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Thursday 9 May 2024 12:05:58 PM
नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने राजनीतिज्ञ, भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और समाजवादी रफ़ी अहमद किदवई के निजी दस्तावेज़ संग्रहित किए हैं। एनएआई में संग्रहित दस्तावेज़ों में पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पीडी टंडन जैसे प्रतिष्ठित नेताओं केसाथ मूल पत्राचार शामिल हैं। ये दस्तावेज़ ताज़ीन किदवई, हुसैन कामिल किदवई की बेटी, सबसे छोटे भाई रफ़ी अहमद किदवई और सारा मनाल किदवई की उपस्थिति में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव फैज़ अहमद किदवई ने भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक को सौंपे। ज्ञातव्य हैकि भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार भारत सरकार के गैर मौजूदा अभिलेखों का संरक्षक है और सार्वजनिक रिकॉर्ड अधिनियम-1993 के प्रावधान के अनुसार प्रशासकों और शोधकर्ताओं के उपयोग केलिए उन्हें ट्रस्ट में रखता है।
भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार एक प्रमुख अभिलेखीय संस्थान के रूपमें अभिलेखीय चेतना को निर्देशित करने और आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सार्वजनिक अभिलेखों के विशाल संग्रह के अतिरिक्त भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार केपास देशहित में अनुकरणीय योगदान प्रदान करने वाले सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित भारतीयों के निजी पत्रों का एक समृद्ध संग्रह है। रफी अहमद किदवई जीवंतता, प्रतिभा और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जन्म 18 फरवरी 1894 को मसौली उत्तर प्रदेश के एक मध्यम वर्गीय जमींदार परिवार में हुआ था। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता केलिए अपने निरंतर प्रयासों और हर प्रकार की सांप्रदायिकता एवं अंधविश्वासों का खंडन किया। उनकी राजनीतिक यात्रा 1920 में खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन में शामिल होने केसाथ शुरू हुई, जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्होंने मोतीलाल नेहरू के निजी सचिव के रूपमें कार्य किया और बादमें कांग्रेस विधानसभा और संयुक्त प्रांत कांग्रेस समिति में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
रफी अहमद किदवई के राजनीतिक कौशल ने उन्हें पंडित गोविंद बल्लभ पंत के मंत्रिमंडल में मंत्री बनने केलिए प्रेरित किया। उन्होंने राजस्व और जेल विभागों का प्रबंधन किया। स्वतंत्रता केबाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भारत के पहले संचार मंत्री के रूपमें कार्य किया और अपना टेलीफोन अपनाएं सेवा और रात्रि हवाई मेल जैसी पहल शुरू की। वर्ष 1952 में उन्होंने अपने प्रशासनिक कौशल से खाद्य राशनिंग चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटते हुए खाद्य और कृषि विभाग का कार्यभार संभाला। भारत की स्वाधीनता और देश को सुदृढ़ करने केलिए रफी अहमद किदवई का समर्पण उनके पूरे राजनीतिक जीवन में अटूट रूपसे विद्यमान रहा। उनके योगदान को 1956 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा रफी अहमद किदवई पुरस्कार के निर्माण केसाथ मान्यता दी गई। संचारमंत्री के रूपमें रफी अहमद किदवई के कार्यकाल ने उन्हें नवाचार और प्रभावशीलता केलिए प्रतिष्ठा दिलाई, जबकि खाद्य मंत्रालय में उनके नेतृत्व को खूब सराहा गया।
रफ़ी अहमद किदवई ने वास्तव में देश की स्वाधीनता के संघर्ष और बादमें अपनी प्रशासनिक भूमिकाओं में कार्रवाई और समर्पण को मूर्तरूप दिया। विपरीत परिस्थितियों ने उन्हें एक विलक्षण और चमत्कारी व्यक्तित्व का उपनाम दिलाया। संकटों का तेजीसे समाधान करने और नवीन समाधानों को लागू करने की उनकी क्षमता उनके उल्लेखनीय नेतृत्व गुणों को उजागर करती है। संचार से लेकर कृषि तक विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान ने देश के विकास पर स्थायी प्रभाव छोड़ा। एक प्रतिबद्ध स्वतंत्रता सेनानी और एक कुशल प्रशासक के रूपमें उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।