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Sunday 30 June 2013 09:38:22 AM
नई दिल्ली। संविदा अनुसंधान एवं विकास सेवाओं के साधारण जोखिम में संलग्न विकास केंद्रों की पहचान के लिए प्रासंगिक शर्तों पर मुनाफा विभाजन विधि के अनुप्रयोग के बारे में परिपत्रों के संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया गया है। आय कर अधिनियम 1961 के अध्याय में कर अपवंचन के संबंध में विशेष प्रावधान शामिल हैं। इस अध्याय के विभिन्न खंडों में एसोसिएटिड इंटरप्राइजेज, अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन, अमूर्त परिसंपत्ति और विशिष्ट घरेलू लेन-देन जैसे पदों को परिभाषित किया गया है।
नियम 10 सी की मुख्य बात यह है कि निर्धारण अधिकारी या अंतरण मूल्यन अधिकारी (जैसा भी मामला हो) यहां परिगणित कारकों को ध्यान में रखेगा और सबसे उपयुक्त विधि चुनेगा जो प्रत्येक विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के तथ्यों और परिस्थितियों के लिए सबसे अधिक उपयुक्त हो तथा जो उस लेनदेन के संबंध में सबसे अधिक विश्वसनीय उपाय उपलब्ध कराता हो।
विकास केंद्रों और आईटी सेक्टर के कराधान पर सीबीडीटी के पूर्व अध्यक्ष एन रंगाचारी की अध्यक्षता में समिति ने सितंबर 2012 में रिपोर्ट सौंप दी थी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर और मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद सीबीडीटी ने 26 मार्च 2013 को परिपत्र संख्या 2/2013 और परिपत्र संख्या 3/2013 जारी किए थे। परिपत्र संख्या 2 का शीर्षक मुनाफा विभाजन विधि के अनुप्रयोग पर परिपत्र था। परिपत्र संख्या 3 का शीर्षक संविदा अनुसंधान एवं विकास सेवाओं के साथ साधारण जोखिम में संलग्न विकास केंद्रों की पहचान से संबंधित शर्तों पर परिपत्र था।
यह स्पष्ट किया गया है कि इन परिपत्रों का उद्देश्य निर्धारण अधिकारी या अंतरण मूल्यन अधिकारी (जैसा भी मामला हो) को अतिरिक्त मार्गदर्शन उपलब्ध कराना था, ताकि संविदा अनुसंधान एवं विकास सेवाएं उपलब्ध कराने में संलग्न विकास केंद्रों के निर्धारण में निश्चितता और एकरूपता हो।