स्वतंत्र आवाज़
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'नागरिक न्याय तक आसान पहुंच के हकदार'

सशक्त न्याय व्यवस्था विकसित भारत का आधार है-प्रधानमंत्री

'सुप्रीम कोर्ट ने भारत में लोकतंत्र को लगातार मजबूत किया'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 28 January 2024 05:01:26 PM

diamond jubilee celebrations of the supreme court

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा हैकि दो दिन पहले भारत के संविधान ने अपने 75वें वर्ष में प्रवेश किया है और आज सुप्रीम कोर्ट के भी 75वें वर्ष का शुभारंभ हो चुका है, इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी न्यायविदों को शुभकामनाएं देता हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारतीय संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों वाले स्वतंत्र भारत का सपना देखा था और सुप्रीम कोर्ट ने इन सिद्धांतों के संरक्षण का निरंतर प्रयास किया है, अभिव्यक्ति की आजादी हो, व्यक्तिगत स्वतंत्रता हो, सामाजिक न्याय-सोशल जस्टिस हो सुप्रीम कोर्ट ने भारत के जीवंत लोकतंत्र को लगातार मजबूत किया है। उन्होंने कहाकि सात दशक से भी लंबी इस यात्रा में सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत अधिकार और बोलने की स्वतंत्रता पर कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं, जिन्होंने देश के सामाजिक एवं राजनीतिक परिवेश को एक नई दिशा दी है। उन्होंने कहाकि आज भारत की हर संस्था, हर संगठन, कार्यपालिका हो या विधायिका अगले 25 वर्ष के लक्ष्यों को सामने रखकर कामकर रही है, इसी सोच केसाथ देश में बड़े-बड़े बदलाव भी हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत की आज की आर्थिक नीतियां, कल के उज्ज्वल भारत का आधार बनेंगी, आज बनाए जारहे कानून, कल के उज्ज्वल भारत को और मजबूत करेंगे। उन्होंने कहाकि बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियों में दुनिया की नज़र भारत पर है, दुनिया का भरोसा भारत पर बढ़ा है, ऐसे में भारत केलिए जरूरी हैकि हम हर अवसर का लाभ उठाएं, कोई भी अवसर जाने ना दें। उन्होंने कहाकि आज भारत की प्राथमिकता है, जीवन जीने में आसानी, व्यापार करने में आसानी, यात्रा में आसानी, संचार में आसानी और साथही न्याय में आसानी, नागरिक न्याय तक आसान पहुंच के हकदार हैं और सुप्रीम कोर्ट इसका प्रमुख माध्यम है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि देश की पूरी न्याय व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और मार्गदर्शन पर निर्भर होती है। उन्होंने कहाकि ये हमारा कर्तव्य हैकि इस कोर्ट की पहुंच भारत के अंतिम छोर तक हो और इससे हर भारतीय की आवश्यकताएं पूरी हो सकें, इसी सोच केसाथ कुछ समय पहले ई-कोर्ट मिशन परियोजना के तीसरे चरण को स्वीकृति दी गई थी, जिसके लिए दूसरे फेज से 4 गुना ज्यादा राशि को मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री ने खुशी जताईकि देशभर की अदालतों के डिजिटाइजेशन को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ खुद मॉनीटर कर रहे हैं और न्याय सुगमता के प्रयासों केलिए मैं उन्हें बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमारी सरकार अदालतों में भौतिक मूल ढांचा सुधारने केलिए भी प्रतिबद्ध है, वर्ष 2014 केबाद से इसके लिए 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि वितरित की जा चुकी है, वर्तमान सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग में आरही दिक्कतों से भी अवगत हूं, पिछले सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट भवन परिसर के विस्तार केलिए 800 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट की कुछ डिजिटल पहलों का भी शुभारंभ किया है, जिनमें डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट की मदद से निर्णय अब डिजिटल प्रारूप में भी उपलब्ध होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कराने की व्यवस्था भी शुरू कर दी गई है, उम्मीद हैकि देश की अन्य अदालतों में भी जल्द ऐसी व्यवस्था हो सकेगी। उन्होंने कहाकि टेक्नोलॉजी न्याय में आसानी में मददगार साबित हो सकती है, इसका ये कार्यक्रम अपने आपमें एक उदाहरण है, अदालतों में भी टेक्नोलॉजी का उपयोग करके सामान्य नागरिकों का जीवन आसान बनाया जा सकता है। उन्होंने जिक्र कियाकि मैंने कुछ समय पहले कानूनों को सरल भाषा में लिखे जाने की बात कही थी, मैं समझता हूंकि अदालत के निर्णयों का आसान भाषा में लिखे जाने से आम लोगों को और मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि नए कानूनों में भारतीयता और आधुनिकता की समान भावना दिखनी भी उतनी आवश्यक है, वर्तमान की परीस्थितियों और सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप सरकार भी कानूनों को आधुनिक करने पर काम कर रही है, पुराने औपनिवेशिक आपराधिक कानून को खत्म करके सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की व्यवस्था शुरू की है। उन्होंने कहाकि इन बदलावों के कारण हमारी कानूनी, पुलिसिंग और जांच प्रणालियों ने नए दौर में प्रवेश किया है, ये एक बहुत बड़ा परिवर्तन है, सैकड़ों वर्ष पुराने कानूनों से नए कानूनों तक पहुंचने का परिवर्तन सहज हो, ये बहुत जरूरी है, इसके लिए पहले ही सरकारी कर्मचारियों की प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण का काम भी शुरू कर दिया गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह कियाकि वोभी सभी स्टेकहोल्डर्स की ऐसी क्षमता निर्माण केलिए भी आगे आए। प्रधानमंत्री ने कहाकि एक सशक्त न्याय व्यवस्था, विकसित भारत का प्रमुख आधार है, सरकार भी लगातार एक विश्वस्त व्यवस्था बनाने केलिए अनेक निर्णय कर रही है, जन विश्वास बिल इसी दिशा में उठाया गया कदम है, इससे आने वाले समय में न्याय व्यवस्था पर बेवजह पड़ने वाला बोझ कम होगा, इससे लंबित मामलों की संख्या भी घटेगी।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार ने वैकल्पिक विवाद समाधान केलिए मध्यस्थता का कानून की व्यवस्था की है, इससे भी हमारी न्यायपालिका विशेष रूपसे अधीनस्थ न्यायपालिका पर पड़ने वाला बोझ कम हो रहा है। उन्होंने कहाकि सभी के प्रयास से ही भारत 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा और इसमें निश्चित तौरपर सुप्रीम कोर्ट के अगले 25 वर्ष कीभी बड़ी सकारात्मक भूमिका है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख कियाकि इसबार जो पद्म अवार्ड दिए गए हैं, उसमें सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज और समग्र एशिया की पहली मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट जज फातिमा एम बीवी को हमने पद्म भूषण सम्मान दिया है और मेरे लिए ये बहुत गर्व की बात है। सर्वोच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह में भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति, विभिन्न हाईकोर्ट्स के मुख्य न्यायाधीश, विदेशों से आए जजेस, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, अटॉर्नी जनरल वेंकट रमानी, बार काउंसिल के चेयरमैन मनन कुमार मिश्र, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आदिश अग्रवाला और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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