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Monday 19 February 2024 02:46:47 PM
संभल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संभल जिले में श्रीकल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखी और श्रीकल्कि धाम मंदिर के मॉडल का भी अनावरण किया। जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की भूमि आज एकबार फिर भक्ति, भावना और आध्यात्मिकता से भर गई है, क्योंकि एक और महत्वपूर्ण तीर्थ की आधारशिला रख दी गई है। नरेंद्र मोदी ने संभल में श्रीकल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखने का अवसर मिलने पर आभार व्यक्त किया और यह विश्वास भी जतायाकि यह भारत की आध्यात्मिकता का एक नया केंद्र बनकर उभरेगा। उन्होंने दुनियाभर के सभी नागरिकों और तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने श्रीकल्कि धाम के उद्घाटन के 18 साल के इंतजार का जिक्र करते हुए कहाकि ऐसा लगता हैकि अभी कई अच्छे काम बाकी हैं, जिन्हें पूरा करना बाकी है। उन्होंने कहाकि जनता और संतों के आशीर्वाद से वह अधूरे कार्यों को पूरा करते रहेंगे। यह देखते हुएकि आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है प्रधानमंत्री ने आजके सांस्कृतिक पुनरुत्थान, गौरव और हमारी पहचान में आत्मविश्वास केलिए शिवाजी महाराज को श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीकल्कि धाम मंदिर की वास्तुकला पर प्रकाश डालते हुए बतायाकि इसमें 10 गर्भगृह होंगे, जहां भगवान के सभी 10 अवतार विराजमान होंगे, इन 10 अवतारों के जरिए धर्मग्रंथों में मानव सहित भगवान के सभी रूपों को प्रस्तुत किया गया है और जीवन में कोईभी भगवान की चेतना का अनुभव कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने भगवान को 'सिंह, वराह और कच्छप' के रूपमें अनुभव किया है, भगवान की इन स्वरूपों में स्थापना लोगों की भगवान केप्रति मान्यता की समग्र छवि प्रस्तुत करेगी। उन्होंने श्रीकल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखने का अवसर देने के आशीर्वाद केलिए भगवान को धन्यवाद दिया और उपस्थित संतों को उनके मार्गदर्शन केलिए नमन किया एवं आचार्य प्रमोद कृष्णम को भी धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज का कार्यक्रम भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक और अनूठा क्षण है। अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम मंदिर के अभिषेक और हाल ही में अबू धाबी में मंदिर के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि जो कल्पना से परे था वह अब वास्तविकता बन गया है। उन्होंने लगातार होरहे ऐसे आयोजनों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने आध्यात्मिक उत्थान के बारेमें बात करना जारी रखा और काशी में विश्वनाथ धाम, काशी के परिवर्तन, महाकाल महलोक, सोमनाथ और केदारनाथ धाम का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम विकास भी विरासत भी मंत्र केसाथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने एकबार फिर आध्यात्मिक केंद्रों के पुनरुद्धार को उच्च तकनीक वाले शहरी बुनियादी ढांचे, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना केसाथ मंदिरों, विदेशी निवेश केसाथ विदेशों से कलाकृतियों की वापसी केसाथ जोड़ा। उन्होंने कहाकि इससे पता चलता हैकि समय का चक्र घूम चुका है। उन्होंने लाल किले से अपने आह्वान कि 'यही समय सही समय है' को याद किया और इसको अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के अभिषेक समारोह को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2024 से एक नए 'काल चक्र' की शुरुआत को दोहराया और हजारों वर्ष तक चले श्रीराम के शासन के प्रभाव पर प्रकाश डाला और कहाकि इसी तरह अब रामलला विराजमान केसाथ भारत अपनी नई यात्रा शुरू कर रहा है, जहां आजादी के अमृतकाल में विकसित भारत का संकल्प केवल एक इच्छा नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की संस्कृति और परंपरा हर कालखंड में इसी संकल्प केसाथ जीवित रही है। श्रीकल्कि के स्वरूपों के बारेमें आचार्य प्रमोद कृष्णम के शोध और अध्ययन के बारेमें प्रधानमंत्री ने पहलुओं और शास्त्रीय ज्ञान पर प्रकाश डाला और बतायाकि श्रीकल्कि के स्वरूप भगवान श्रीराम के समान हजारों वर्षों तक भविष्य का मार्ग निर्धारित करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टिप्पणी कीकि श्रीकल्कि कालचक्र में परिवर्तन के सर्जक हैं और प्रेरणा के स्रोत भी हैं। उन्होंने कहाकि श्रीकल्कि धाम भगवान को समर्पित एक ऐसा स्थान बनने जा रहा है, जो अभीतक अवतरित नहीं हुआ है, भविष्य के बारेमें ऐसी अवधारणा सैकड़ों हजारों साल पहले धर्मग्रंथों में लिखी गई थी। उन्होंने आस्था केसाथ इन मान्यताओं को आगे बढ़ाने और इसके लिए अपना जीवन समर्पित करने केलिए आचार्य प्रमोद कृष्णम की सराहना की। उन्होंने श्रीकल्कि मंदिर की स्थापना केलिए आचार्यजी की पिछली सरकारों से लड़ी गई लंबी लड़ाई और इसके लिए कोर्ट के चक्कर लगाने का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने आचार्यजी केसाथ अपनी हालिया बातचीत को याद करते हुए कहाकि उन्होंने उन्हें केवल एक राजनीतिक व्यक्तित्व के रूपमें जाना था, लेकिन धर्म और आध्यात्मिकता केप्रति उनके समर्पण को जाना। