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Thursday 7 December 2023 03:47:54 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 पर चर्चा का जवाब दिया, जिसके बाद लोकसभा ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया। गृहमंत्री ने कहाकि हमने बहुत संवेदनशीलता केसाथ जम्मू-कश्मीर को संभाला है, हम जो संशोधन बिल लेकर आए हैं, वह ऐसे लोगों को अधिकार देने का बिल है, जो सालों से वंचित हैं, अधिकारों से वंचित हैं, जो अपना देश अपना प्रदेश अपना घर अपनी भूमि अपनी जायदाद छूटने से अपने ही देश में निराश्रित हो गए। उन्होंने कहाकि यह पिछड़ा वर्ग के लोगों को संवैधानिक शब्द अन्य पिछड़ा वर्ग से सम्मानित करने का बिल है। अमित शाह ने कहाकि कुल 29 वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए, लेकिन बिल के उद्देश्यों केसाथ सभी ने सहमति जताई। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए सैकड़ों प्रगतिशील परिवर्तनों की कड़ी में ये विधेयक एक और मोती जोड़ने का काम करेंगे।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि 70 साल से जिन लोगों के साथ अन्याय हुआ, जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी हुई, ये विधेयक उन्हें अधिकार और न्याय दिलाने वाले हैं। उनहोंने कहाकि जो लोग इन्हें वोट बैंक के रूपमें उपयोगकर अच्छे भाषण देकर राजनीति में वोट हासिल करने का ज़रिया समझते हैं, वे इसके नाम के बारेमें नहीं समझ सकते। गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता हैं, जो स्वयं गरीब घर में जन्म लेकर आज देश के प्रधानमंत्री बने हैं औऱ वे पिछड़ों औऱ गरीबों का दर्द जानते हैं और जब ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने की बात होती है, तब मदद से ज़्यादा सम्मान के मायने होते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि जम्मू-कश्मीर में 1980 के दशक केबाद आतंकवाद का दौर आया और जो लोग पीढ़ियों से वहां रहते थे, वे समूल वहां से विस्थापित हो गए, लेकिन किसी ने उनकी परवाह नहीं की। उन्होंने कहाकि जिनकी ज़िम्मेदारी ये सब रोकने की थी, वे इंग्लैंड में छुट्टियां मना रहे होते थे, अगर उन लोगों ने वोट बैंक की राजनीति के बिना और सख्ती केसाथ सटीक उपायकर आतंकवाद को शुरूआत में ही खत्मकर दिया होता तो आज इस बिल को लाने की ज़रूरत ही नहीं होती। अमित शाह ने कहाकि विस्थापितों को अपने ही देश के अन्य हिस्सों में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा और वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46631 परिवारों के 157967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। उन्होंने कहाकि ये विधेयक उन्हें अधिकार औऱ प्रतिनिधित्व देने वाला बिल है।
अमित शाह ने कहाकि 1947 में 31779 परिवार पाक अधिकृत कश्मीर से जम्मू-कश्मीर में विस्थापित हुए और इनमें से 26319 परिवार जम्मू-कश्मीर में और 5460 परिवार देशभर के अन्य हिस्सों में रहने लगे। उन्होंने कहाकि 1965 और 1971 में हुए युद्ध केबाद 10065 परिवार विस्थापित हुए और कुल मिलाकर 41844 परिवार विस्थापित हुए। उन्होंने कहाकि 5-6 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन विस्थापितों की दशकों से ना सुनाई देने वाली आवाज़ को सुना और इन्हें अधिकार दिए। अमित शाह ने कहाकि न्यायिक डिलिमिटेशन 5 और 6 अगस्त 2019 को पारित बिल का ही हिस्सा था। उन्होंने कहाकि डिलिमिटेशन कमीशन, डिलिमिटेशन और डिमार्केटेड असेंबली लोकतंत्र का मूल और जनप्रतिनिधि को चुनने की इकाई तय करने की प्रक्रिया