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Tuesday 10 September 2024 06:02:27 PM
कोच्चि। भारतीय नौसेना केलिए मैसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड निर्मित आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट परियोजना के चौथे और पांचवें जहाज मालपे और मुलकी का कोच्चि में जलावतरण किया गया। समुद्री परंपराओं को ध्यान में रखते हुए दोनों जहाजों को दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वीएडीएम वी श्रीनिवास की उपस्थिति में विजया श्रीनिवास ने जलावतरण किया। माहे श्रेणी के एएसडब्लू शैलो वाटर क्राफ्ट्स का नाम भारत के तट पर सामरिक महत्व के बंदरगाहों के नाम पर रखा गया है। ये पूर्ववर्ती माइनस्वीपर्स यानी सुरंग हटाने वाले ट्रालर जहाज़ की गौरवशाली विरासत को बढ़ाने का प्रयास करेंगे, जिनके नामपर ही इनका नाम रखा गया है।
रक्षा मंत्रालय और मैसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड केबीच 30 अप्रैल-2019 को आठ पनडुब्बी रोधी युद्ध शैलो वाटर क्राफ्ट जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। माहे श्रेणी के जहाज़ों को स्वदेशी रूपसे विकसित, अत्याधुनिक अंडरवाटर सेंसर से सुसज्जित किया जाएगा। माहे श्रेणी के जहाज स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक पानी के नीचे सेंसर से लैस होंगे और इसे तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों केसाथ-साथ कम तीव्रता के समुद्री संचालन तथा खदान बिछाने के काम केलिए तैयार किया गया है। ये एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाज 1800 समुद्री मील तककी सहनशक्ति केसाथ 25 समुद्री मील की अधिकतम गति प्राप्तकर सकते हैं।
पनडुब्बी रोधी युद्ध शैलो वाटर क्राफ्ट जहाज 1800 नॉटिकल मीलतक की स्थिरता केसाथ 25 नॉट की अधिकतम गति प्राप्तकर सकते हैं। इन जहाजों का एकसाथ जलावतरण 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में स्वदेशी जहाज निर्माण में भारत की प्रगति को दर्शाता है। एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी जहाजों में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगाकि बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन भारतीय विनिर्माण इकाइयां करेंगी और इससे देशके भीतर भी रोज़गार और क्षमता वृद्धि पैदा होगी।