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि आज आचार्य प्रमोद कृष्णम मन की शांति केसाथ मंदिर का काम शुरू करने में सक्षम हुए हैं और आशा हैकि मंदिर बेहतर भविष्य केप्रति वर्तमान सरकार के सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रमाण होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत हार के जबड़े से जीत छीनना जानता है। उन्होंने निमंत्रणों की एक श्रृंखला के सामने भारतीय समाज के लचीलेपन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि अमृतकाल में भारत के गौरव, ऊंचाई और ताकत का बीज अंकुरित हो रहा है। उन्होंने कहाकि जैसे संत और धार्मिक नेता नए मंदिरों का निर्माण कर रहे हैं, उन्हें राष्ट्र के मंदिर के निर्माण का काम सौंपा गया है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि मैं दिन-रात राष्ट्र के मंदिर की भव्यता और महिमा के विस्तार केलिए काम कर रहा हूं, आज भारत उस स्तर पर है, जहां हम अनुसरण नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। इस प्रतिबद्धता के परिणामों को सूचीबद्ध करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के डिजिटल प्रौद्योगिकी और नवाचार का केंद्र बनने, भारत के 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, चंद्रयान की सफलता, वंदे भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों, आगामी बुलेट ट्रेन, तकनीक राजमार्ग और एक्सप्रेसवे के एक मजबूत नेटवर्क का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह उपलब्धि भारतीयों को गर्व महसूस करा रही है और देश में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास की यह लहर अद्भुत है, इसीलिए आज हमारी क्षमताएं अनंत हैं और हमारे लिए संभावनाएं भी अपार हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक राष्ट्र को सामूहिकता के माध्यम से सफल होने की ऊर्जा मिलती है और आज भारत में एक भव्य सामूहिक चेतना देखी है, प्रत्येक नागरिक सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना केसाथ काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने इन 10 वर्ष के प्रयासों को भी सूचीबद्ध किया। उन्होंने सरकार के काम की गति और पैमाने केलिए देश के नागरिकों को श्रेय दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेखांकित कियाकि आजके लोग ग़रीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद कर रहे हैं और शत-प्रतिशत संतृप्ति के अभियान में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहाकि ग़रीबों की सेवा की भावना भारत के आध्यात्मिक मूल्यों से आई है, जो 'नर में नारायण' को प्रेरित करती है। उन्होंने देश से 'विकसित भारत के निर्माण' और 'अपनी विरासत पर गर्व करने' के पांच सिद्धांतों की अपनी अपील दोहराई। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत जबभी बड़े संकल्प लेता है तो उसका मार्गदर्शन करने केलिए दैवीय चेतना किसी न किसी रूपमें हमारे बीच जरूर आती है। गीता के दर्शन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इस कर्तव्यकाल में अगले 25 वर्ष तक कड़ी मेहनत की पराकाष्ठा प्राप्त करने पर जोर दिया और कहाकि हमें नि:स्वार्थ भाव से देशसेवा को सर्वोपरि रखकर कार्य करना है, हमारे हर प्रयास से देश को क्या लाभ होगा, यह प्रश्न सबसे पहले हमारे मन में आना चाहिए, यह प्रश्न राष्ट्र की सामूहिक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करेगा। जनसभा को श्रीकल्कि धाम के अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी संबोधित किया और वर्ष 2029 में इस पावन धाम की प्राण प्रतिष्ठा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से हो ऐसी भावना और कामना केसाथ उनको कोटि-कोटि आभार एवं साधुवाद दिया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अवधेशानंद गिरी, स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी, सदगुरू रितेश्वर, देश के भिन्न-भिन्न कोने से आए पूज्य संत और श्रद्धालुगण मौजूद थे।