है, अगर डिलिमिटेशन की प्रक्रिया ही पवित्र नहीं है तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं रह सकता, इसीलिए इस बिल में प्रावधान किया गया हैकि न्यायिक डिलिमिटेशन फिरसे किया जाएगा। उन्होंने कहाकि विस्थापितों के सभी समूहों ने डिलिमिटेशन कमीशन से कहाकि उनके प्रतिनिधित्व के बारेमें संज्ञान लिया जाए और ये हर्ष का विषय हैकि कमीशन ने प्रावधान किया हैकि 2 सीटें कश्मीरी विस्थापितों और 1 सीट पाक अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों केलिए नामांकित की जाए। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को कानूनी जामा पहनाया है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहलीबार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति केलिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति केलिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है, पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, जो अब 43 हो गई हैं, कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं वो अब 47 हो गई हैं और पाक अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें रिज़र्व रखी गई हैं। अमित शाह ने कहाकि पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं, अब 114 सीटें हो गई हैं, पहले विधानसभा में 2 नामित सदस्य होते थे, अब 5 होंगे। उन्होंने कहाकि ये सब इसीलिए हुआ, क्योंकि 5-6 अगस्त 2019 को एक ऐतिहासिक बिल को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने मंज़ूरी दी और इस सदन ने उसे मान्यता देकर धारा 370 को खत्म करने का काम किया। उन्होंने कहाकि इन विधेयकों के ज़रिए इतिहास में लोकसभा के इस प्रयास और आशीर्वाद को हर प्रताड़ित, पिछड़ा और विस्थापित कश्मीरी याद रखेगाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने 70 साल से भटकने वाले अपने ही देश के भाई-बहनों को न्याय दिलाने केलिए 2 सीटों का आरक्षण दिया। उन्होंने कहाकि वंचितों को कमज़ोर जैसे अपमानित करने वाले शब्दों के स्थान पर पिछड़ा वर्ग का संवैधानिक शब्द इनके लिए रखा।
कश्मीरी विस्थापितों को आरक्षण देने के औचित्य के बारेमें कुछ विपक्षी सदस्यों के सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहाकि यह कश्मीरी विस्थापितों को अधिकार और प्रतिनिधित्व देने वाला बिल है, इससे कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज़ गूंजेगी और अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे। गृहमंत्री ने कहाकि घाटी में जब आतंकवाद शुरू हुआ, लोगों को निशाना बनाकर वहां से भगाने की शुरुआत हुई, उस समय से अबतक घड़ियाली आंसू बहाने वालों को तो देखा, लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने सही मायने में लोगों के आंसू पोंछने का काम किया तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उन्होंने कहाकि हम उन लोगों की पीड़ा की कल्पना नहीं कर सकते, जो अपनी जान बचाने की खातिर कश्मीर में अपनी करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी छोड़कर बेंगलुरु, अहमदाबाद जम्मू या दिल्ली जैसे शहरों में जाकर कैंप में रहे हैं, जब उन लोगों ने कश्मीर से पलायन किया तो वहां उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया और फिर औने-पौने दाम में उन्हें अपनी जमीन बेचने को विवश किया गया, एक प्रकार से उनकी संपत्ति छीन ली गई और प्रशासन चुपचाप बैठा रहा, उसने कोई कदम नहीं उठाया।
