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Saturday 17 February 2024 12:41:16 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने व्यापार और उद्योग निकायों का ध्यान आर्थिक राष्ट्रवाद को नहीं अपनाने के बुरे परिणामों की ओर दिलाया और कहाकि भारत की अर्थव्यवस्था सकारात्मक बदलाव के दौर में है और इसमें कोई संदेह नहीं है, यह एक बड़ा सुखदायी और अच्छा अनुभव कराने वाला परिवर्तन है। उन्होंने कहाकि एमएसएमई और स्टार्टअप्स ने बड़े पैमाने पर देश की प्रगति में योगदान दिया है, इसका परिणाम यह हैकि हम पहले से ही 5वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं, अगले 2-3 वर्ष में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं। उन्होंने आर्थिक राष्ट्रवाद को आर्थिक विकास केलिए सबसे उत्कृष्ट मौलिक कारक बताया। उपराष्ट्रपति ने केवल वही वस्तुएं या सेवाएं आयात करने का आह्वान किया, जो भारत की विदेशी मुद्रा की निकासी, नागरिकों केलिए रोज़गार अवसरों की कमी और उद्यमिता के विकास में बाधाओं को रोकने केलिए अपरिहार्य रूपसे जरूरी है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि हाल के वर्ष में भारत एक संपन्न स्टार्टअप ईकोसिस्टम और कई सफलता की कहानियों केसाथ इनोवेशन, उद्यमिता केलिए एक वैश्विक केंद्र के रूपमें उभरा है, व्यापार और उद्योग निकायों केलिए उद्यमशीलता से भरी संस्कृति का पूरी तरह से लाभ उठाने का समय आ गया है, जो जीवंत एमएसएमई क्षेत्र के माध्यम से देश के भीतरी इलाकों में जड़ें जमा रही है। जगदीप धनखड़ ने वोकल फोर लोकल की जरूरत को रेखांकित किया और कहाकि यह भावना आत्मनिर्भर भारत का एक पहलू है एवं भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वदेशी आंदोलन के सार को प्रतिबिंबित करती है। उपराष्ट्रपति नई दिल्ली के डॉ आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भारत स्टार्टअप और एमएसएमई शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारत के एमएसएमई क्षेत्र के प्रभावी प्रदर्शन की सराहना की, जिससे टियर 2 व 3 शहरों और गांवों में रूपांतरणकारी बदलाव आ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि व्यावसायिक नीतियों और पहलों की सुगमता से सकारात्मक शासन ने देश में उद्यमिता एवं नवाचार की भावना को पनपने में सहायता की है। उन्होंने उद्यमियों की सहायता करने का आह्वान किया, जिससे उनके प्रदर्शन को अधिकतम स्तरपर ले जाने में सहायता मिल सके। उन्होंने कहाकि स्टार्टअप्स और एमएसएमई भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र केलिए प्लैटो-टाइप वृद्धि सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे समाज के सभी वर्गों का समान रूपसे उत्थान हो सके। उपराष्ट्रपति ने बिना मूल्यवर्धन के कच्चे माल के निर्यात को लेकर सावधान किया। उन्होंने कहाकि देश के भीतर रोज़गार सृजन और उद्यमशीलता के बढ़ने के दोहरे लाभ, जो इस तरह के मूल्यवर्धन से प्राप्त होते हैं को इससे मिलने वाले राजस्व में स्पष्ट सुगमता केलिए इसका त्याग नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि इस धनराशि को प्राप्त करना किसी व्यक्ति लिए आसान हो सकता है, लेकिन राष्ट्र केलिए यह बहुत कष्टदायक है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि वास्तविक मूल्य जोड़कर हम राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में काफी योगदान दे सकते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उद्योग क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों से देश में अनुसंधान और विकास से जुड़ने का अनुरोध किया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि विश्व में उद्योगों की ओरसे अनुसंधान और विकास क्षेत्र को प्रोत्साहन, वित्तीय पोषण, प्रचार और संरक्षण प्रदान दिया जाता है, लेकिन हमारे देश में इसका अभाव है। उन्होंने उद्योगपतियों से इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहाकि विदेश के विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान करना अच्छा है, लेकिन स्थानीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों पर भी ध्यान देना जरूरी है। सम्मेलन में पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हेमंत जैन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।