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Monday 18 December 2023 12:17:49 PM
कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता संगोष्ठी और गीता महोत्सव का उद्घाटन किया, जिसका आयोजन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने किया है। उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि दूसरे विश्वयुद्ध केबाद दुनिया ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी जितनी आज देख रही है, आज हम ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हैं, एक तरफ़ इसराइल और हमास का युद्ध तथा दूसरी तरफ यूक्रेन और रूस का युद्ध है। उन्होंने कहाकि गीता की फिलॉसफी जितनी प्रासंगिक आज है, उतनी इससे पहले कभी नहीं थी। उन्होंने कहाकि हम विस्तारवादी काल में नहीं रह रहे हैं और उल्लेख कियाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवाद और कूटनीति के जरिए युद्ध टालने का हर संभव प्रयास किया है, उनकी यह सलाह गीता के दर्शन पर आधारित है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत का संविधान गीता के दर्शन पर आधारित है, गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि वर्तमान भारत की शासन व्यवस्था को गीता गवर्नेंस कहा जा सकता है, क्योंकि यह समावेशी है, सबका साथ सबका विकास में विश्वास रखती है और सबको कानून की नज़र में बराबर रखती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज धर्म के मार्ग पर चलकर अपना काम कर रहे हैं, जैसाकि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान देते हुए कहा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इसी पथ का अनुसरण कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि आज देश में कानून का शासन है, कानून से ऊपर कोई नहीं है, यदि आपको कानून का नोटिस मिले तो सड़क पर उतरने की अपेक्षा आप कानून का पालन करें, कोई कितना भी बड़ा क्यों हो कानून सबसे ऊपर है। उन्होंने बढ़ती हुई तकनीकी सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहाकि आप लोगों को बदलता हुआ भारत नज़र आ रहा होगा, बिजली का बिल जमा करने, रेलवे की टिकट, पानी का बिल जमा करने केलिए, पासपोर्ट लेने केलिए लंबी लाइन लगती थी, आज आपको सुविधाओं का लाभ सीधा मिलता है, शासन को पारदर्शी बनाया गया है।
कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में उपराष्ट्रपति ने भारत की उपलब्धियों के संदर्भ में एक दृष्टिहीन वृद्ध महिला की कहानी सुनाई जिससे भगवान ने एक वरदान मांगने को कहा और बदले में उसने भगवान से सोने की थाली में पोते का मुख देखने का वरदान मांग लिया था, उन्होंने कहाकि आज भारत की वही स्थिति है। उपराष्ट्रपति ने भारत की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहाकि आज दुनिया में भारत का डंका बज रहा है, हमारे यहां जितना डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है, वह अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी के ट्रांजेक्शन से चार गुना भी अधिक है। उन्होंने कहाकि हमारी प्रतिभा का तो कोई मुकाबला ही नहीं है, हम टेक्नोलॉजी को सहज ही गृहण करते हैं। अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत वह पहला देश है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारा और भारत ऐसा करिश्मा करने वाला पहला देश है, अब वहां शिवशक्ति पॉइंट भी है और तिरंगा पॉइंट भी है।
उपराष्ट्रपति ने जी-20 के सफल आयोजन का जिक्र करते हुए कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत बड़ा कदम उठाया और वसुधैव कुटुंबकम को दुनिया के पटल पर रखा, हमारे जी-20 की थीम-एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य थी, जो पूरी तरह से गीता के दर्शन पर आधारित है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब 130 करोड़ से ज्यादा जनता कोविड महामारी की चुनौती का सामना कर रही थी, उस समयभी भारत ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' के आदर्श को सामने रखते हुए दुनिया के 100 देशों को वैक्सीन भेजकर मदद की, गीता के समावेशी दर्शन और वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श वाक्य को आत्मसात करते हुए प्रधानमंत्री ने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का सदस्य बनवाया, यही गीता का सार है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि आज भारत दुनिया के गिने चुने देश में है, जो क्वांटम कंप्यूटिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में बहुत तीव्रता से कम कर रहा है, भारत सिक्स जी और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में भी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि मैंने स्वयं देखा हैकि 1989-90 में देश का क्या हाल था! मैं केंद्र में मंत्री था तब और सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश को अपना सोना हवाई जहाज से भेजकर स्विट्जरलैंड के दो बैंकों में गिरवी रखना पड़ा था और आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर से ज्यादा है, यह इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि बीते कुछ वर्ष से हमारी जो शासन व्यवस्था है, उसको आप गीता गवर्नेंस कह सकते हो। उपराष्ट्रपति ने लोगों से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया, और कहाकि भारतीयता में अटूट विश्वास रखें, हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए, हमें अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए, भारत का अमृतकाल आज गौरवकाल बन चुका है। इस मौके पर डॉ सुदेश धनखड़, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, असम सरकार के संस्कृति मंत्री, कुरुक्षेत्र के सांसद स्वामी ज्ञानानंद, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्राचार्य, संकाय सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजक, देश-विदेश से पधारे गीताप्रेमी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।