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Tuesday 12 December 2023 01:31:59 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा हैकि नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने के निर्णायक फैसले को सही ठहराते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला आया है और वे 130 करोड़ जनता की ओरसे अपने देश के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर के निवासियों और यहां से विस्थापित एवं पलायन कर गए परिवारों को कई वर्षों बाद मिले ऐतिहासिक न्याय का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहाकि एक संविधान, एक राष्ट्रीय ध्वज और एक प्रधानमंत्री बन चुका है और श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना साकार हो चुका है। गृहमंत्री ने बातें राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहीं। इसके बाद राज्यसभा ने बिल को पारित कर दिया, लोकसभा पहले ही दोनों विधेयकों को पारित कर चुकी है। गृहमंत्री ने कहाकि यह दिन जम्मू-कश्मीर और भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित होगा, जब सर्वोच्च न्यायालय ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय केतहत धारा 370 को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन की मंशा एवं प्रक्रिया को संवैधानिक घोषित कर दिया है। उन्होंने कहाकि इन विधेयकों केबारे में उठाए गए सवाल न्याय केलिए नहीं थे, बल्कि नरेंद्र मोदी सरकार के निर्णय को लंबित करने के इरादे से किए गए थे।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दे दिया है और कई चीज़ों को, जिन्हें 1950 से हम बताते रहे, अमली जामा पहना दिया। उन्होंने कहाकि सुप्रीम कोर्ट ने मानाकि जम्मू-कश्मीर केपास कभी आंतरिक संप्रभुता नहीं थी और अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। अमित शाह ने कहाकि अगर धारा 370 न्यायिक और ज़रूरी थी तो इसके सामने टेंपरेरी शब्द क्यों लिखा गया, जो कहते हैंकि धारा 370 स्थायी है, वो संविधान और संविधान सभा की मंशा का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैकि संविधान और देश की संसद को धारा 370 को हटाने का पूरा अधिकार है। अमित शाह ने कहाकि सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी मानाकि राज्यपाल शासन और राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को चुनौती देना ठीक नहीं है और ये पूर्णरूप से संवैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप है। उन्होंने कहाकि अनुच्छेद 370 (3) के प्रावधान को संविधान सभा ने ही तय किया और ये कहा गयाकि भारत के राष्ट्रपति धारा 370 में सुधार कर सकते हैं, इसपर रोक लगा सकते हैं और इसे संविधान से बाहर भी कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि सुप्रीम कोर्ट ने माना हैकि 5 अगस्त 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 का संचालन बंद करने का पूर्ण अधिकार है।
अमित शाह ने कहाकि सुप्रीम कोर्ट ने माना हैकि धारा 370 के तहत मिली हुई शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति एकतरफा सूचना जारी कर सकते हैं, जिसे संसद के दोनों सदनों का साधारण बहुमत से अनुमोदन चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मानाकि जब धारा 370 समाप्त हो चुकी है तो ऐसे में जम्मू-कश्मीर के संविधान का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है। उन्होंने कहाकि उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में चुनाव कराने केलिए निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं और गृहमंत्री के रूपमें वे स्वयं चुनाव करवाने की बात सदन में कह चुके हैं। उन्होंने कहाकि विपक्ष ने कहा हैकि इस निर्णय के बावजूद वो मानते हैंकि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया है। गृहमंत्री ने कहाकि जम्मू-कश्मीर में 42 हज़ार लोग मारे