अमित शाह ने कहाकि मोदी सरकार ने इस मामले में न्याय दिलाने केलिए नया कानून बनाया और इसे पूर्वव्यापी प्रभाव यानी पिछली तारीख से लागू कर उन्हें उनकी संपत्ति वापस देने का काम किया। अमित शाह ने कहाकि मोदी सरकार ने लगभग 1.6 लाख लोगों को अधिवास प्रमाणपत्र देने का काम किया है। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने केबाद प्रतिव्यक्ति 3250 रुपये और प्रति परिवार अधिकतम 13 हजार रुपये की नगद सहायता राशि दी जाती है। उन्होंने कहाकि हर महीने प्रतिव्यक्ति नौ किलो चावल, दो किलो आटा और एक किलो चीनी देने का काम हमारी सरकार कर रही है। गृहमंत्री ने कहाकि पाक अधिकृत कश्मीर से आए लोगों को एकमुश्त साढ़े पांच लाख रुपये देने का काम मोदी सरकार ने किया है। पिछले कुछ साल में कोई काम नहीं होने के दावे करने वालों से गृहमंत्री ने कहाकि जड़ से कटे लोगों को इस बदलाव का पता कैसे लगेगा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहाकि इंग्लैंड में छुट्टियां मनाकर जम्मू-कश्मीर के बदलाव का अनुभव नहीं किया जा सकता।
गृहमंत्री ने कहाकि एक पिछड़ा वर्ग आयोग बनाया गया है, जिसने सहभागिता के अप्रोच केसाथ हितधारकों केसाथ कई दौर की बैठकें की। आयोग ने 198 प्रतिनिधिमंडल और 16 हजार लोगों की सुनवाई 750 दिन में की। सभी 20 जिलों में जाकर यह सुनवाई की गई और डाक से प्राप्त लगभग 26 हजार अर्जियों को भी संज्ञान में लिया गया और इनमें जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम में सुधार का सुझाव एक मूल तत्व था। उन्होंने कहाकि यह अधिनियम पहले भी था, लेकिन वह कमजोर वर्गों केलिए था, जबकि इसबार संवैधानिक नाम अन्य पिछड़ा वर्ग देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सम्मान दिया है। अमित शाह ने कहाकि यह एक ऐतिहासिक सत्य हैकि विपक्षी पार्टियों ने पिछड़ा वर्ग का सबसे बड़ा विरोध किया और पिछड़े वर्ग को रोकने का काम किया है। उन्होंने विपक्ष से सवाल कियाकि आखिर सत्तर साल तक पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता क्यों नहीं दी गई, जबकि संविधान का यह मैंडेट है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे संवैधानिक मान्यता दी। अमित शाह ने कहाकि आम सभाओं में बैकवर्ड क्लास, बैकवर्ड क्लास बोलने वाले विपक्ष के नेताओं को जनता के सामने बताना चाहिएकि किसने काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को रोककर रखा, मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने केबाद जबतक वे सत्ता के बाहर नहीं गए, तबतक वह लागू नहीं हुआ और बादमें लागू हुआ भी तो विपक्ष के नेता ने इसका विरोध किया।
अमित शाह ने कहाकि विपक्ष ने सेंट्रल एडमिशन स्कीम केतहत बैकवर्ड क्लास को रिजर्वेशन देने का काम कभी नहीं किया, यह काम सिर्फ मोदी सरकार में हुआ और अब सैनिक स्कूलों, नीट और केंद्रीय विद्यालयों में पिछड़ा वर्ग के बच्चों को को सम्मान केसाथ पढ़ने का अवसर दिया गया है। अमित शाह ने कहाकि अबतक EWS यानी आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देने की बात कभी नहीं सोची गई, पहलीबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनारक्षित जातियों के गरीब बच्चों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। गृहमंत्री ने विपक्ष की ओरसे उठाए गए कुछ कानूनी और संवैधानिक मुद्दे को लेकर भी विस्तार से जवाब दिया। गृहमंत्री ने कहाकि कई सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की चिंता करते हुए इसे सीधा धारा 370 को समाप्त करने से जोड़ दिया। उन्होंने कहाकि 1994 से 2004 केबीच कुल 40164 आतंकवाद की घटनाएं हुईं, 2004 से 2014 केबीच ये घटनाएं 7217 हुईं और मोदी सरकार के 9 साल में 70 प्रतिशत की कमी केसाथ ये घटनाएं सिर्फ 2197 रह गईं। अमित शाह ने कहाकि इन घटनाओं में से 65 प्रतिशत पुलिस कार्यवाही के कारण घटित हुईं। