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Sunday 21 April 2024 04:25:18 PM
नई दिल्ली। जैन समाज के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की आज जयंती है। भारत मंडपम नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर मौजूद जैन समुदाय के संतों को नमन किया और महावीर जयंती पर शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने आचार्य विद्यासागर महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनसे हाल ही में हुई अपनी मुलाकात को याद किया। उन्होंने कहाकि आचार्य विद्यासागर महाराज का आशीर्वाद हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। नरेंद्र मोदी ने भगवान महावीर स्वामी पर स्कूली बच्चों की प्रस्तुत नृत्य नाटिका 'वर्तमान में वर्धमान' का जिक्र करते हुए कहाकि भगवान महावीर के मूल्यों केप्रति युवाओं का समर्पण और प्रतिबद्धता देश के सही दिशा में आगे बढ़ने का संकेत है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज संघर्षों में फंसी दुनिया भारत से शांति की अपेक्षा कर रही है, नए भारत की इस नई भूमिका का श्रेय भारत के बढ़ते सामर्थ्य और विदेश नीति को दिया जा रहा है, लेकिन मैं यह बताना चाहता हूंकि इसमें हमारी सांस्कृतिक छवि का बहुत बड़ा योगदान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे जैन सिद्धांतों से शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और सार्वभौमिक भाईचारे का मार्ग आलोकित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि भगवान महावीर सहित प्रत्येक तीर्थंकर के पांच कल्याणक मनाते हैं-च्यवन/ गर्भाधान कल्याणक, जन्म कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, सर्वज्ञता कल्याणक और निर्वाण कल्याणक। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज 21 अप्रैल को भगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक है और इस अवसर को जैन समुदाय केसाथ भारत मंडपम में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करके मनाया जा रहा है, साथही जैन समुदाय के संत इस अवसर की शोभा बढ़ा रहे हैं और समागम को आशीर्वाद दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भव्य भारत मंडपम भगवान महावीर के दो हजार पांच सौ पचासवें निर्वाण महोत्सव के आरंभ का साक्षी बन रहा है। उन्होंने कहाकि ये आयोजन विशेष रूपसे हमारे जैन संतों, साध्वियों के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से संभव हुआ है, मैं सभीके चरणों में प्रणाम करता हूं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि ऐसे अवसर स्वाभाविक रूपसे कई विशेष संयोगों को भी जोड़ते हैं, ये वो समय है जब भारत अमृतकाल के शुरुआती दौर में है, देश आज़ादी के शताब्दी वर्ष को स्वर्णिम शताब्दी बनाने केलिए काम कर रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि इस साल भारतीय संविधान को भी 75 वर्ष होने जा रहे हैं और इसी समय देश में आम चुनाव के रूपमें एक बड़ा लोकतांत्रिक उत्सव भी मनाया जा रहा है। उन्होंने कहाकि देश का विश्वास हैकि यहीं से देश के भविष्य की नई यात्रा शुरू होगी और इन सारे संयोगों केबीच आज हम यहां तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती पर साथ-साथ उपस्थित हैं। उन्होंने कहाकि देश केलिए अमृतकाल का विचार एक बड़ा संकल्प ही है ऐसा नहीं है, ये भारत की वो आध्यात्मिक प्रेरणा है, जो हमें अमरता और शाश्वतता को जीना सिखाती है। उन्होंने कहाकि हम ढाई हजार वर्ष बादभी भगवान महावीर का निर्वाण दिवस मना रहे हैं और हम ये जानते