गए हैं, क्योंकि धारा 370 अलगाववाद को बल देती थी, इसके कारण वहां आतंकवाद खड़ा होता था। उन्होंने कहाकि जब समय ये सिद्ध कर देकि किसीसे कोई गलत फैसला हुआ है तो देशहित में उसे वापस आना चाहिए और इसके लिए अभीभी समय है। गृहमंत्री ने कहाकि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की शुरूआत 1989 में हुई और बाद में यह चरम पर पहुंचा, इसके कारण हज़ारों विस्थापित हुए लोग, विशेषकर कश्मीरी पंडित और सिख, देशभर में बिखर गए और अपने ही देश में निराश्रय हो गए। उन्होंने कहाकि इन विस्थापित कश्मीरियों को गले लगाने का काम पूरे देश ने किया, करीब 46631 परिवार कश्मीर से विस्थापित हुए और मोदी सरकार के कई प्रयासों से अबतक 1 लाख 57 हज़ार 967 लोग रजिस्टर्ड हुए हैं।
गृहमंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार विस्थापितों को न्याय देने के प्रति कटिबद्ध है, ऐसे लोग मतदान भी कर सकेंगे, चुनाव भी लड़ सकेंगे और जम्मू-कश्मीर में मंत्री भी बन सकेंगे। अमित शाह ने कहाकि 1947 में 31779 परिवार पाक अधिकृत कश्मीर से जम्मू-कश्मीर में विस्थापित हुए और इनमें से 26319 परिवार जम्मू-कश्मीर में और 5460 परिवार देशभर के अन्य हिस्सों में रहने लगे। उन्होंने कहाकि 1965 और 1971 में हुए युद्धों केबाद 10065 परिवार विस्थापित हुए और कुल मिलाकर 41,844 परिवार विस्थापित हुए। उन्होंने कहाकि इन विधेयकों के माध्यम से 2 सीटें कश्मीरी विस्थापितों और 1 सीट पाक अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों केलिए नामांकित करने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना केसाथ किया है। अमित शाह ने कहाकि पहले जम्मू में 37 सीटें थीं जो अब 43 हो गई हैं, कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं वो अब 47 हो गई हैं और पाक अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें रिज़र्व रखी गई हैं, क्योंकि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहलीबार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति केलिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति केलिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है। उन्होंने कहाकि जबभी युद्ध हुआ और आतंकवादियों ने हमला किया, तब हमेशा हमारे गुर्जर-बकरवाल भाइयों ने देश के तिरंगे को ऊंचा किया और आज सालों बाद उन्हें न्याय मिलने जा रहा है।
अमित शाह ने कहाकि जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को तीन परिवार रोक कर बैठे थे, जो धारा 370 को एन्जॉय कर रहे थे। उन्होंने कहाकि गुर्जर भाइयों की एकभी सीट लिए बिना बहुत संवेदनशीलता केसाथ बकरवाल भाइयों को सभी लाभ दिए जाएंगे। गृहमंत्री ने कहाकि जहां तक देश की एक भी इंच ज़मीन का सवाल है, मोदी सरकार का नज़रिया तंग है और रहेगा और हम इसके लिए दिल बड़ा नहीं कर सकते। उन्होंने कहाकि किसीको यह अधिकार नहीं हैकि बड़ा दिल दिखाने केलिए देश का भूभाग चले जाने पर मूकदर्शक बनकर बैठे रहें। गृहमंत्री ने कहाकि जो आजादी केबाद के भारत की रचना को जानते हैं, उन्हें मालूम होगाकि हैदराबाद में कश्मीर सेभी बड़ी प्रॉब्लम हुई थी, लेकिन क्या जवाहरलाल नेहरू गए वहां थे या फिर जूनागढ़, लक्षद्वीप या जोधपुर में जवाहरलाल नेहरू गए थे। उन्होंने कहाकि जवाहरलाल नेहरू ने सिर्फ एकही जगह जम्मू-कश्मीर का काम देखा था और उसेभी वे आधा छोड़कर आ गए। उन्होंने कहाकि 550 से ज्यादा रियासतों का भारत में विलय हुआ, कहीं भी धारा 370 नहीं लगी, सिर्फ जम्मू-कश्मीर नेहरू जी देख रहे थे तो वहीं क्यों लगी? कश्मीर में विलय में हुई देरी के बारेमें अमित शाह ने कहाकि महाराजा हरि सिंह पर शेख अब्दुल्ला को विशेष स्थान देने का आग्रह था, इसी कारण विलय में देर हुई और पाकिस्तान को आक्रमण करने का मौका मिल गया। गृहमंत्री ने विपक्ष से सवाल कियाकि इतने सारे कठिन राज्यों का विलय हुआ, लेकिन कहीं पर भी धारा 370 क्यों नहीं है?