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार के 9 साल में नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 72 प्रतिशत और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या में 59 प्रतिशत की कमी आई है। अमित शाह ने कहाकि 2010 में जम्मू और कश्मीर में 2654 पथराव की घटनाएं हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई है।
गृहमंत्री ने कहाकि 2010 में 132 ऑर्गेनाइज़्ड हड़तालें हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। गृहमंत्री ने कहाकि इसी सदन में सारी मर्यादाएं तोड़कर जो लोग कहते थेकि धारा 370 खत्म होने से रक्तपात होगा, लेकिन मोदी सरकार ने इस प्रकार की व्यवस्था की हैकि किसीकी एक कंकड़ फेंकने की भी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने कहाकि 2010 में सीज़फायर उल्लंघन की 70 घटनाएं हुईं थी, 2023 में सिर्फ 2 घटनाएं हुईं, 2010 में घुसपैठ की 489 घटनाएं हुईं, 2023 में सिर्फ 48 घटनाएं हुईं। अमित शाह ने कहाकि जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन की गुणवत्ता सुधारने केलिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अथक प्रयास किए हैं। गृह मंत्रालय हर माह कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करता है और हर 3 माह में वे स्वयं वहां जाकर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हैं। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार ने एक ज़ीरो टेरर प्लान बनाया है, जिसपर पिछले 3 साल से अमल हो रहा है और 2026 आतेआते ज़ीरो टेरर प्लान पूरी तरह से अमल में आ जाएगा। उन्होंने कहाकि इसके साथही कम्प्लीट एरिया डॉमिनेशन प्लान बनाया गया है, जो 2026 तक समाप्त हो जाएगा, पहले सिर्फ आतंकवादियों को मारा जाता था, लेकिन अब हमने इसके पूरे इकोसिस्टम को खत्मकर दिया है। इसके साथ-साथ टेरर फाइनेंस केतहत NIA ने 32 मामले दर्ज किए और ये मामले इसीलिए दर्ज हुए, क्योंकि पाकिस्तान से पैसा आ रहा था और मोदी सरकार ये नहीं होने देगी।
गृहमंत्री ने कहाकि धारा 370 खत्म होने केबाद 30 साल केबाद 2021 में जम्मू-कश्मीर में पहलीबार सिनेमा हॉल खुला। अमित शाह ने कहाकि श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स बना, पुलवामा, शोपियां, बारामूला और हंदवाड़ा में 4 नए थियेटर खुले और 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग शुरू हो गई। लगभग 100 सिनेमा हॉल्स केलिए बैंक लोन के प्रस्ताव बैंकों में विचाराधीन हैं। अमित शाह ने कहाकि जम्मू-कश्मीर में 45 हज़ार लोगों की मृत्यु की ज़िम्मेदार धारा 370 थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उखाड़कर फेंक दिया। उन्होंने कहाकि इस देश में एकही निशान, एकही विधान और एकही प्रधान होना चाहिए, इसी उद्देश्य केलिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी जान दी थी और यही देश की इच्छा थी। गृहमंत्री ने कहाकि धारा 370 एक टेम्परेरी प्रावधान था, जिसे बहुत पहलेही खत्म कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं की। उन्होंने कहाकि संविधान की इस स्पिरिटकि धारा 370 टेम्परेरी है के अनुरुप मोदीजी ने 5 अगस्त को वो दिन ला दिया, जब इसे खत्मकर दिया गया। उन्होंने कहाकि पहलीबार कश्मीरी, डोगरी, हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू को राज्य की आधिकारिक भाषा बनाया गया। उन्होंने कहाकि राइट टू एजुकेशन एक्ट, भूमि अधिग्रहण और मुआवज़े का कानून, फॉरेस्ट राइट एक्ट, एससी-एसटी प्रिवेंशन एट्रोसिटी एक्ट, व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992 को रोककर रखा गया था और ये अब लागू हो गए हैं और अब वहां की विधानसभा की अवधि भी 5 वर्ष की हो गई है।
