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Tuesday 02 July 2013 08:42:47 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना की प्रगति की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री समिति की दूसरी बैठक 1 जुलाई को हुई। इस योजना को भारत सरकार ने मई 2006 में मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य साझी सेवा आपूर्ति के केंद्रों के जरिए आम आदमी को सभी सरकारी सेवाएं उसके घर के पास उपलब्ध कराना है और उचित लागत पर इन सेवाओं की कुशलता, पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना है। समिति की पिछली बैठक के फैसले के अनुसार दो विशेषज्ञ दल बनाए गए थे, एक नंदन निलेकनी की अध्यक्षता में ई-प्रशासन के लिए मानव संसाधन नीति तैयार करने के लिए और दूसरा डॉ सैम पित्रौदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना के लिए। इन दोनों दलों की सिफारिशें देश में ई-प्रशासन से संबंधित सभी कार्यक्रमों पर अमल की स्थिति तुरंत जानने की दृष्टि से बहुत लाभकारी होंगी। पहली जुलाई की बैठक में इन समितियों की सिफारिशों पर अमल की समीक्षा की गई।
समिति में कई मुद्दों पर विचार किया गया। मिशन मोड परियोजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति पर समिति को बताया गया कि 31 मिशन मोड परियाजनाओं में से 14 मिशन मोड परियोजनाएं पूरी सेवाओं की आपूर्ति कर रही हैं, जबकि नौ परियोजनाओं ने नागरिकों को कुछ सेवाओं की आपूर्ति शुरू कर दी है। परिणामों की स्थिति जानने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एक नया वेब पोर्टल ई-टीएएएल शुरू किया। इस पोर्टल में केंद्रीय और राज्य स्तर पर मिशन मोड परियोजना सहित शुरू की गई सभी ई-प्रशासन परियोजनाओं की जानकारी और विश्लेषण मिलता है। ई-टीएएएल वेब पोर्टल से देश में चलाए जा रहे ई-प्रशासन के कार्यक्रमों के परिणामों की तेजी से जानकारी मिल सकेगी। यह पोर्टल etaal.gov.in पर देखा जा सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एक मोबाइल सेवा भी शुरू की है, जो मोबाइल-प्रशासन से संबंधित एक अनोखा प्रयास है। इसका उद्देश्य नागरिकों को मोबाइल फोनों आदि से सरकारी सेवाएं प्रदान करना है। इस पोर्टल को mgov.gov.in पर देखा जा सकता है। अब तक देशभर के 444 विभागों को मोबाइल सर्विस डिलिवरी गेटवे (एमएसडीजी) से जोड़ा जा चुका है। वे नागरिकों को 200 से अधिक विशिष्ट सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इसका इस्तेमाल करते हुए विभिन्न सरकारी सेवाओं के बारे में नागरिकों को 15 करोड़ से भी अधिक संदेश भेजे जा चुके हैं।
एक मोबाइल एप्पस्टोर (mgov.gov.in) भी शुरू किया गया है, जिसमें 153 आवेदनों के प्रारूप है, जिन्हें डाउनलोड करके इस्तेमाल किया जा सकता है। समिति ने सभी सरकारी विभागों और मंत्रालयों से कहा है कि वे मोबाइल सेटों पर अपनी सेवाओं की आपूर्ति के लिए इस मोबाइल सेवा का प्रयोग कर सकते हैं। पिछले दिनों इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने तीन राज्यों के तीन ब्लॉकों में 59 पंचायतों के लिए राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की हाई स्पीड कनेक्टिविटी का इस्तेमाल करते हुए टेली-मेडिसन, टेली-शिक्षा, कौशल विकास पाठ्यक्रमों और बैंकिंग सेवाओं जैसी सरकारी सेवाओं की आपूर्ति के लिए एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है। इस प्रायोगिक परियोजना के परिणामों के आधार पर सरकार का इरादा राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की सुविधा के जरिए 2,50,000 ग्राम पंचायतों को जोड़ना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने सफल ई-प्रशासन प्रयोगों के लिए एक ई-प्रशासन एप्पस्टोर भी विकसित किया है। सभी सरकारी विभाग जो ई-प्रशासन के कार्यक्रम को लागू करना चाहते हैं, वे उन प्रयोगों के नमूनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे काफी समय और धन की बचत होगी। सरकारी खरीद को और अधिक पारदर्शी तथा कुशल बनाने के लिए समिति ने निर्देश दिया है कि सभी सरकारी मंत्रालय और विभाग निविदाओं के प्रकाशन और प्रोसेसिंग के लिए ई-खरीद को अपनाएंगे। क्लाउड टेक्नोलॉजी (मेघ प्रौद्योगिकी) का लाभ उठाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एक नया कार्यक्रम मेघराज शुरू किया है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की क्लाउड कंप्यूटिंग व्यवस्था कायम करना है। इससे न केवल आईटी अवसंरचना का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा, बल्कि ई-प्रशासन सेवाओं को भी तेजी से उपलब्ध कराया जा सकेगा। ई-प्रशासन के लिए क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और अनुसंधान तथा विकास के लिए एक शीर्ष संस्था की आवश्यकता महसूस करते हुए समिति ने सिफारिश की है कि एक राष्ट्रीय संस्था के रूप में राष्ट्रीय ई-प्रशासन अकादमी की स्थापना की जाए।
समिति ने इस बारे में भी चर्चा की कि किस प्रकार नई प्रौद्योगिकियों, प्रयोगों और क्लाउड कंप्यूटिंग, मोबाइल प्लेटफॉर्म जैसे मंचों तथा आधार कार्यक्रम से राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है और इसे तेजी से लागू किया जा सकता है। राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना में नवीनतम प्रौद्योगिकियों और नई सेवा आपूर्ति तंत्रों के समावेश से देश में ई-प्रशासन का एक नया युग आएगा। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मांगने पर सूचना संचार प्रौद्योगिकी का ढांचा भी उपलब्ध कराया जा सकेगा। ई-प्रशासन की परियोजनाओं में आधार मंच के समावेश से परस्पर-संचालन योग्यता में वृद्धि और इलेक्ट्रॉनिक प्रामाणिकता के साथ-साथ लाभार्थियों को सेवाएं जल्द से जल्द उपलब्ध कराने में भी सहायता मिलेगी। इसके अलावा सेवाओं की आपूर्ति के लिए मोबाइल प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल से सरकार देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले नागरिकों तक पहुंच सकेगी। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समिति ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना का अगला प्रारूप विकसित करने का निर्देश दिया है, ताकि नवीनतम प्रौद्योगिकियों और सेवा आपूर्ति के नये तरीकों का अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सके।