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नई दिल्ली। भारत की जनसंख्या एक अरब 21 करोड़ के पार हो गई है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या सबसे अधिक 19 करोड़ 90 लाख है और समग्र लिंगानुपात 940 पर पहुंचा है। देश की साक्षरता दर में 2001 के मुकाबले 10 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। सन् 2011 की जनगणना के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार देश की जनसंख्या में 51.54% यानी 63 करोड़ 72 लाख पुरुष हैं जबकि 58 करोड़ 64 लाख 60 हजार अर्थात् 48.46% महिलाएं हैं। गृह सचिव के पिल्लई और भारत के महापंजीकार सी चंद्रमौलि ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में 2011 की जनगणना के अनंतिम आंकड़े जारी किये।
2011 की जनगणना के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं- भारत की जनसंख्या 2001-2011 के दशक के दौरान 1810 लाख बढ़ गयी है। सन् 2001-2011 में 17.64 प्रतिशत जनसंख्या वृद्धि हुई। पुरुषों की संख्या में 17.19 और महिलाओं की संख्या में 18.12 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी। सन् 2001-2011 पहला ऐसा दशक है (1911-1921 को अपवाद मानें तो) जिसमें वास्तव में पिछले दशक की तुलना में कम जनसंख्या वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश (19 करोड़ 95 लाख) देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। इसके बाद 11 करोड़ 20 लाख की जनसंख्या के साथ महाराष्ट्र का दूसरा स्थान है।
भारत के महापंजीकार के अनुसार सबसे अधिक जनसंख्या वाले छह राज्यों में 1991-2001 की तुलना में 2001-2011 के दौरान दशकीय प्रतिशत वृद्धि दर में गिरावट आई है। उत्तर प्रदेश (25.85% से गिरकर 20.09%), महाराष्ट्र (22.73% से गिरकर 15.99%), बिहार (28.62% से गिरकर 25.07%), पश्चिम बंगाल (17.77% से गिरकर 13.93%), आंध्र प्रदेश (14.59% से गिरकर 11.10%), मध्य प्रदेश (24.26% से गिरकर 20.30%) 2001-2011 के दौरान 25 राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों (जिनमें देश की आबादी का लगभग 85% हिस्सा है) ने 2% से भी कम वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की। सन् 1991-2001 की अवधि में 15 राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में ऐसी वृद्धि दर दर्ज की गयी जिनका हिस्सा देश की आबादी का 42% था।
पंद्रह राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में 2001-2011 के दौरान सालाना 1.5 फीसदी से कम वृद्धि दर दर्ज की गई जबकि ऐसी वृद्धि वाले राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों की संख्या पिछले दशक के दौरान सिर्फ चार थी। आंकड़ों के अनुसार 0-6 वर्ष तक की आबादी वाले बच्चों की कुल संख्या 15 करोड़ 88 लाख है जिनमें 2001 के बाद 50 लाख बच्चे जुड़े हैं। बीस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अब 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की संख्या 10 लाख से अधिक है, दूसरी ओर, पांच राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में बच्चों की संख्या अब भी एक लाख से कम है।
छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कुल संख्या में उत्तर प्रदेश (2 करोड़ 97 लाख), बिहार (1 करोड़ 86 लाख), महाराष्ट्र (1 करोड़ 28 लाख), मध्य प्रदेश (1 करोड़ 5 लाख) और राजस्थान (1 करोड़ 5 लाख) का कुल योगदान 52% है। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों की जनसंख्या में 2001-2011 के दौरान 3.08 प्रतिशत की कमी आयी। बालिकाओं की संख्या में 3.80 प्रतिशत और बालकों की संख्या में 2.42 प्रतिशत कमी देखी गयी। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों की जनसंख्या कुल जनसंख्या का 13.1 प्रतिशत है, जबकि 2001 में यह आंकड़ा 15.9 प्रतिशत था। इस तरह इन बच्चों की संख्या में 2.8 प्रतिशत गिरावट देखी गयी।
राष्ट्रीय लिंगानुपात में 7 अंकों की वृद्धि हुई है और 2001 की जनगणना में 933 स्त्री प्रति 1000 पुरूष से बढ़कर यह 2011 की जनगणना में 940 पर पहुंच गया है। यह 1971 की जनगणना के बाद से दर्ज सबसे ऊँचा लिंगानुपात है और 1961 की जनगणना की तुलना में थोड़ा कम है। उनतीस राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में लिंगानुपात में वृद्धि देखी गयी है। तीन प्रमुख राज्यों (जम्मू एवं कश्मीर, बिहार और गुजरात) में लिंगानुपात में 2001 की जनगणना की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है। केरल में लिंगानुपात सर्वाधिक 1084 है जबकि इसके बाद पुडुचेरी (1038) का स्थान है। दमन व दीव में लिंगानुपात सबसे कम 618 है।
छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात 914 है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, मिजोरम और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात में वृद्धि के रुझान देखे गये हैं। शेष सभी 27 राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में, इस लिंगानुपात में 2001 की जनगणना की तुलना में गिरावट देखी गयी है। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सर्वाधिक लिंगानुपात मिजोरम (971) का है। मेघालय 970 के लिंगानुपात के साथ दूसरे स्थान पर है। सबसे कमतर लिंगानुपात हरियाणा (830) का है जबकि पंजाब (846) नीचे से दूसरे स्थान पर है। साक्षरता दर 2001 में 64.83 प्रतिशत के मुकाबले 9.21 प्रतिशत बढ़कर 2011 में 74.04 प्रतिशत हो गयी है। सन् 2001-2011 के दौरान साक्षरता में प्रतिशत वृद्धि 38.82 प्रतिशत दर्ज हुई। इसमें महिलाओं की साक्षरता वृद्धि 49.10% और पुरुषों की साक्षरता में वृद्धि 31.98% रही। साक्षरों की कुल संख्या देश में सात वर्ष से ऊपर की आयु की कुल आबादी का 74 प्रतिशत है इस आबादी के 26 प्रतिशत के बराबर लोग निरक्षर हैं।
भारत की जनसंख्या 1 अरब 21 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है दूसरे देशों के मुकाबले भारत बहुत तेजी से जनसंख्या वृद्धि में लगा है भारत पर यह एक ऐसा बोझ है जिसे आगे सहन करना उसके वश की बात नहीं है संसाधन जवाब दे रहे हैं, उत्पादन घट रहा है। रोजगार, कानून व्यवस्था, आर्थिक तंगी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी देश की गंभीर समस्याएं आगे और विकराल रूप लेंगी।