अमित शाह ने कहाकि हर घर तिरंगा अभियान केतहत घाटी का एक भी घर ऐसा नहीं था, जहां तिरंगा ना फहराया गया हो, वहां ये बदलाव आया है। उन्होंने कहाकि लाल चौक पर हर त्यौहार को धूमधाम केसाथ मनाया जाता है और हर समुदाय के लोग इनमें भाग लेते हैं, संविधान की स्पिरिट को अब वहां ज़मीन पर उतारा गया है। अमित शाह ने कहाकि धारा 370 समाप्त होने से आईआईटी, आईआईएम और 2 एम्स वाला जम्मू और कश्मीर पहला राज्य बन गया है, 7 नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। 15 नए नर्सिंग कॉलेज बनाए गए हैं, मेडिकल सीटें 800 और जोड़ी गई हैं, 397 नई पीजी सीटें जोड़ने का काम किया है, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की औसत 158 किलोमीटर थी, अब 8068 किलोमीटर प्रति साल हो गई है, प्रधानमंत्री आवास योजना केतहत मोदी सरकार ने 145000 लोगों को घर दिए हैं, 13 लाख परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया है, 227 जनऔषधि केंद्रों पर सस्ती दवाएं लोगों को मिल रही हैं, खेलों में युवाओं की भागीदारी 60 लाख तक पहुंची है, पेंशन के लाभार्थी 6 लाख से 10 लाख तक पहुंचे हैं। अमित शाह ने कहाकि ये सारा परिवर्तन सिर्फ मोदी सरकार ने धारा 370 हटने केबाद किया है। उन्होंने कहाकि धारा 370 जाने से कश्मीर में आतंकवाद घटा है, जिसके कारण वहां अच्छा वातावरण बना है और इसी के कारण वहां इतना विकास हो सका है। गृहमंत्री ने कहाकि पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रीकाल में उनके लिए गए निर्णयों की वजह से हुई 2 बड़ी गलतियों के कारण सालों तक जम्मू-कश्मीर को तकलीफें सहनी पड़ीं।
गृहमंत्री ने कहाकि पंडित नेहरू की पहली गलती थीकि जब हमारी सेना जीत रही थी, तब पंजाब आते ही सीज़फायर कर दिया गया और पाक अधिकृत कश्मीर का जन्म हुआ, अगर सीज़फायर 3 दिन देरी से होता तो पाक अधिकृत कश्मीर आज भारत का हिस्सा होता। उन्होंने कहाकि दूसरी बड़ी गलती थी, जब वे हमारे संयुक्तराष्ट्र में मसले को ले गए, उस वक्त जब यूएन में मामला भेजना था, तबभी निर्णय बहुत आनन-फानन में लिया गया। उन्होंने कहाकि एक तो यह मामला यूएन में ले ही नहीं जाना चाहिए था और अगर ले भी जाया गया तो मामले को संयुक्तराष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 35 की जगह 51 केतहत ले जाना चाहिए था। गृहमंत्री ने कहाकि कई लोगों की सलाह देने के बावजूद भी अनुच्छेद 35 के तहत मामले को यूएन में ले जाया गया। उन्होंने कहाकि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखा हैकि यह उनकी गलती थी पर यह गलती नहीं ब्लंडर था, देश की इतनी जमीन चली गई, वह ब्लंडर था। अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में जम्मू-कश्मीर के विकास केलिए 80 हजार करोड़ रुपए की लागत से 63 परियोजनाएं शुरू की, जिनमें बिजली, इंफ्रास्ट्रक्चर, सिंचाई, शिक्षा और मेडिकल सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। अमित शाह ने विश्वास जतायाकि मोदी सरकार में 2 करोड़ पर्यटकों के पहुंचने का रिकॉर्ड इस दिसंबर में टूटेगा, जम्मू-कश्मीर एक ऐसा गंतव्य स्थान बन गया है, जिसका वातावरण और प्रकृति वैश्विक एवं आधुनिक नजरिए वाला है।