हैंकि आगेभी कई हजार वर्ष बादभी ये देश भगवान महावीर से जुड़े ऐसे उत्सव मनाता रहेगा। उन्होंने कहाकि आज वैश्विक शांति के लिए भारत की महत्वपूर्ण भूमिका जरूरी समझी जा रही है और इसमें भारत की बड़ी भूमिका है, क्योंकि हम सत्य और अहिंसा जैसे व्रतों को वैश्विक मंचों पर पूरे आत्मविश्वास से रखते हैं, हम दुनिया को ये बताते हैंकि वैश्विक संकटों और संघर्षों का समाधान भारत की प्राचीन संस्कृति में है, भारत की प्राचीन परंपरा में है, इसीलिए आज विरोधों में भी बंटे विश्व केलिए भारत ‘विश्व बंधु’ के रूपमें अपनी जगह बना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि क्लाइमेट चेंज जैसे गंभीर संकटों के समाधान केलिए आज भारत ने ‘मिशन लाइफ’ जैसे ग्लोबल मूवमेंट की नींव रखी है। उन्होंने कहाकि हमारे इन प्रयासों से दुनिया में एक उम्मीद ही नहीं जगी है, बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति को लेकर विश्व का नज़रिया भी बदला है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जैन धर्म का अर्थ है-जिन का मार्ग यानी जीतने वाले का मार्ग। उन्होंने कहाकि हमने कभी दूसरे देशों को जीतने केलिए आक्रमण नहीं किए, बल्कि हमने स्वयं में सुधार करके अपनी कमियों पर विजय पाई है, इसीलिए मुश्किल से मुश्किल दौर आए, लेकिन हर दौर में कोई न कोई ऋषि, मनीषी हमारे मार्गदर्शन केलिए प्रकट हुआ, जिससे कई महान सभ्यताओं के नष्ट होने के बावजूद देश को अपना रास्ता खोजने में मदद मिली, जिनमें तीर्थंकर भगवान महावीर हैं, जिनकी आज हम जयंती मना रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने बीते 10 वर्ष में हुए अनेक समारोहों पर प्रकाश डाला और कहाकि हमारे जैन आचार्यों ने मुझे जबभी आमंत्रण दिया, मेरा प्रयास रहा हैकि मै उन कार्यक्रमों में जरूर शामिल रहूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि संसद के नए भवन में प्रवेश करने से पहले मुझे अपने मूल्यों को याद करने केलिए 'मिच्छामी दुक्कड़म' का पाठ करना याद है। उन्होंने कहाकि इसी तरह हमने अपनी धरोहरों को संवारना शुरू किया, हमने योग और आयुर्वेद के महत्व को समझा और आज दुनियाभर में उनकी बात हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत देश की नई पीढ़ी को ये विश्वास हो गया हैकि हमारी एक पहचान है और यह हमारा स्वाभिमान है, जब राष्ट्र में स्वाभिमान का ये भाव जाग जाता है तो उसे रोकना असंभव हो जाता है, भारत की प्रगति इसका प्रमाण है। उन्होंने कहाकि भारत केलिए आधुनिकता उसका शरीर है, आध्यात्मिकता उसकी आत्मा है, अगर आधुनिकता से अध्यात्मिकता को निकाल दिया जाता है तो अराजकता का जन्म होता है। उन्होंने भगवान महावीर की शिक्षाओं का पालन करने का आह्वान किया, क्योंकि इन मूल्यों को पुनर्जीवित करना आज समय की मांग है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत अब भ्रष्टाचार और निराशा के दौर से उभर रहा है, क्योंकि 25 करोड़ से अधिक भारतीय ग़रीबी से बाहर आ गए हैं। प्रधानमंत्री ने 'अस्तेय और अहिंसा' के मार्ग पर चलने केलिए कहा और राष्ट्र के भविष्य केलिए काम करते रहने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए संतों को उनके प्रेरक शब्दों केलिए धन्यवाद दिया। महोत्सव में राष्ट्रसंत परम्पराचार्य प्रज्ञसागर मुनिराज उपाध्याय, रविंद्रमुनि महाराज साहिब, साध्वी सुलक्षणाश्री महाराज साहिब, साध्वी अणिमाश्री महाराज साहिब, केंद्र सरकार में मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, मीनाक्षी लेखी, संत और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।