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Friday 28 June 2013 08:47:30 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को विदेश मंत्रालय और नालंदा विश्वविद्यालय के मध्य मुख्यालय समझौते पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। यह समझौता विश्वविद्यालय और इसके शैक्षिक स्टाफ के सदस्यों को विशेषाधिकार और रक्षा प्रदान करेगा, जो विश्वविद्यालय की कुशल कार्य-प्रणाली और परिचालन का समग्र ढांचा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक माने गये हैं। इससे विश्वविद्यालय को पूरे विश्व से प्रतिभाएं प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह अनुबंध हस्ताक्षर होने और अधिसूचना के तुरंत बाद लागू हो जाएगा। इस अनुबंध से पूरे विश्व से श्रेष्ठ शिक्षाविदों को विश्वविद्यालय का पहला शैक्षिक सत्र शुरू होने से पहले नियोजित करने में मदद मिलेगी। विश्वविद्यालय के शिक्षकों की भर्ती नियमों और शर्तों का निर्धारण किए बिना नहीं हो सकती है। इसके लिए मुख्यालय समझौते का निष्कर्ष आवश्यक है।
यह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के एक उत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यह मूल मानवीय मूल्यों के साथ आधुनिक, वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान और कौशल को एकीकृत करेगा। यह व्यक्ति और समाज की आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से सार्वभौमिक मैत्री, शांति और समृद्धि का विकास करेगा। ईडीसीआईएल की जुलाई 2012 में तैयार की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में इस योजना का वर्ष 2010-11 और 2021-22 के मध्य धन की आवश्यकता 3532.62 करोड़ रूपये होने का अनुमान है। भारत सरकार अपेक्षित सीमा तक विश्वविद्यालय का खर्च उठायेगी। इस समझौते की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
मेजबान देश किसी अनुचित हस्तक्षेप या हानि के विरूद्ध विश्वविद्यालय परिसर की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायेगा और इस विश्वविद्यालय के कार्य में सहायता प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय, इसकी परिसंपत्तियां, इसकी आय और अन्य संपत्ति सभी प्रत्यक्ष करों, सीमा-शुल्क और कार्यालय उपयोग के लिए आयात और निर्यात की गई वस्तुओं पर निषेधों और प्रतिबंधों से मुक्त होंगी। विश्वविद्यालय के कुलपति और शैक्षिक स्टॉफ को जो मेजबान देश के नहीं हैं, उन्हें उनके वेतन, मानदेय, भत्ते और अन्य परिलब्धियों के संदर्भ में करों में छूट दी जायेगी। उन्हें मेजबान देश में विश्वविद्यालय की नौकरी के दौरान उचित वीजा प्राप्त करने, गतिशील और अगतिशील संपत्ति रखने की स्वतंत्रता होगी और सीमा शुल्क, करों और अन्य लेवी से मुक्त आयात करने का अधिकार भी होगा। विश्वविद्यालय को सेवा उपलब्ध कराने वाले मेजबान देश भारत के कुलपति और शैक्षिक स्टॉफ को वेतन, मानदेय, भत्तों और अन्य परिलब्धियों के संदर्भ में करों से छूट दी जायेगी।