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Thursday 29 February 2024 04:34:30 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत में तेंदुओं की आबादी पर आज एक रिपोर्ट जारी की और कहा हैकि प्रोजेक्ट टाइगर की संरक्षण विरासत बाघों से भी आगे तक विस्तृत है, जो तेंदुए की स्थिति रिपोर्ट में स्पष्ट है। उन्होंने कहाकि यह व्यापक प्रजाति संरक्षण प्रयासों को दर्शाती करती है, रिपोर्ट में वन विभाग के समर्पित प्रयासों की सराहना करते हुए संरक्षित क्षेत्रों से परे संरक्षण प्रतिबद्धता पर बल दिया गया है। भूपेंद्र यादव ने कहाकि प्रोजेक्ट टाइगर का समावेशी दृष्टिकोण इकोसिस्टम के अंतर्संबंध और विविध प्रजातियों के संरक्षण पर जोर देता है एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में यह संरक्षण यात्रा एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के लोकाचार का प्रतीक है। भूपेंद्र यादव ने बतायाकि पांचवें चक्र में तेंदुओं की आबादी का अनुमान राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्य जीव संस्थान राज्य वन विभागों के सहयोग से लगाया जा रहा है। उन्होंने बतायाकि चतुर्वर्षीय बाघों की निगरानी, शिकारियों, शिकार और उनके आवास की निगरानी अभ्यास के एक भाग के रूपमें यह प्रयास किया गया था, जिससे बाघ संरक्षण प्रयासों को गति मिली है।
तेंदुआ एक रहस्यमय प्राणी है, जो गरिमा का अनुभव प्रदान करता है और भारत में अपने क्षेत्र में बढ़ते खतरों का सामना कर रहा है। तेंदुए के प्राकृतिक आवास को नुकसान, मानव-वन्यजीव संघर्ष और अवैध शिकार केबीच राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने उनकी आबादी के आकलन के पांचवें चक्र का आयोजन किया, जिससे इन मायावी बड़ी बिल्लियों की स्थिति और प्रवृत्तियों के बारेमें महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की गई हैं। बाघ रेंज वाले राज्यों और विविध परिदृश्यों को शामिल करते हुए व्यापक सर्वेक्षण में तेंदुए की बहुतायत का आकलन केलिए प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान कैमरा ट्रैपिंग, आवास विश्लेषण और जनसंख्या के संयोजन की सावधानीपूर्वक प्रक्रिया से तेंदुओं के वर्गीकरण और संरक्षण चुनौतियों में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि का पता चला। तेंदुओं की आबादी रिपोर्ट के अनुसार भारत में तेंदुओं की आबादी 13874 (रेंज: 12,616-15,132) व्यक्ति होने का अनुमान है। यह 2018 में 12852 (12,172-13,535) व्यक्तियों के समान क्षेत्र की तुलना में स्थिर आबादी का प्रतिनिधित्व करती है। यह अनुमान तेंदुए के निवास स्थान की 70 प्रतिशत आबादी को दर्शाता है। इसमें हिमालय और देश के अर्धशुष्क हिस्सों का नमूना नहीं लिया गया है, क्योंकि यह बाघों का निवास स्थान नहीं हैं।
मध्य भारत में तेंदुओं की आबादी स्थिर या थोड़ी बढ़ती दिखाई देती है (2018: 8071, 2022: 8820), शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी इलाकों में गिरावट देखी गई (2018: 1253, 2022: 1109)। यदि हम उस क्षेत्र को देखें जिसका भारतभर में 2018 और 2022 दोनों में नमूना लिया गया था तो प्रतिवर्ष 1.08 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में प्रतिवर्ष 3.4 प्रतिशत की गिरावट हो रही है, जबकि सबसे बड़ी वृद्धि दर मध्य भारत और पूर्वी घाट में 1.5 प्रतिशत थी। देश में तेंदुओं की सर्वाधिक संख्या मध्यप्रदेश में है-3907 (2018: 3421), इसके बाद महाराष्ट्र (2022: 1985, 2018: 1690), कर्नाटक (2022: 1879, 2018: 1783) और तमिलनाडु (2022: 1070, 2018: 868) हैं। टाइगर रिज़र्व या सबसे अधिक तेंदुए की आबादी वाले स्थल-आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम में नागार्जुन सागर, इसके बाद मध्यप्रदेश में पन्ना और सतपुड़ा हैं। भारत में तेंदुए की आबादी के आकलन का पांचवां चक्र (2022) 18 बाघ राज्यों के भीतर वन आवासों पर केंद्रित है, जिसमें चार प्रमुख बाघ संरक्षण परिदृश्य शामिल हैं और 2000 एमएसएल (30 प्रतिशत क्षेत्र) से ऊपर गैर वन निवास, शुष्क और उच्च हिमालय में तेंदुए केलिए नमूना नहीं लिया गया था। इस चक्र के दौरान शिकार के अवशेषों और शिकार की बहुतायत का अनुमान लगाने केलिए 6,41,449 किलोमीटर तक पैदल सर्वेक्षण किया। कैमरा ट्रैप को रणनीतिक रूपसे 32,803 स्थानों पर रखा गया था, जिससे कुल 4,70,81,881 तस्वीरें आईं और इनमें से तेंदुए की 85,488 तस्वीरें प्राप्त हुईं।
तेंदुए की आबादी के संरक्षण में संरक्षित क्षेत्रों के ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं, जबकि बाघ अभयारण्य महत्वपूर्ण गढ़ों के रूपमें काम करते हैं, संरक्षित क्षेत्रों के बाहर संरक्षण अंतराल को संबोधित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। संघर्ष की बढ़ती घटनाएं तेंदुओं और समुदायों दोनों केलिए चुनौतियां पैदा करती हैं, चूंकि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर तेंदुओं का जीवित रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, आवास संरक्षण को बढ़ाने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने केलिए सरकारी एजेंसियों, संरक्षण संगठनों और स्थानीय समुदायों को शामिल करनेवाले सहयोगात्मक प्रयास जरूरी हैं। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इस अवसर पर कहाकि तेंदुए की स्थिति रिपोर्ट मानव-तेंदुए के सहअस्तित्व को दर्शाते हुए वसुदैव कुटुंबकम दर्शन की परिचायक है और जैव विविधता में गिरावट केबीच वन्यजीवों केप्रति भारत की अद्वितीय सामुदायिक सहिष्णुता एक वैश्विक मॉडल के रूपमें कार्य करती है। उन्होंने सतत पर्यावरण संरक्षण केलिए सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का प्रदर्शन करनेवाले प्रयासों में एकजुटता केलिए समुदायों, वन विभाग, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण अधिकारियों और भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों को बधाई दी।