स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 4 November 2023 12:58:03 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को हर वर्ष 20000 करोड़ रुपये का नुकसान होने के कारण पायरेसी रोकने केलिए कड़े कदम उठाए हैं। इस वर्ष मानसून सत्र के दौरान संसद में सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून-1952 को पारित करने केबाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी के खिलाफ शिकायतें प्राप्त करने और बिचौलियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायरेटेड सामग्री को हटाने का निर्देश देने केलिए नोडल अधिकारियों का एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया है। कॉपीराइट कानून और आईपीसी के तहत अभीतक कानूनी कार्रवाई को छोड़कर पायरेटेड फिल्मी सामग्री पर सीधे कार्रवाई करने केलिए कोई संस्थागत तंत्र नहीं है। इंटरनेट के प्रसार और लगभग प्रत्येक व्यक्ति द्वारा नि:शुल्क में फिल्मी सामग्री देखने में रुचि रखने केसाथ पायरेसी में तेजी देखी गई है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय उपरोक्त कार्रवाई से पायरेसी के मामले में तुरंत कार्रवाई कर सकेगा और फिल्म उद्योग को राहत मिलेगी।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहाकि इस कानून का उद्देश्य फिल्म पायरेसी पर अंकुश लगाने की फिल्म उद्योग की लंबे समय से चली आरही मांग को पूरा करना है। उन्होंने बतायाकि इस कानून में 40 वर्ष बाद संशोधन किया गया है, ताकि 1984 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन किए जाने केबाद डिजिटल पायरेसी सहित फिल्म पायरेसी के खिलाफ प्रावधानों को इसमें शामिल किया जा सके। उन्होंने बतायाकि संशोधन में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख तक रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है, सजा को 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है और ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत का 5 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है। कौन आवेदन कर सकता है? मूल कॉपीराइट धारक या इस उद्देश्य केलिए उनके द्वारा अधिकृत कोईभी व्यक्ति पायरेटेड सामग्री को हटाने केलिए नोडल अधिकारी को आवेदन कर सकता है।
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून-2023 के तहत कोई शिकायत किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जिसके पास कॉपीराइट नहीं है या कॉपीराइट धारक द्वारा अधिकृत नहीं है तो नोडल अधिकारी निर्देश जारी करने से पहले शिकायत की वास्तविकता तय करने केलिए मामले दर मामले के आधार पर सुनवाई कर सकता है। पायरेसी कानून के तहत नोडल अधिकारी से निर्देश प्राप्त करने केबाद डिजिटल प्लेटफॉर्म 48 घंटे की अवधि के भीतर पायरेटेड सामग्री देने वाले ऐसे इंटरनेट लिंक को हटाने केलिए बाध्य होगा। संसद में मानसून सत्र में पारित सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून-2023 (2023 का 12) ने फिल्म प्रमाणन से संबंधित मुद्दों का समाधान किया है, जिसमें फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग, फिल्म प्रदर्शन और इंटरनेट पर अनधिकृत प्रतियों के प्रसारण से फिल्म पायरेसी का मुद्दा शामिल है। पायरेसी केलिए सख्त दंड लगता है। यह संशोधन मौजूदा कानूनों के अनुरूप है, जो फिल्म पायरेसी के मुद्दों का समाधान करता है यानी कॉपीराइट कानून-1957 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून-2000।
सिनेमैटोग्राफ कानून-1952 की नई सम्मिलित धारा 6एबी में प्रावधान हैकि कोईभी व्यक्ति किसी प्रदर्शनी स्थल पर लाभ केलिए जनता के सामने प्रदर्शित करने केलिए किसीभी फिल्म का उल्लंघन करने वाली प्रति का उपयोग नहीं करेगा या उसके लिए नहीं उकसाएगा, जिसे इस कानून या उसके अंतर्गत बनाए गए नियम केतहत लाइसेंस नहीं मिला है या इस तरह से जो कॉपीराइट कानून-1957 या उस समय लागू किसी अन्य कानून के प्रावधानों केतहत कॉपीराइट का उल्लंघन है। सिनेमैटोग्राफ कानून में नई सम्मिलित धारा 7(1बी)(ii) में प्रावधान हैकि सरकार धारा के उल्लंघन में किसी मध्यस्थ मंच पर प्रदर्शित या होस्ट की गई ऐसी उल्लंघनकारी प्रति तक पहुंच को हटाने या अक्षम करने केलिए उचित कार्रवाई कर सकती है।