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि न तो जूनागढ़, जोधपुर, हैदराबाद और न ही लक्षद्वीप में धारा 370 है। उन्होंने कहाकि धारा 370 की शर्त किसने रखी और सेना भेजने में देरी क्यों हुई, विपक्ष को इसका जवाब जनता को देना होगा। गृहमंत्री ने कहाकि यह सर्वविदित हैकि अगर असमय सीजफायर नहीं होता तो पाक अधिकृत कश्मीर नहीं होता। उन्होंने कहाकि अगर उस समय दो दिन और रुक गए होते तो पूरा पाक अधिकृत कश्मीर तिरंगे के तले आ जाता। गृहमंत्री ने कहाकि एक तो कश्मीर का मामला यूएन में ले ही नहीं जाना चाहिए था और अगर ले भी जाया गया तो इस मामले को अनुच्छेद 51 में क्यों ले गए। उन्होंने कहाकि अगर इस मसले को अनुच्छेद 35 में ले गए होते तो हमें कोई दिक्कत नहीं होती। गृहमंत्री ने अगर दो दशक बादभी ऐसा लगेगाकि धारा 370 को हटाने का फैसला गलत है तो हम स्वीकार करेंगे कि यह हमारा और हमारी सरकार का फैसला है। अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह फैसला लिया है और न ही मोदीजी इस फैसले से पीछे सकते हैं, न ही कैबिनेट और पार्टी इससे पीछे हट सकती है। उन्होंने कहाकि अहम फैसलों की जिम्मेदारी स्वीकार करनी पड़ती है। अमित शाह ने कहाकि पूरा कश्मीर और कश्मीर जाने वाले दो करोड़ पर्यटक, लाखों अमरनाथ यात्री और वैष्णो देवी के दर्शन करके आए श्रद्धालु सभी एक स्वर में कहते हैंकि कश्मीर की स्थिति अच्छी है।
अमित शाह ने कहाकि 2014 में मोदी सरकार आने और धारा 370 समाप्त होने केबाद आज कश्मीर के युवाओं का भविष्य ब्लैक नहीं है, बल्कि स्कूल का ब्लैक बोर्ड उनका भविष्य बन गया है। उन्होंने कहाकि जो युवा पत्थर लेकर घूमते थे, मोदीजी ने उनके हाथों में लैपटॉप थमाने का काम किया है, कश्मीर में यह बदलाव हुआ हैकि धारा 370 को आधार बनाकर आतंकवाद और अलगाव की बात करने वाले लोगों को अब कश्मीर की जनता अनसुना कर डेमोक्रेसी एवं डेवलपमेंट की बात करती है। गृहमंत्री ने कहाकि धारा 370 खत्म होने केबाद कश्मीर में अलगाववाद की भावना समाप्त हो जाएगी और जब अलगाववाद की भावना समाप्त होगी तो धीरे धीरे आतंकवाद भी खत्म हो जाएगा। अमित शाह ने कहाकि हमने सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई है, बल्कि आतंकवाद के पूरे इकोसिस्टम को खत्म करने का काम किया है, साथही आतंकवाद को फाइनेंस करने वालों पर भी कार्रवाई की है। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार में NIA ने टेरर फाइनेंस के 32 केस दर्ज किए, जबकि 2014 से पहले एक भी केस दर्ज नहीं किया गया था। स्टेट इनवेस्टिगेशन एजेंसी ने टेरर फाइनेंस के 51 केस दर्ज किए जबकि पहले स्टेट इनवेस्टिगेशन एजेंसी की जरूरत ही महसूस नहीं की गई। उन्होंने कहाकि टेरर फाइनेंस के मामलों में अबतक 229 गिरफ़्तारी हुई, 150 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की गई, 57 प्रॉपर्टी सीज की गईं है, इसके अलावा NIA ने 134 बैंक खातों में लगभग 100 करोड़ रुपए से अधिक की रकम को फ्रीज करने का काम किया है।
