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गृहमंत्री ने एसएसबी की कर्तव्यपरायणता सराही

'एसएसबी का इतिहास सेवा, सुरक्षा और बंधुत्व के मंत्र से सुसज्जित'

तेजपुर में सशस्त्र सीमा बल का भव्य 60वां स्थापना दिवस समारोह

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Saturday 20 January 2024 05:50:20 PM

grand 60th foundation day celebration of ssb in tezpur

तेजपुर (असम)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह असम के तेजपुर में एसएसबी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर में आज सशस्त्र सीमा बल के 60वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए। गृहमंत्री ने एसएसबी के जवानों द्वारा दिए गए भव्य गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया और कहाकि सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ एसएसबी सीमावर्ती इलाकों के इतिहास को सहेजने का भी अनुकरणीय कार्य कर रही है। गृहमंत्री ने देश की सुरक्षा केलिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले एसएसबी के शहीद जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहाकि इन बहादुर जवानों के भरोसे पर ही देश चैन की नींद सोता है। अमित शाह ने परमवीरचक्र से सम्मानित करम सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कहाकि उन्होंने उत्तम बहादुरी का उदाहरण देते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करम सिंह की स्मृति में उनके नाम पर अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में एक द्वीप का नाम करम सिंह आइलैंड रखा है। अमित शाह ने 226 करोड़ रुपए की लागत से एसएसबी से जुड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया गया, जिनमें 45वीं वाहिनी मुख्यालय वीरपुर, 20वीं वाहिनी मुख्यालय सीतामढ़ी, रिज़र्व वाहिनी मुख्यालय बारासात में आवास, जवानों केलिए बैरक, मेस, अस्पताल, क्वार्टर गार्ड, स्टोर और गैराज जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की सुविधाओं केलिए अनेक कल्याणकारी कदम उठाए हैं और सशस्त्र सीमा बल की 60वीं हीरक जयंती पर भारत सरकार ने डाक टिकट का विमोचन किया है, जो हमेशा एसएसबी की कर्तव्यपरायणता को देश के सामने जीवित रखेगा। गृहमंत्री ने कहाकि एसएसबी का इतिहास सेवा, सुरक्षा और बंधुत्व के मंत्र से सुसज्जित है। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत-चीन युद्ध के पश्चात 1963 में एसएसबी की स्थापना हुई और उसके बाद अटलजी जब वन बॉर्डर वन फोर्स की नीति को अमल में लेकर आए, तबसे एसएसबी बहुतही कर्तव्यपरायणता केसाथ वर्ष 2001 से भारत-नेपाल सीमा और वर्ष 2004 से भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा कररही है। उन्होंने कहाकि एसएसबी 2450 किलोमीटर लंबी खुली सीमाओं की रखवाली पूरी तत्परता केसाथ कर रही है और वन हो या पहाड़, नदी हो या पठार एसएसबी जवानों ने किसीभी प्रकार के मौसम में ड्यूटी केसाथ कभी समझौता नहीं किया है। अमित शाह ने कहाकि सीमा सुरक्षा में तैनात सशस्त्र पुलिस बलों में एसएसबी एक ऐसा अनूठा संगठन है, जिसने सीमाओं की सुरक्षा तो की ही है, दुर्गम क्षेत्रों में आतंकवादियों और नक्सलियों का सामना भी किया है, साथही भारत-चीन, भारत-नेपाल और भारत-भूटान के सीमावर्ती इलाकों के गांवों के सांस्कृतिक, भाषाई, भौगोलिक और इतिहास की सारी जानकारियों को बारीकी से संजोने का भी उल्लेखनीय कार्य किया है।
