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Monday 01 July 2013 09:24:15 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) योजना बोर्ड ने हरियाणा के भिवानी एवं महेंद्रगढ़ एवं राजस्थान के भरतपुर जिलों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल किये जाने को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई एनसीआर योजना बोर्ड की बैठक में जयपुर को एक काउंटर मैगनेट क्षेत्र के रूप में चिन्हित किये जाने के लिए राजस्थान सरकार के आग्रह को भी मंजूरी दी है। इसके अलावा बोर्ड ने उत्तर प्रदेश उप-क्षेत्र के लिए उप-क्षेत्रीय योजना को स्वीकृति प्रदान की है। बैठक में केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री गिरिजा व्यास, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, दिल्ली के उप-राज्यपाल तेजेंदर खन्ना, शहरी विकास सचिव सुधीर कृष्णा के अलावा अन्य राज्यों एवं मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में क्षेत्रीय त्वरित परिवहन व्यवस्था की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि ऐसी परियोजना के विकास से क्षेत्र में सड़कों पर गाड़ियों की संख्या घटेगी, जिससे प्रदूषण स्तर कम होगा। उन्होंने कहा कि इस विषय पर गठित कमेटी ने सिफारिश की है कि एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम स्थापित किया जाए और इसके पहले चरण के अंतर्गत दिल्ली-पानीपत (111 किलोमीटर), दिल्ली-अलवर (180 किलोमीटर) और दिल्ली-मेरठ (90 किलोमीटर) को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि 2021 की क्षेत्रीय योजना की समीक्षा की गई है कि और 2021 तक की संशोधित क्षेत्रीय योजना का मसौदा तैयार कर लिया गया है। इसमें उन सुझावों को भी शामिल किया गया है, जो 1985 के एनसीआर योजना बोर्ड अधिनियम के बारे में मिले थे। इस बोर्ड ने 277 मूल सुविधा परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए 18,994 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था, लेकिन मार्च 2013 वास्तविक ऋण संवितरण बढ़कर 6,464 करोड़ रूपये हो गया।
पिछली बैठक में बोर्ड ने परियोजना लागत का 15 प्रतिशत अनुदान के रूप में देने का फैसला किया था। इस परियोजना के पानी, सीवर, ठोस कचरा प्रबंधन, नालियां बनाने आदि के लिए दिये गये ऋण पर ब्याज घटाकर 7.25 प्रतिशत कर दिया गया है। अन्य क्षेत्रों के लिए यह ब्याज दर 9.5 प्रतिशत से नौ प्रतिशत तक होगी। बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए कमलनाथ ने कहा कि दिल्ली की आर्थिक मूल सुविधा पर शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर बढ़ रहे बोझ को घटाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का विकास होना चाहिए।