारित अद्यतन ज्ञान और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को लागू करने की आवश्यकता है, वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने केलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नवीन अनुप्रयोगों का पता लगाने की आवश्यकता है, वास्तव में सरकारी एजेंसियों और कॉर्पोरेट क्षेत्र को इन चुनौतियों की पहचान करने और उनका समाधान करने केलिए हाथ मिलाने की जरूरत है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि विभिन्न देशों के प्रतिभागियों केबीच घनिष्ठ बातचीत ने कई अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सभी प्रतिभागियों के दृष्टिकोण को समृद्ध और व्यापक बनाया है। उन्होंने मित्र देशों के अधिकारियों को संदेश देते हुए कहाकि भारत ने हमेशा 'वसुधैव कुटुंबकम' के विचार का पालन किया है, जिसका अर्थ हैकि भारत पूरी दुनिया को अपना मित्र और परिवार मानता है, हम सभी देशों केप्रति मैत्री की भावना को बढ़ावा देते हैं, विश्वास हैकि वर्तमान रक्षा पाठ्यक्रम के प्रतिभागी भविष्य में मौजूदा मित्रता को और भी प्रगाढ़ करेंगे।