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श्रीराम मंदिर पर डाक टिकट व पुस्तक विमोचन

प्रधानमंत्री ने देश-विदेश के श्रीराम भक्तों को समर्पितकर बधाई दी

'दुनिया के विभिन्न देशों में प्रभु श्रीराम और रामायण का उत्साह'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 18 January 2024 04:18:34 PM

release of postal stamp and book on shri ram temple

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज श्रीराम मंदिर पर विशेष डाक टिकट और पुस्तक का विमोचन किया और इन्हें देश-विदेश के श्रीराम भक्तों को समर्पित करते हुए उन्हें बधाई दी। प्रधानमंत्री ने श्रीराम भक्तों का नमस्कार और राम-राम! कहकर अभिवादन किया और कहाकि अयोध्या धाम में श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े एक और अद्भुत कार्यक्रम से जुड़ने का आज मुझे सौभाग्य मिला है, आज श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को समर्पित 6 विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए गए हैं। उन्होंने बतायाकि विश्व के अलग-अलग देशों में प्रभु श्रीराम पर जो डाक टिकट पहले जारी हो चुके हैं, आज उनका एक एल्बम भी रिलीज़ किया गया है। उन्होंने कहाकि पोस्टल स्टैम्प का एक कार्य हम सभी जानते हैं, उन्हें लिफाफे पर लगाना, उनकी मदद से अपने पत्र और संदेश या जरूरी कागज भेजना, लेकिन पोस्टल स्टैम्प एक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, पोस्टल स्टैम्प विचारों, इतिहास और ऐतिहासिक अवसरों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक माध्यम भी होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब आप किसी डाक टिकट को जारी करते हैं और जब कोई इसे किसी को भेजता है तो वह सिर्फ पत्र या सामान नहीं भेजता, वो सहज रूपसे इतिहास के किसी अंश कोभी किसी दूसरे तक पहुंचा देता है। उन्होंने कहाकि ये टिकट सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं हैं, कोई आर्ट वर्क नहीं हैं, ये इतिहास की किताबों, कलाकृतियों के रूपों और ऐतिहासिक स्थलों का सबसे छोटा रूपभी होते हैं, हम यहभी कह सकते हैंकि एक प्रकार से बड़े-बड़े ग्रंथ, बड़ी-बड़ी सोच का एक लघु रूप होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज जो ये स्मारक डाक टिकट जारी किए गए हैं, उनसे हमारी युवा पीढ़ी को भी बहुत कुछ जानने-सीखने को मिलेगा। उन्होंने कहाकि इन टिकटों में श्रीराम मंदिर का भव्य चित्र है, कलात्मक अभिव्यक्ति के जरिए रामभक्ति की भावना है और 'मंगल भवन अमंगल हारी' लोकप्रिय चौपाई के माध्यम से राष्ट्र के मंगल की कामना है। इनमें सूर्यवंशी श्रीराम के प्रतीक सूर्य की छवि है, जो देश में नए प्रकाश का संदेश भी देता है, इनमें पुण्य नदी सरयू का चित्र भी है, जो श्रीराम के आशीर्वाद से देश को सदैव गतिमान रहने का संकेत करती है। श्रीराम मंदिर के आंतरिक वास्तु के सौंदर्य को बड़ी बारीकी से इन डाक टिकटों पर प्रिंट किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि मुझे बताया गया हैकि एक प्रकार से पंच तत्वों का हमारा जो दर्शनशास्र है, इसका एक लघु रूप प्रभु श्रीराम के माध्यम से दर्शाया गया है। उन्होंने कहाकि इसमें डाक विभाग को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट केसाथ संतों का भी मार्गदर्शन मिला है। उन्होंने कहाकि भगवान श्रीराम, माता सीता और रामायण की बातें, समय, समाज, जाति, धर्म और क्षेत्र की सीमाओं से परे हर एक व्यक्ति से जुड़ी हैं। उन्होंने कहाकि सबसे मुश्किल कालखंड में भी त्याग, एकता और साहस दिखाने वाली रामायण अनेक मुश्किलों में भी प्रेम की जीत सिखाने वाली रामायण पूरी मानवता को खुदसे जोड़ती है, यही कारण हैकि रामायण विश्व में आकर्षण का केंद्र रही है, दुनिया के विभिन्न देशों, विभिन्न संस्कृतियों में रामायण को लेकर एक उत्साह रहा है। उन्होंने कहाकि आज जिन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ है, वो इन्हीं भावनाओं का प्रतिबिंब हैकि कैसे विश्व में भगवान श्रीराम, माता सीता और रामायण को बहुत गौरव से देखा जाता है, आज की पीढ़ी केलिए ये देखना बहुत रुचिकर होगाकि कैसे विभिन्न देश श्रीराम पर आधारित पोस्टल स्टाम्प पहले भी जारी करते रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, कनाडा, चेक रिपब्लिक, फिजी, इंडोनेशिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, गयाना, सिंगापुर ऐसे कितने ही देशों ने भगवान श्रीराम के जीवन प्रसंगों पर बहुत सम्मान एवं आत्मीयता केसाथ पोस्टल स्टैम्प जारी किए हैं। उन्होंने कहाकि श्रीराम भारत से बाहर भी महान आदर्श हैं, विश्व की तमाम सभ्यताओं पर प्रभु श्रीराम, रामायण का गहरा प्रभाव है और आधुनिक समय में भी राष्ट्रों ने उनके चरित्र की सराहना की है, ये एल्बम इनसब जानकारियों केसाथ प्रभु श्रीराम और माता जानकी की लीलाकथाओं की एक संक्षिप्त सैर भी कराएगी, एक तरह से महर्षि वाल्मीकि का वो आह्वान आजभी अमर है, जिसमें उन्होंने कहा था-यावत् स्थास्यंति गिरयः, सरितश्च महीतले। तावत् रामायणकथा, लोकेषु प्रचरिष्यति॥ अर्थात् जबतक पृथ्वी पर पर्वत हैं, नदियां हैं, तबतक रामायण की कथा, श्रीराम का व्यक्तित्व लोक समूह में प्रचारित होता रहेगा।

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