गृहमंत्री ने कहाकि ऐसे प्रयासों से गांवों को उनके सांस्कृतिक और भाषाई इतिहास से देश केसाथ जोड़ने में मदद तो मिलती है, साथही जहां-जहां सीमा विवाद हैं, वहां भारत के दावे को पुष्ट और मजबूत करने में भी मदद मिल रही है। उन्होंने कहाकि भारत की सीमाओं की सांस्कृतिक एकता बनाए रखने और विवादित क्षेत्रों में भारत के दावों को मजबूती देने केलिए एसएसबी के बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करनेवाले कार्यों का बहुत उपयोग है और इससे देश को बहुत फायदा भी हुआ है। गृहमंत्री ने कहाकि एसएसबी के जवान नेपाल और भूटान जैसे मित्र देशों की सीमा की सुरक्षा करने केसाथ-साथ छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी मुस्तैदी से ड्यूटी कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि सीआरपीएफ और बीएसएफ केसाथ एसएसबी ने नक्सल आंदोलन को हाशिये पर लाकर रख दिया है। गृहमंत्री ने विश्वास जतायाकि आगामी 3 वर्ष के भीतर नक्सल समस्या से पूरा देश शत-प्रतिशत मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहाकि जम्मू-कश्मीर में भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सीआरपीएफ, बीएसएफ जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना केसाथ एसएसबी के जवानों ने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया है, बलिदान भी दिए हैं और अपनी वीरता से ऐतिहासिक गाथाओं की रचना की है।
अमित शाह ने महिला सशक्तिकरण केलिए एसएसबी के कार्यों की तारीफ की। उन्होंने कहाकि एसएसबी ने 2026 तक बल में महिला कर्मियों की संख्या को छह प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, अभी बल में 4 प्रतिशत महिला कर्मी हैं, यूएन मिशन और अमरनाथ यात्रा जैसी चुनौतीपूर्ण ड्यूटी में भी एसएसबी की महिला जवानों ने हिस्सा लिया है। अमित शाह ने कहाकि वाइब्रेंट विलेज योजना सीमावर्ती गांवों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भेंट है, यह योजना इस लक्ष्य केसाथ लाई गई हैकि सीमा पर देश का अंतिम गांव नहीं है, बल्कि देश का पहला गांव है और देश वहीं से शुरू होता है। उन्होंने कहाकि एसएसबी भी गांवों के संपूर्ण विकास केलिए 100 प्रतिशत सैचुरेशन केसाथ कार्य कर रही है, भारत सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में एसएसबी ने बड़ी भूमिका अदा की है, गांवों के लोगों को सीमा सुरक्षा में भागीदार बनाने का भी अच्छा मॉडल तैयार किया है। गृहमंत्री ने कहाकि जबसे नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तबसे रिक्त पदों को भरने और सीमा की सुरक्षा करने वाले कर्मियों के कार्यबोझ को बांटने केलिए बड़ा अभियान चलाया गया है, एक लाख 75 हजार रिक्तियों की भर्ती 2014 से अबतक पूरी कर ली गई हैं, किसीभी नौ साल में होने वाली भर्तियों से यह दोगुना से भी अधिक है।
गृहमंत्री ने कहाकि इसके तहत सीमावर्ती और उग्रवाद प्रभावित जिलों के युवाओं को प्राथमिकता दी गई है, कोविड के दौरान हुए नुकसान की भरपाई केलिए उम्र सीमा में तीन साल की छूट दी गई है, इसके अलावा मोदी सरकार ने अग्निपथ योजना में अग्निवीरों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का कार्य किया है। अमित शाह ने जिक्र कियाकि देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में आमूलचूल बदलाव लाने केलिए तीनों कानूनों को नए स्वरूप में लाकर देश की जनता के सामने रखा है, जिनका उद्देश्य देश की जनता को न्याय दिलाना है, जबकि पहले के कानूनों का उद्देश्य दंड देना था। उन्होंने कहाकि अब किसीभी एफआईआर के तहत सजा दिलाने का काम तीन साल के अंदर पूरा होगा और न्याय में देरी खत्म होगी। उन्होंने कहाकि इन कानूनों के लागू होने से भारतीय न्याय व्यवस्था दुनिया में सबसे आधुनिक होगी, इससे सजा कराने की दर में भी बहुत वृद्धि होगी, क्योंकि इसमें फॉरेंसिक को बहुत महत्व दिया गया है। उन्होंने कहाकि 7 साल और उससे ऊपर के गुनाहों केलिए फोरेंसिक ऑफिसर की विजिट को कानूनी रूपसे अनिवार्य किया गया है। एसएसबी के स्थापना दिवस समारोह में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय गृह सचिव, एसएसबी के महानिदेशक और गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे।

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