गृहमंत्री ने कहाकि जीरो टेरर प्लान और कंप्लीट एरिया डॉमिनेशन के माध्यम से आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र को सुरक्षित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहाकि जेल पहले अड्डे थे, लेकिन मोदी सरकार ने जेलों में जैमर लगाकर सख्ती करने का काम किया है। उन्होंने कहाकि कश्मीर में 105 करोड़ रुपए की लागत से आतंकवादियों केलिए एक जेल बनाई जारही है, जिसकी सुरक्षा कोई भेद नहीं पाएगा। उन्होंने कहाकि आतंकवाद केप्रति सहानुभूति रखने वाले बार काउंसिल के लोगों कोभी संदेश दे दिया गया है और रोज़गार, पासपोर्ट एवं सरकारी ठेकों केलिए हमने कई कदम उठाए हैं। अमित शाह ने कहाकि हमारी सरकार के समय में भी आतंकवादी हमले हुए, उरी और पुलवामा में आतंकवादी घटनाएं हुईं, लेकिन हमने घर में घुसकर जवाब देने का काम किया है। उन्होंने कहाकि आतंकवादियों केलिए हमारे मन में कोई संवेदना नहीं है। आतंकवादी अगर हथियार डाल दें और मुख्यधारा में शामिल हो जाएं तो उनका स्वागत है। उन्होंने कहाकि नॉर्थ ईस्ट में कई लोग हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटे हैं। गृहमंत्री ने कहाकि उन्हें खुशी हैकि कश्मीर केलिए बलिदान देने वाले फौजी से लेकर श्यामाप्रसाद मुखर्जी तक हर व्यक्ति की आत्मा इस देश से दो प्रधान, दो विधान और दो निशान खत्म होने पर संतोष की सांस ले रही होगी। अमित शाह ने कहाकि पहले कश्मीर में दो राजधानी, दो दरबार थे और सालाना 200 करोड़ रुपए का खर्च होता था, जबकि अब एक केंद्रीय कानून है, जो पूरे देश की तरह कश्मीर पर भी लागू होता है।
गृहमंत्री ने कहाकि कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को मान्यता देने का काम पहलीबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है, 35 ए के तहत कश्मीर की महिलाओं को न्याय देने, शिक्षा या नौकरी में रिजर्वेशन देने, पहलीबार एसटी समुदाय को विधानसभा में आरक्षण देने, कश्मीर में शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने, भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वसन में उचित मुआवजा देने का कानून, वन अधिकार कानून लागू कराने, एससी-एसटी उत्पीड़न रोकथाम कानून लागू करने और व्हिसलब्लोअर संरक्षण कानून लागू कराने का काम पहलीबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। उन्होंने कहाकि लाल चौक पर 26 जनवरी को घर-घर तिरंगा फहराया गया, 30 साल से कश्मीर में थिएटर नहीं चलते थे, लेकिन अब तीन थिएटर चालू हो चुके हैं, तीन साल में कश्मीर में 100 फिल्मों की शूटिंग हुई है। उन्होंने कहाकि देश की जनता अब समझ गई हैकि कश्मीर के सवाल के मूल में जवाहरलाल नेहरू की गलतियां थीं। अमित शाह ने कहाकि मोदीजी ने लालकिले की प्राचीर से इस देश को वादा किया थाकि कश्मीर के युवाओं को हाथ में कभी बंदूक और पत्थर नहीं लेने पड़ेंगे। उनके हाथों में लैपटॉप और किताबें होंगी और अब आतंकवाद मुक्त नया कश्मीर बनने की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहाकि जब भारत विकसित राष्ट्र बनेगा तो कश्मीर देश के सभी राज्यों के समकक्ष होगा और दुनियाभर के यात्री कश्मीर आएंगे।